अब यहां की गंदगी और लोगों से स्नेह हो चला है
दिल का मामला नहीं यह तो मुख्यमंत्री का मामला है
पटना।
फिल्मी कलाकार शत्रुध्न सिन्हा
के अंदाज में
खामोश! सरकार मुसहरी टोला
को मॉडल टोला
बनाने में लगी
है। इस कार्य
में छोटे से
बड़े अधिकारी लग
गये हैं। महादलित
मुसहरी टोला का
कार्याकल्प में सुधार
हो रहा है।
आजादी के 66 साल
की गंदगी को
दूर करना है।
पहले जो अधिकारी
नाक पर रूमाल
रखकर मुसहरी टोला
में आते थे।
अब यहां की
गंदगी और लोगों
से स्नेह हो
चला है। बाकी
सब आप समझ
ही गये होंगे।
दिल का मामला
नहीं यह तो
मुख्यमंत्री का मामला
है। मुख्यमंत्री जी
का कोपभाजन नहीं
बनना है। मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार को
झंडोत्तोलन करके संदेश
देना है कि
हमने महादलित टोलों
में विकास की
गंगा बहा दी
है। अगर यकीन
न हो तो
राजधानी से महज
20 किलोमीटर की दूरी
पर स्थित बिहटा
प्रखंड के चिरैयाटांड़
महादलित टोला में
आकर तो देख
लिजिए। यहां की
कुरूपता को सुन्दरता
में बदल दिया
है। कुआं के
आसपास बजबजाती जगह
को मिट्टी से
भर दिया है।
पानी निकासी के
लिए नाला को
पानी जमा न
हो तो उसके
लिस पनसोख्ता बना
दिये हैं।
जी
हां, एक ही
मॉडल गांव से
सभी महादलित गांव
का बनाने की
दिशा में छोटे
से बड़े अधिकारी
लग गये हैं।
यह सब हर
हाल में आजादी
की पूर्व संध्या
तक कर लेना
है। समय नहीं
है। काम अधिक
है। आखिर आजादी
के 66 साल में
हो जो विकास
अवरूद्ध हो गया
है उसे किसी
भी हाल में
पूरा कर देना
है। आखिर जो
संदेश देना है।
राज्य के कल्याणकारी
और सुशासन सरकार
ने महादलित टोला
को मॉडल गांव
बनाने का संकल्प
ले रखी है।
आपको तो एक
महादलित टोला को
मॉडल गांव बनाने
की जिम्मेवारी देकर
जनता ने दूसरी
बार मुख्यमंत्री बनाया
है। आपको संपूर्ण
बिहार को ही
मॉडल बनाने का
दायित्व सौंपा गया है।
एक मॉडल टोला
मनाकर वाहवाही लूटने
की आदत तो
छोड़ ही देना
चाहिए। शेष महादलित
टोलों की स्थिति
बद से बदतर
है। सभी महादलित
टोलों को मॉडल
टोला बनाने की
जरूरत है।
हां, जरा खुद ही मिड डे का मील को देख लिजिए:
जहां
आप झंडा लहराने
15 अगस्त को जा
रहे है। किस
तरह बच्चे खाना
खा रहे हैं।
पढ़ने वाले बच्चों
को स्लेट करके
बदले प्लेट थमा
दिया गया है।
कुछ बच्चों के
प्लेट में दाल,भात और
सब्जी नजर आ
रही है। कुछ
के प्लेट से
नदारद है। आखिर
सामग्री कम ही
बनायी है। इसके
कारण सबको खुश
किया नहीं जा
सकता है। मसरक
के बाद भी
मिड डे मील
की स्थिति में
सुधार नहीं है।
मध्य विघालय में
के एक कोना
में बोरा में
बंद करके चावल
रखा गया है।
बोरा से ही
निकालकर भात बनाया
जाता है। वर्तमान
समय के माहौल
में कुछ भी
हो सकता है।
आलोक कुमार