Monday 22 September 2014

मद्यपान के खिलाफ मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बोले



पटना। मद्यपान के खिलाफ मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बोलते हैं। खुद ही अपने घर से शुरू करते हैं। माता-पिता महुआ दारू चुलाने का कार्य किया करते थे। आचरण के विरूद्ध पिताजी कहते थे। बबुआ.... सरकारी स्कूल में नाम लिखा दे रहे हैं। वहां पर जाकर अध्ययन करें।

तब मुख्यमंत्री को मौका मिल गया। अपने पिताजी से स्पष्ट रूप से कह दिए कि सबसे पहले घर में बनने वाले महुआ दारू को चुलाना बंद कर दें। निजी घर महकार में दारू बनता था। इतना कहने के बाद पिताजी ने ‘महादेव’ को बाहर कर दिए। तब जाकर स्कूल में पढ़ने जाने लगे हैं। इसका नतीजा सामाने है।
खैर, मुख्यमंत्री आपने अपने घर में महुआ दारू को बंद कराने में सफल हो गए। दुर्भाग्य से आपके राज्य में खुलेआम महुआ दारू चुलाने का धंधा जारी है। स्थिति यह है कि यह कुटीर उद्योग में तब्दील हो गया है। प्रायः अधिकांश मुसहरी में महुआ दारू चुलाया जा रहा है। काफी कम कीमत पर धंधा से लाभ कमाया जा सकता है। 5 किलो महुआ में 20 बोतल दारू बन पाता है। 80 रू. महुआ और 60 रू. मिठ्ठा मिलता है। 40 रू. में 5 किलोग्राम लकड़ी मिलता है। 6 से 7 दिनों तक सड़ाया जाता है। 50 रू. में एक बोतल शराब बिकता है। इस तरह के दारू पीने से अनेक लोगों की अकाल मौत हो गयी है।

इसके बाद सबसे पहले मिट्टी के बर्त्तन में महुआ और मिठ्ठा को गलाया  जाता है। इसके बाद महुआ को निकालकर मिट्टी के बर्त्तन में रखकर आग पर चढ़ाया जाता है। आग लगने से भाप निकलने लगता है। तब भाप तरल में विभक्त हो जाता है। जो बूंदबूंद होकर लघु बांस के सहारे शीशी में संग्रह होने लगता है। इसमें पानी मिलाया जाता है। पांच बोतल में पांच बोतल पानी मिलाकर बेचा जाता है। आजकल 50 रू. बोतल बेचा जाता है।
इस ओर उत्पाद विभाग की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं होने से महुआ दारू चुलाने वालों की चांदी है। उत्पाद विभाग की गतिविधियों की सूचना दारू बेचने वालों को दे दी जाती है। इस तरह के सांठगांठ होने से महुआ दारू के ठिकानों को ध्वस्त करने में दिक्कत होती है।

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर अजीबोगरीब बयान दिया है। इस बार मुख्यमंत्री मांझी ने लोगों को शराब पीने की सलाह दी है। हालांकि उन्होंने इसके बाद सफाई देते हुए कहा कि इसे दवा के रूप में पिएं। पटना के दानापुर में महादलित समारोह में रविवार को लोगों को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा,  दारू को दवा के रूप में पिएं, नशे के कारण महादलित लोग न तो खुद का और न ही अपने बच्चों का ध्यान रख पाते हैं। पीना ही है तो शराब को दवा के रूप में थोड़ी-थोड़ी पियो।

सोशल मीडिया फेसबुक पर वेद प्रकाश ने कटाक्ष किया है। मुख्यमंत्री दवा के रूप में दारू पिएं। उसने चम्मच से सुबह-शाम सेवन करना प्रारंभ कर दिया है।

आलोक कुमार


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