Sunday 7 September 2014

ब्रिटिश सरकार ने दीघा घाट से लेकर पटना घाट तक रेलवे ट्राक बिछाया



पटना। जब भारत आजाद नहीं था, तो ब्रिटिश सरकार ने दीघा घाट से लेकर पटना घाट तक रेलवे ट्राक बिछाया। तब से ही यह ट्राक कभी अच्छे तो कभी बुरे दौर से गुजरा। अंग्रेज सरकार ने इस ट्राक को व्यापार के दृष्टिकोण से विकसित किया। भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद आजाद भारत की सरकार ने भी अंग्रेजों के मार्ग पर चलकर ट्राक को व्यापार का हिस्सा बनाया। इस रूट से अन्न भंडारण करने का कार्य करना शुरू कर दिया गया। दीघा में भारतीय खाघ निगम के गोदामों में अन्न भंडारण किया गया। इसके बाद दीघा-पटना रूट को लावारिश हालत में छोड़ दी गयी। जब यू0पी0ए0-1 की सरकार में केन्द्रीय रेलमंत्री बने तब लालू प्रसाद यादव ने इसे पब्लिक सर्विस के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अब जबकि सूबे में एन0डी0ए0-2 की सरकार ने सत्तासीन है तो पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़े भाई लालू प्रसाद यादव के इस रेलखंड को फोर लाइन रोड में तब्दील करने पर उतारू हो गए। फोर लाइन रोड के निर्माण कराने की कवायद तेज कर दी गयी। फिलवक्त सरकार इसमें सफल नहीं हो सकी है। सरकार की योजना खटाई में पड़ गयी है।
  जी हां, अंग्रेजों ने ही दीघा घाट से लेकर पटना घाट तक रेलवे ट्राक बिछाया था। दीघा घाट से पटना घाट पर रैक पाईंट बनायी थी। उस समय गंगा नदी पर सेतु निर्माण नहीं किया गया था। तब पटना के समानों को नाव पर लाधकर सोनपुर पहुंचाया जाता था। यह रेलखंड अंग्रेजों के लिए व्यापार के दृष्टिकोण से फायदेमंद था। सीधे विदेशों के माल को भी दीघा घाट पर उतारा जाता था। इसी रूट पर मालगाड़ी के अलावे सामान्य रेलगाड़ी भी चलायी जाती थी। कभी इस रेलखंड से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी सफर करके दीघा घाट गये थे। गांधी जी के ऐतिहासिक दीघा घाट के आगमन को ‘ गांधी’ फिल्म में दर्शाया गया। दीघा घाट में भी ‘गांधी’ फिल्म की शुटिंग की गयी थी।
  इस बीच गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु निर्माण हो गया, तब जाकर पी0डी0 रेलखंड पर खतरा और अस्तित्व पर ही सवाल उत्पन्न होने लगा। इसके आलोक में तब केन्द्र सरकार ने अपने भारतीय खाघ निगम के गोदाम में अनाज भंडारण करने के लिए इस रेलखंड का उपयोग करने लगें। भारतीय खाघ निगम के गोदाम आई0टी0आई0दीघा के बगल में ही स्थित है। आरंभ में इसी गोदाम में गेहूं, चावल, चीनी आदि का भंडारण किया जाता था। पटना रेलवे स्टेशन से अनाज मालगाड़ी से लाकर भंडारण किया जाता था। इसी गोदाम से राजधानी के अलावे आसपास के प्रखंडों में अनाज बैलगाड़ी और ट्रक के माध्यम से भेजा था। जो सीधे जन वितरण प्रणाली की दुकानों में पहुंचा दिया जाता था। अब मालगाड़ी से माल आना ही बंद हो गया है। इस गोदाम के बदले फुलवारीशरीफ स्थित एफ0सी0आई0 के गोदाम में अनाज भंडारण किया जाता है। इसके अलावे सीधे जिले में ही अनाज पहुंचा देने के कारण पुनः रेलखंड पर खतरा और रेलगाड़ी चलना ही बंद हो गया। इसका खामियाजा यह हुआ कि सुनसान वाले रेलखंड पर हाथ सफाई करने वाले चोरों की चांदी हो गयी। फिस्स प्लेट खोलकर ले जाने में सफल होने लगे। उन लोगों ने लगभग रेलखंड को जर्जर ही बना डाला।

आलोक कुमार


No comments: