Wednesday 5 November 2014

पटना नगर निगमकर्मी जिल्लत की जिदंगी जीने को बाध्य



इलाज करवाने की रकम नहीं रहने के कारण निःसंतान हैं कर्मी

गया। प्रदेश के सभी नगर निगमों में मजदूरों का जमकर शरीरिक एवं मानसिक शोषण किया जा रहा है। पटना नगर निगम,बांकीपुर अंचल,नूतन राजधानी अंचल,कंकड़बाग अंचल,गया नगर निगम,जहानाबाद नगर निगम आदि निगमों में गरीब और लाचार मजदूर कार्यरत हैं। ऐसे लोग मजदूर के रूप में मजदूरी शुरू किया करते हैं। दुर्भाग्य से मजदूर ही बने रहते हैं और मजदूर की ही तरह सेवा समाप्ति के उपरांत अवकाश ग्रहण कर जाते हैं।

मजे की बात है कि कुर्सी हथियाने की खातिर माननीय पार्षदसिरफुटोव्वल किया करते हैं। मगर असंगठित मजदूरों की सुधि नहीं लेते हैं। और तो और कल्याणकारी सरकार भी ओर सचेत नहीं है, और उनके द्वारा ध्यान भी नहीं दिया जाता है। एक माह में निगमकर्मी ऊंगली पर गिनकर 26 दिनों की मजदूरी दी जाती है। इस समय निगमकर्मी मजदूरी के रूप में 184 रू. पाते हैं। फिलवक्त इसमें मात्रः 66 रू.की वृद्धि की गयी है। अब मजदूरों को प्रतिदिन 250 रू.मिलेगा। सूत्र बनाते हैं कि नयी दर पर मजदूरी सितम्बर,2014 से मिलनी चाहिए थी। मगर बढ़ी मजदूरी मजदरों को नहीं दी गयी।अब कहा जा रहा है कि अक्टूबर माह से मिलेगा? अभी तक मजदूरों को नवम्बर माह की मजदूरी नहीं मिली है।

बताते चले कि इन मजदूरों के न वर्तमान और न ही भविष्य का ख्याल किया गया है। इनको सिर्फ 26 दिनों की मजदूरी दी जाती है। मजदूरों को मालूम ही नहीं है कि भविष्य निधि क्या होता है? श्रम अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाओं से महरूम कर दिया गया है। चिकित्सा भत्ता,परिवहन भत्ता, आवास भत्ता,नगर निवास भत्ता आदि भत्ता दिन में सपना देखने वाला है। पवन कुमारगौतमनामक सफाईकर्मी कहते हैं कि यहां पर पदोन्नति नहीं किया जाता है। मैट्रिक उर्त्तीण होने के बाद भी झाड़ूचलाना पड़ता है। खैर, इस समय की अलग बात है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी झाड़ूचला रहे हैं। नौ व्यक्तियों के झाड़ू मारने वालों के समूहबना रहे हैं।

सफाईकर्मी पवन कुमारगौतमजाति बंधन तोड़कर मंजू देवी के संग विवाह रचाया। विवाह के 9 साल के बाद भी आंगन में संतान नहीं होने पर दुखित हैं। माली हालत खराब होने के कारण ढंग से इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। अंधविश्वासी इलाज करवाने के बाद चिकित्सक के द्वार पर गए हैं। चिकित्सक लगातार चार माह दवा चलाने को कहे हैं। अगर सरकार और नौकरशाह चाहे तो नगर निगमकर्मियों की माली हालत में सुधार ला सकते हैं। इनको सरकार की ओर संचालित कल्याण और विकास करने वाली योजनाओं से जोड़कर लाभ दिलवाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से स्मार्ट कार्ड निर्गत करके स्वास्थ्य क्षेत्र से लाभान्वित करवाया जा सकता है। आवासहीन मजदूरों को जमीन देकर इंदिरा आवास योजना से मकान बनवाया जा सकता है। यहां पर पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की जा सकती है। इनके बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र से लेकर  प्राथमिक विघालय में भेजकर पढ़ाया जा सकता है। संपूर्ण कार्य नगर निगम के महापौर की दिलचस्पी पर निर्भर है।

इसमें नगर विकास और आवास विकास मंत्री सम्राट चौधरी का दायित्व बन जाता है कि निगमकर्मियों की जिल्लतभरी जिंदगी में सुधार लाए। सर्वें करके हालातों का जायजा लिया जा सकता है।


आलोक कुमार

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