गया। गया जिले में महात्मा गांधी
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम रेंग-रेंग कर चल रहा है। बेहतर ढंग से ‘यूं’ समझ लीजिए कि
मनरेगा अंतिम सांस गिन रहा है। इस जिले के जिला समाहर्ता संजय अग्रवाल ने स्पष्ट
तौर पर कह दिया है। कि आप रोजगार पंचायत सेवक लोग काम ही स्टार्ट न करें। केन्द्र
में मोदी सरकार के आगमनकाल से ही मनरेगा डगमगाने लगा है। इस समय 6 माह से जिले में
मनरेगा की राशि आवंटित नहीं हो रही है। जो मनरेगाकर्मी कार्यशील हैं। उनको मजदूरी
ही नहीं दी जा रही है। इसके कारण दशहरा और बकरीद सूखे-सूखे रह गया। वहीं दीपावली
और महाछठ भी फीका-फीका रहने की संभावना है। इसका असर जिले के 332 पंचायतों पर
पड़ेगा।
प्रदेश अध्यक्ष देवता प्रसाद दीक्षित
ने कहा कि हमलोगों का दुर्भाग्य यह है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार
गांरटी अधिनियम में मनरेगा रोजगार सेवक बना दिया गया। शुरूआती दौर में ग्रामीण
विकास विभाग के द्वारा साल 2007 में 2000 रू. का
मानदेय दिया गया। इसके बाद दो हजार रू.की बढ़ोत्तरी कर 4000 रू. मानदेय कर
दिया गया। अभी 6681 रू.
मानदेय मिलता है। इस बीच ग्रामीण विकास विभाग ने 681 रू. कर्मचारी भविष्य निधि में जमा करना
शुरू कर दिया। मगर विभाग ने पंचायत रोजगार सेवकों के नाम से कर्मचारी भविष्य निधि
का खाता ही नहीं खोला गया है। इस बाबत विभाग के द्वारा किसी तरह की जानकारी को
हमलोगों के बीच में साझा नहीं किया जाता है।
मोहनपुर प्रखंड के पंचायत रोजगार
सेवक जितेन्द्र प्रसाद ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एसएम राजू ने
पंचायत रोजगार सेवको को पंचायत सचिव के पद पर पदोन्नत करने का आश्वासन दिए। मगर
आश्वासन पूर्ण करने के बदले ग्रामीण विकास विभाग ने इंटर और स्नातक स्तरीय पदों
पंचायत सचिव और राजस्व कर्मचारी की नियुक्ति निकाल दी। 11 फरवरी से 20 अक्टूबर तक ऑनलाइन
आवेदन करना है। अब ऑनलाइन की अवधि को बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी गयी है। 30 लाख आवेदन आ चुके हैं। इसमें 20 लाख इंटर और दस
लाख स्नातक स्तरीय पदों पर नियुक्ति के लिए है। 17100 पदों पर नियुक्ति के परीक्षा ली जा रही है।
आलोक कुमार
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