मजदूरों को बंधुआ मजदूर बनाकर रखना
चाहते
इस तरह के रवैये से कार्य अंत नहीं
होगा!
पटना। दीघा से सोनपुर तक गंगा नदी पर
पुल निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2006 से रेल सह सड़क निर्माण किया जा रहा है। करीब 500 मजदूर और करीब 50 इंजीनियर कार्यरत
हैं। जब दीघा में केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा निरीक्षण करने आए थे। तब
मजदूरों ने दो-तीन माह से मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत की थी। मौके पर राज्य
मंत्री ने मजदूरों को मजदूरी भुगतान करने का आदेश दिए। उनके आदेश को ठेंगा दिखाने
से मजदूरों ने कार्य से अलग कर लिया। आज द्वितीय दिन है।
पूर्व मध्य रेल परियोजना में 500 से अधिक मजदूर कार्यशील हैं: दीघा से
सोनपुर तक गंगा नदी पर रेल सह सड़क निर्माण किया जा रहा है। इसे वित्तीय वर्ष 2014-15 तक पूर्ण कर लेना
है। जीपीटी कम्पनी के द्वारा आसाम, पश्चिम बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश आदि जगहों से मजदूरों को लाकर कार्य करवाया जाता
है। इन्हें न्यूनतम 290 रू.दैनिक
मजदूरी दी जाती है। इसके अलावे न्यूनतम 500 रू. साप्ताहिक खुराकी दी जाती है। किसी को तीन माह और
किसी को दो माह से मजदूरी भुगतान नहीं किया जा रहा है। इधर एक सप्ताह से खुराकी की
भी राशि अवरूद्ध कर दी गयी है। हाल यह है कि उधार खाने वाले मजदूरों को बनिया अनाज
देना ही बंद कर दिया है।

मेहनत से काम करने वाले मजदूरों को
भोजन नहीं मिलेगा,तब काम
कैसे करेंगे? यह तो
अधिकारियों को सोचना ही चाहिए। भले ही त्योहार के अवसर पर छुट्टी न दें। कम से कम
खुराकी देना बंद नहीं करना चाहिए। यह तो मानवाधिकार का खुला उल्लघंन है।
आलोक कुमार
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