प्रतिदिन 80/-रू. की दर से मानदेय दिया जाता
पदाधिकारी
खुद मोटी रकम डकार रहे………
गया।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में 100 बालिकाओं
का चयन किया जाता है। इस आवासीय वि़द्यालय में 75 प्रतिशत एसटी,एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय से और 25 प्रतिशत पर बीपीएल श्रेणी से भरा जाता है। 10 महिलाकर्मियों के द्वारा बालिकाओं की देखरेख और पढ़ाने का कार्य किया जाता
है। 3 शिक्षक,1 वार्डेन,2 रसोइया,1 मुख्य रसोइया,1 आदेशपाल,1 रात्रिपहर और 1 लेखापाल बहाल किया जाता है। वार्डेन
को 6500 रू.,शिक्षक को 6000रू., मुख्य रसोइया,आदेश पाल व रात्रि प्रहरी को 3000रू.और रसोइया को 2500रू. मानदेय मिलता है। गया में
लेखापाल बहाल नहीं हैं। वार्डेन कार्य देखती हैं।
इस सभी
महिलाकर्मियों की बहाली की गयी है। चार सदस्यीय चयन समिति में शिक्षा अधीक्षक
अध्यक्ष, महिला सामाख्या के जिला कोर्डिनेटर सचिव ,एक प्रधानाध्यापक और एक जन प्रतिनिधि सदस्य थे। गया जिले के
विभिन्न प्रखंडों में कार्य करने के लिए 148 महिलाकर्मियों को 27 सितम्बर 2007 को चयन किया गया। इसमें 45 शिक्षक, 44 रसोइया, 22 आदेशपाल,20 रात्रि प्रहरी और 17 वार्डेन का चयन किया गया। मात्र चयन समिति के सदस्यों का
हस्ताक्षर नहीं होने के कारण महिलाकर्मियों पर वज्रपात कर दिया गया। कार्यालय-जिला
शिक्षा पदाधिकारी,बिहार शिक्षा परियोजना,गया के द्वारा कार्यालय आदेश निर्गत किया गया है। इस में
उल्लेख किया गया है कि गया में कार्यरत कर्मियों का नियोजन 27 सितम्बर 2007 के बाद किया गया
था जो जांच के क्रम में अवैध पाया गया तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान, गया के पत्रांक 03 दिनांक 04 जनवरी 2013 के द्वारा
नियोजन रद्द कर दिया गया।
इस बीच
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारम्भिक
शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान,गया ने ज्ञापांक 2261/गया,दिनांक 12/10/2014को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी,बाराचट्टी को सूचनार्थ प्रेषित कर यह निदेशित किया कि अस्थाई रूप से जो
कर्मी (आदेशपाल,रसोइया,रात्रि प्रहरी इत्यादि) करतूरबा गांधी बालिका विद्यालय में रखे गए हैं।
उनसे इस आशय का सहमति पत्र प्राप्त कर लिया जाए कि स्थाई नियोजन होने तक वे कार्य
करने के इच्छुक है और प्रतिदिन 80/-रू. की दर से
मानदेय प्राप्त करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। वहीं
पदाधिकारी खुद मोटी रकम डकार रहे हैं।
सनद रहे
कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारम्भिक
शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान,गया के द्वारा
श्रम अधिनियम को द्योर उल्लद्यंन किया जा रहा है। वहीं न्यूनतम मजदूरी 184 के बजाए 80 रूपए थमाया जा
रहा है। अब तो सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में 2 रू.का इजाफाकर 186 रूपए कर दी है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य की सचिव विद्यावती सिंह ने पत्रांक 10 दिनांक 20 नवम्बर 2014 को माननीय मुख्यमंत्री, माननीय शिक्षा मंत्री,मुख्य सचिव और
प्रधान सचिव,मानव संसाधन विकास विभाग,पटना को पत्र लिखकर कहा है कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के
गृह जिले गया के हम कर्मी पिछले 7 साल से कस्तूरबा
गांधी बालिका विद्यालय में कार्यरत हैं। हमारी नियुक्ति तमाम प्रक्रियाओं को पालन
करते हुई थी। यह नियुक्ति महिला समाख्या के गया ईकाई द्वारा की गई। जो राज्य सरकार
की नियंत्रित संस्था है। महिला समाख्या एवं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के आपसी
विवाद के कारण सितम्बर 2007 के बाद नियुक्ति
अवैध द्योषित कर रद्द कर दी गयी है। आगे लिखा है कि आपसे मिलकर हमलोगों ने इन
समस्याओं से अवगत कराया है। किन्तु दुःख है कि आपके स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की
गयी। हमलोगों की मांग है कि सितम्बर 2007 के बाद
बहाल कर्मियों की सेवा नियमित करने और छंटनीग्रस्त कर्मियों को काम में वापस करने,
छंटनीग्रस्त कर्मियों से 24 घंटे में 80 रूपए दैनिक मजदूरी देकर काम लेना
बंद करने,जनवरी 2014 से बकाया मानदेय का भुगतान करने और मानदेय वृद्धि के लिए दक्षता परीक्षा
की अनिवार्यता समाप्त करते हुए अप्रैल 2013 से
मानदेय राशि में की गयी वृद्धि का भुगतान करना शामिल है।सामाजिक कार्यकर्ताओं ने
राज्य मानवाधिकार आयोग एवं श्रम आयोग व्यक्तिगत संज्ञान लेकर कार्रवाई करें।
आलोक
कुमार
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