भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ
जदयू
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार के नेतृत्व में राज्यव्यापी उपवास जारी है। आज शनिवार को 10 बजे से जदयू कार्यालय में 24 घंटे का उपवास शुरू किया गया। रविवार को 10 बजे समाप्त कर दिया जाएगा। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी
ने उपवास-उपवास खेल का उद्घाटन किए थे। अब उसी राह पर जदयू अग्रसर है। इस अवसर पर
मंत्री से लेकर संतरी तक जुटे हैं।
अंग्रेजों के द्वारा 1894 में भूमि अधिग्रहण कानूनः अंग्रेजों के द्वारा 1894 में भूमि अधिग्रहण कानून निर्माण किया गया। 119 साल के बाद यूपीए सरकार ने 2013 में भूमि अधिग्रहण कानून निर्माण करने में कामयाब हो गयी। इस तरह के
कानून निर्माण करने में बीजेपी का भरपूर सहयोग मिला। सत्तासीन होने के बाद एनडीए
सरकार ने भूमि अधिकार संशोधन अध्यादेश -2014 को पेश कर दिया। इसको लेकर संसद से सड़क तक हंगामा किया गया। भूमि अधिकार
संशोधन अध्यादेश -2014 में संशोधन करके लोकसभा से पारित
करवा लिया गया। अब उस विधेयक को राज्यसभा में पेश करना है। जहां पर सत्ताधारी
सांसदों की संख्या कम है। विपक्षी सांसद भूमि अधिकार संशोधन -2014 में संशोधन करने के मूड में नहीं हैं।
राजनीतिक गलियारे में चर्चाः
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘आप’ के पद चिन्हों पर अग्रसर हैं। आम
जनता से माफी मांग रहे हैं। भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को लेकर 24 घंटे का उपवास कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे
के नेतृत्व में जंतर-मंतर पर आंदोलन किया गया। इसमें हजारों की संख्या में किसान
और मजदूर शिरकत किए।
फिलवक्त जदयू भी भूमि अधिग्रहण
संशोधन के खिलाफः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि किसी भी हालत में भूमि
अधिकार संशोधन -2014 में संशोधन करने नहीं देंगे। यूपीए
सरकार के द्वारा निर्मित कानून को ही लागू करवाकर दम लेंगे।कांग्रेस ने 52 तरह के संशोधन पेश किए हैं। इस संशोधन को शामिल करने को
कटिबद्ध है। मोदी सरकार दबाव में हैं। लोक सभा में कुछ संशोधन करके राज्य सभा में
अग्रसारित कर दिया गया है। राज्य सभा में विधेयक को पारित करवाने में सरकार को
पसीना छूट जाएगा। तमाम विपक्षी गोलबंद हैं।
एनडीए समर्थकों को छोड़कर भूमि अधिकार
संशोधन अध्यादेश -2014 के खिलाफत करने वालों की मांग है कि
भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी.बंधोपाध्याय की अनुशंसा को लागू करने का समय आ गया
है। जो लोग भूमि अधिकार संशोधन अध्यादेश -2014 के खिलाफत कर रहे हैं। कई साल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से
मांग कर रहे हैं कि डी.बंधोपाध्याय की अनुशंसा को बिहार में लागू कर दी जाए।
आलोक कुमार
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