Saturday 17 January 2015

ठंड को देखकर जिलाधिकारी अंकल ने स्कूल बंद करा दिए


आंगनबाड़ी केन्द्र में सेविका बच्चों को पढ़ाती हैं और सेविका गरमा-गरम भोजन बनाती हैं
यहां तो जानवरों को परोसने लायक एमडीएम बनता है?

पटना। ठंड को देखकर जिलाधिकारी अंकल ने स्कूल बंद करा दिए हैं। वहीं आंगनबाड़ी केन्द्र को बंद नहीं किया गया है। समय में हेराफेरी कर दिया गया है। बाहर बजे दिन में बच्चे आते हैं। इन बच्चों को सेविका खेल-खेल में पढ़ाना शुरू कर देती हैं। सहायिका गरमा-गरम खाना बनाने में जूट जाती हैं। जबतक खाना बनता है। बच्चों के द्वारा केन्द्र में किलकारी और धमाल मचाया जाता है। आओं बच्चों एमडीएम तैयार है। मिड डे मील तैयार करने वाली सहायिका चखती हैं। उसके बाद सेविका भी तैयार भोजन को चखती हैं। तब बच्चों को एमडीएम परोसा जाता है। जब बच्चों को भोजन परोसा गया तब बच्चे भोजन को देखते ही गजब सा मुंह बना लिए। उनकी भूख सात समन्दर दूर चली गयी।
यह स्थिति देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी के नाम से निर्मित राजेन्द्र घाट पर संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र की है। बांस की चचरी और ऊपर से हवा नहीं आने के लिए प्लास्टिक लगाकर ही आंगनबाड़ी केन्द्र बना दिया गया है। इसी हालात में आंगनबाड़ी केन्द्र एक साल से संचालित है। अभी-अभी केन्द्र को वजन लेने वाली मशीन मिली है। सेविका ज्ञान्ती देवी कहती हैं कि यहां के अधिकांश बच्चे कुपोषित हैं। अत्यंत कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है। रजिस्ट्रर दिखाती हैं। इसमें ग्रेड बना हुआ है। हरा,पीला और लाल। अधिकांश बच्चे पीला के पाले में पड़ गए हैं। सेविका कहती हैं कि जच्चा और किशोरियों को दाल और चालव देना पड़ता है। हमलोगों को 55 रू.की दर से दाल खरीदने के लिए राशि दी जाती है। बाजार भाव में दाल की कीमत 74 से 80 रू.तक है। प्रति किलो 19 रू. से अधिक व्यय करके दाल खरीदा जाता है। सरकार को और अधिक राशि देनी चाहिए ताकि आसानी से दाल खरीदा जा सके।

हां-हां,यहीं है बच्चों का भोजनः समेकित बाल विकास परियोजना के तहत संचालित है आंगनबाड़ी केन्द्र। संतरी से लेकर मंत्री तक आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण किया करते हैं। पारदर्शिता पर जोर देते हैं। इस केन्द्र की सहायिका अनीता देवी कहती हैं कि केन्द्र में मीनू चार्ट टंगा नहीं है। अगर मीनू चार्ट टंगा रहता है। तो आसानी से मीनू का पता लग जाता है कि आज के दिन बच्चों को क्या भोजन में परोसा गया है। खैर, मीनू चार्ट नहीं भी टंगा रहने से फर्क नहीं पड़ता है। आप खुद ही झूठ नहीं बोलने वाली तस्वीर को देखकर अनुमान लगा सकते हैं। आज बच्चों को भोजन में क्या मिला है। हां, खिचड़ी मिला है। सहायिका ने खिचड़ी बनायी है। इस खिचड़ी में दाल और हल्दी का नामोनिशान नहीं है। बच्चों को बिहार सरकार के द्वारा इसी तरह का पोष्ट्रिक देने वाला आहार बच्चों को दिया जाता है। इसी के बल पर बिहार कुपोषण मुक्त बनेगा? इसमें पोष्ट्रिक आहार रखा गया है। इसे जानवरों को परोस दिया जाएगा। बच्चे अर्द्ध पेट ही भोजन खाकर चले गए होंगे। इस पर कार्रवाई करने की जरूरत है। जांच करने की जरूरत है। कौन करेंगा जांच और कार्रवाई? अगर होना रहता तो बिहार के आंगनबाड़ी केन्द्र का स्वरूप और मिजाज गजब की होती।
आलोक कुमार


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