
जब पूर्व विधायक महोदय को अपमानित होना पड़ाः निदेशालय
कार्यालय में जाकर
बिना परिचय दिए
ही टेलीफोन डायरेक्ट्री
की मांग करना
मंहगा पड़ा। एक
विपक्षी विधायक को टेलीफोन
डायरेक्ट्री चाहिए था। तब
महादलित मुसहर समुदाय विधायक
दलबल के साथ
कार्यालय में प्रवेश
कर गए। वहां
पर बैठे बड़ा
बाबू से टेलीफोन
डायरेक्ट्री देने की
मांग कर दी।
कुर्सी पर आसीन
बड़ा बाबू को
गजब हरकत लगा।
आव न देखा
ताव अजनबी विधायक
महोदय पर बेमौसम
बारिस की तरह
बरस गए। आप
लोग समय बर्बाद
करने आ जाते
है। यह सचिवालय
नहीं है। यह
तो निदेशालय है।
आप लोग गलत
कार्यालय में आकर
डायरेक्ट्री की मांग
कर रहे है।
तैश में आकर
बड़ा बाबू ने
आए लोगों से
कहा कि आप
लोग कार्यालय के
द्वार पर जाकर
नेम प्लेट देख
लें! तब स्पष्ट
रूप से पता
चल जाएगा कि
यह सचिवालय है
कि यह निदेशालय
है। कुछ लोग
बाहर जाकर नेम
प्लेट देखे। वहां
पर प्रबंध निदेशक,
का निदेशालय कार्यालय
लिखा था।
जब बड़ा बाबू हकलाने लगेः नेम प्लेट
देखकर आए लोग
मौनधारण कर लिए।
भला जानकार लोगों
के पास हिम्मत
कैसी आएगी कि
वे अपने माननीय
विधायक महोदय को और
अधिक अपमानित बड़ा
बाबू से करा
दें। सभी लोगों
के मौनधारण कर
लेने के बाद
विधायक महोदय ने खुद
मुंह खोले। मैं
एक विधायक हूं।
इतना सुनना था
कि मनुवादी तंत्र
के बड़ा बाबू
के होश फाख्ता
हो़ गया। बड़ा
बाबू बच्चों की
तरह गिड़गिड़ाने और
हकलाने लगे। हुजूर!
पहले परिचय दे
देते। तो मामला
आगे नहीं न
बढ़ता। इसके बाद
लगातार अपमानित होने वाले
विधायक को कुर्सी
पर आसीन बड़ा
बाबू आरजू मिन्नत
करके बैठने को
कहने लगे। महाशय
कुर्सी पर बैठ
जइथीन। इसके बाद
बड़ा बाबू ने
छटपट में कार्यालय
के ही टेलीफोन
डायरेक्ट्री को माननीय
विधायक जी के
करकमलों में पेश
कर दिए। तब
जाकर मामला सामान्य
हो गया। विधायक
महोदय तारीफ के
पात्र हैं। जो
बदले के भावना
से कार्य नहीं
किए।
जब सामाजिक कार्यकर्ता ने दानापुर एसडीओ के सामने परिचय दियाः महादलित
मुसहर समुदाय के
सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी
ने जब एसडीओ
साहब के सामने
परिचय दिया। दानापुर
अनुमंडल के अनुमंडलाधिकारी
राहुल कुमार
ने कहा कि
आप सामाजिक कार्यकर्ता
कहकर रौब न
डाले। इस तरह
के मानसिकता से
बाहर निकल आए।
आपके कहने से
काम नहीं करेंगे।
यहां पर सभी
लोगों का कार्य
होता है। अपने
दिमाग से यह
धारणा निकाल दें
कि परिचय देने
से प्रभाव जमाया
जाता है। कार्य
करवाने में सफल
हो जाएंगे। इस
तरह की झिड़की
देने के बाद
ही सामान्य हो
गए।

आलोक कुमार
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