Friday 16 January 2015

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा को 1 लाख रू.देकर संतुष्ट कर दिया

पटना जिले को मिला 4 लाख रू.

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के गृह जिले गया को 2.75 लाख रू.
पटना । शीतलहर के प्रकोप के मद्देनजर सूबे के 38 जिले में 28 लाख रू. आंवटित आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा किया गया। हाड़ कंपा देने वाली पछुआ हवा से बढ़ गयी ठंड के आलोक में आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने 20 लाख 75 हजार रू.की राशि विमुक्त कर दी है।  अब यह राशि बढ़कर 48.75 लाख रू.कर दिया गया है।  इस राशि से पटना जिले को 4 लाख रू. दिया गया। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के गृह जिले गया को 2.75 लाख रू.दिया गया है।पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा को 1 लाख रू.देकर संतुष्ट कर दिया गया। वहीं भागलपुर, सारण, दरभंगा, मुंगेर, पूर्णिया और मुजफ्फपुर जिले को 2.25 रू. दिया गया है।

खुद प्रधान सचिव सड़क पर उतरकर अलाव जलाने का जायजा लिया। मौसम विज्ञानी के अनुसार 14 से 18 जनवरी तक कड़ाके की सर्दी बनी रहेगी।प्रत्येक दिन जिले से आपदा प्रबंधन विभाग को रिपोर्ट प्राप्त होती है। आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर 2491 स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गयी। 2491 स्थानों पर 13 जनवरी तक अबतक मात्रा 623473 किलोग्राम लकड़ी जलाये गये। मात्र 6480 किलोग्राम लकड़ी अधिक 14 जनवरी को जलाया गया। जो अबतक 629950 किलोग्राम लकड़ी जला दिये गये है।इस शीतलहर के प्रकोप में 13 और 14 जनवरी तक 54.32 लाख जनसंख्या प्रभावित हो गयी। इतनी बढ़ी जनसंख्या में विभाग को जिले से किसी तरह की मरने की सूचना नहीं दी गयी है।आपदा प्रबंधन विभाग ने रिपोर्ट प्रेषित करने वाले जिलों को शाबासी देने के लिए 13 जनवरी को दिए गए 28 लाख रू. में 20 लाख 25 हजार रू.में इजाफा कर दिया। अब यह राशि बढ़ 48.25 लाख रू. दिया गया है।इतने से ही धीरज नहीं धरा 14 जनवरी को और 50 हजार रू. बढ़ा दिया। जो अब बढ़कर 48.75 लाख रू. कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 13 जनवरी को 37.07 लाख रू. अघतन व्यय किया गया। 14 जनवरी को 76 हजार रू. खर्च किया गया। इस तरह कुल 37.83 लाख रू. व्यय किया गया। 13 जनवरी और 14 जनवरी तक 43 रैन बसेरा चयनित किया गया। रैन बसेरा में 13 और 14 जनवरी को आश्रय लेने वालों की संख्या 5733 है। 13 जनवरी तक 14605 कम्बल वितरित किया गया। 14 जनवरी को 250 कम्बल वितरित किया गया। इस तरह कुल 14855 कम्बल वितरित किया गया।

एक रैन बसेरा में 20 लोग रह सकते हैं? कल्याणकारी सरकार है। उसी राह पर विभाग के लोग भी चलते हैं।प्रायः शहरों में देखा जाता है।गांव से पलायन होकर मजदूर शहरों में रिक्शा चालक,ठेला चालक,मजदूर आदि बन जाते हैं। ऐसे लोगों को विश्राम करने के लिए शहरों में रैन बसेरा बनाया जाता है। इस तरह की रैन बसेरा में रात्रि-विश्राम की व्यवस्था हेतु बिछावन हेतु पुआल, बिछावन हेतु दरी, कम्बल, पेयजल, अलाव, प्राथमिक उपचार बॉक्स, बक्सा और बिजली-बत्ती की सुविधा उपलब्ध है। इतना रैन बसेरा में कर देने से मानव की न्यूनतम सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है। रैन बसेरा में रहने वालों ने बताया कि यहां के प्राथमिक उपचार बॉक्स में डिटॉल और पट्टी ही उपलब्ध है। इसके अलावे दवा-दारू नहीं है। बीमार पड़ने पर खुद ही खर्च कर बीमारी से छुटकारा पाया जाता है। अभी चार दिनों से अलाव करने की व्यवस्था की गयी है। एक दिन में 40 किलोग्राम लकड़ी उपलब्ध करायी जाती है। अब आप समझ सकते है कि अप्रयाप्त लकड़ी है। इससे रातभर नहीं ताप सकते हैं। जब रात्रि समय सोते समय ठंड लगती है तो बाहर जाकर आग तापकर उर्जा हासिल किया जाता है।


आलोक कुमार   

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