Tuesday 21 October 2014

केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के आदेश को ठेंगा दिखाया


मजदूरों को बंधुआ मजदूर बनाकर रखना चाहते

इस तरह के रवैये से कार्य अंत नहीं होगा!

पटना। दीघा से सोनपुर तक गंगा नदी पर पुल निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2006 से रेल सह सड़क निर्माण किया जा रहा है। करीब 500 मजदूर और करीब 50 इंजीनियर कार्यरत हैं। जब दीघा में केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा निरीक्षण करने आए थे। तब मजदूरों ने दो-तीन माह से मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत की थी। मौके पर राज्य मंत्री ने मजदूरों को मजदूरी भुगतान करने का आदेश दिए। उनके आदेश को ठेंगा दिखाने से मजदूरों ने कार्य से अलग कर लिया। आज द्वितीय दिन है।

पूर्व मध्य रेल परियोजना में 500 से अधिक मजदूर कार्यशील हैं: दीघा से सोनपुर तक गंगा नदी पर रेल सह सड़क निर्माण किया जा रहा है। इसे वित्तीय वर्ष 2014-15 तक पूर्ण कर लेना है। जीपीटी कम्पनी के द्वारा आसाम, पश्चिम बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश आदि जगहों से मजदूरों को लाकर कार्य करवाया जाता है। इन्हें न्यूनतम 290 रू.दैनिक मजदूरी दी जाती है। इसके अलावे न्यूनतम 500 रू. साप्ताहिक खुराकी दी जाती है। किसी को तीन माह और किसी को दो माह से मजदूरी भुगतान नहीं किया जा रहा है। इधर एक सप्ताह से खुराकी की भी राशि अवरूद्ध कर दी गयी है। हाल यह है कि उधार खाने वाले मजदूरों को बनिया अनाज देना ही बंद कर दिया है।

जीपीटी कम्पनी के कोषाध्यक्ष बीके शर्मा मजदूरी देने का वादा किए थेः इस कम्पनी के कोषाध्यक्ष वादा किए थे। 20 अक्टूबर को मजदूरी दे देंगे। सो मजदूरी नहीं देने पर ही रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा से शिकायत की गयी। इस अवसर पर पूर्व मध्य रेल के जीएम मधुरेश कुमार भी उपस्थित थे। बावजूद, इसके 21 अक्टूबर को दोपहर तक भी मजदूरी नहीं दी गयी। इस दिशा में मजदूरों का कहना है कि ठेकेदार गुलाब चन्द्र गुप्ता चाहते हैं कि मजदूरी न देकर मजदूरों को फंसाकर रखा जाए। अगर मजदूरी दी जाएगी तो त्योहार के अवसर पर मजदूर घर जाएंगे तो 10-12 दिनों के बाद ही आएंगे। इससे अच्छा है कि मजदूरी को ही ब्लॉक कर दो। हमलोगों को ठेकेदार बंधुआ मजदूर बनाकर रख दिया है।

मेहनत से काम करने वाले मजदूरों को भोजन नहीं मिलेगा,तब काम कैसे करेंगे? यह तो अधिकारियों को सोचना ही चाहिए। भले ही त्योहार के अवसर पर छुट्टी न दें। कम से कम खुराकी देना बंद नहीं करना चाहिए। यह तो मानवाधिकार का खुला उल्लघंन है।


आलोक कुमार

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