घर-घर
में बिजली की
रोशनी पहुंचाने वालों
की जिदंगी में
अंधेरा
मिलने वाले मानदेय
में कनीय अभियंता
और ठेकेदार करते
हिस्सेदारी
पटना। आप कभी
भी घर-घर
में रोशनी पहुंचाने
वाले लोगों के
बारे में सोचा
हैं? आप झट
से कहेंगे कि
हम तो उपभोक्ता
ठहरे । इनके
बारे में विद्युत
विभाग सोचे और
समझे। हम तो
उपभोक्ता हैं बिजली
खपत करते हैं
और उसके एवज
में भुगतान किया
करते हैं। हां,
जरूर है कि
रोशनी पहुंचाने वाले
मजदूरों की जिंदगी
में अंधेरा पसरा
हुआ है।

मजे
की बात है
कि मजदूरों के
बीच कहना है
कि कनीय विद्युत
अभियंता के द्वारा
एक पिलास ही
मुहैया कराया जाता है।
एक ग्लब्स दिया
जाता है। इसी
के बल पर
तीन शिफ्ट में
काम किया जाता
है। एक शिफ्ट
में 4 मजदूर कार्य
करते हैं। प्रथम
शिफ्ट मध्य रात्रि
12 से 8 बजे तक,
द्वितीय शिफ्ट 8 से 4 बजे
तक और तृतीय
शिफ्ट 4 से 12 बजे तक
की है। एक
अलग से दिन
में कार्यरत हैं
जो उपभोक्ताओं के
लाइन काटने वाले
होते हैं जो
बिल भुगतान नहीं
करते हैं।एक कनीय
अभियंता के अधीन
15 मजदूर कार्यशील होते हैं।
बस अब इसी
से अंदाज लगाया
जा सकता है।
इन मजदूरों से
माहवारी ठेकेदार और कनीय
अभियंता कितना अवैध कमाई
कर लेते हैं।
यहीं अंत नहीं
होता है। मजदूरों
के द्वारा दिये
गये बिलों को
भुगतान भी कनीय
अभियंता नहीं करते
हैं।
सनद रहे
कि बिहार सरकार
के द्वारा न्यूनतम
मजदूरी निर्धारित किया जाता
है। कार्य और
मजदूरी निर्धारित करते समय
यह ख्याल रखा
जाता है कि
मजदूर कुशल, अर्द्धकुशल
या अकुशल हैं।
यहां तो सभी
मजदूरों को मजदूरों
की श्रेणी में
रखकर समान मानदेय
दिया जाता है।
जो अंधे नगर
में कनवा राजा
की तरह है।
मजदूरों का कहना
है कि अभी
हाल में 15 हजार
रूपए मानदेय देने
पर चर्चा चल
रही थी। जो
अब ठंडे बस्ते
में चली गयी
है। मजदूरों का
यह भी कहना
है कि एक
शिफ्ट में काम
करने वाले मजदूरों
को एक ग्लब्स,
पिलास,हेलमेंट और
टार्च देकर कार्य
निष्पादन किया जाता
है। यूनिफार्म, जूता
आदि नहीं मिलता
है। साउथ बिहार
और नौर्थ बिहार
के सीएमडी और
एमडी से आग्रह
किया गया है। इसमें
सुधार करने की
जरूरत है।
आलोक कुमार
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