पी.एम. मोदी ने कहा कि पहले सरकारी,दूसरे बंजर और तीसरी खेती योग्य जमीन ली जाएगी
किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों को कुछ नहीं दिया
कटिहार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर किसान को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए रविवार को स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण कानून में प्रस्तावित बदलाव कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए है।
P.M. Narendra Modi |
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशभर के किसानों को संबोधित करते हुए उनसे अपील की कि वे किसी के बहकावे में आकर गुमराह नहीं हों। उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि यह विधेयक उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए है और उनके हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक में किसान का मुआवजा चार गुना किया गया है, भूमि के बदले उसे मुआवजा तो मिलेगा ही उसे कॉरिडॉर बनने की स्थिति में अपने गांव में ही रोजगार मिलेगा और उसके एक बेटे को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
श्री मोदी ने कहा कि पुराने कानून में भूमि अधिग्रहण के संबंध में देश में प्रचलित ऐसी 13 बातों जिनमें सबसे ज्यादा जमीन ली जाती है, को शामिल नहीं किया गया था जैसे रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग और खदान के काम। इन्हें बाहर रखने से इन 13 प्रकार के कामों के लिए जमीन लेने पर किसानों को वही मुआवजा मिलेगा जो पहले वाले कानून से मिलता था।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने नये अध्यादेश में इन 13 बातों को जोड़ दिया और सुनिश्चित किया कि ज़मीन भले रेलवे के लिए हो, भले राजमार्ग बनाने के लिए हो, लेकिन उसका मुआवजा भी किसान को चार गुना तक मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर अध्यादेश न लाया जाता तो किसान की जमीन तो पुराने वाले कानून से जाती रहती लेकिन उसको कोई पैसा नहीं मिलता।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर भ्रम फैलाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तरह की कोशिश गांव और किसान को कमजोर करने के षडयंत्र हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भूमि-अधिग्रहण कानून 120 साल पहले बना था और पिछले 60-65 साल से वही कानून चलाने वाले आज किसानों के हमदर्द बन कर आंदोलन चला रहे हैं। वही लोग 2013 में आनन-फानन में एक नया कानून लाए और किसान के हित में हमने भी उनका साथ दिया। कानून लागू होने के बाद हमें लगा कि किसान के साथ धोखा हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कानून को लेकर राज्यों से भी आवाज़ आई। कानून को बने एक साल हो गया था लेकिन उस समय कांग्रेस शासन वाले महाराष्ट्र और हरियाणा के अलावा कोई राज्य कानून लागू करने को तैयार ही नहीं था इसलिए सरकार को लगा कि इस कानून की खामियों को बदल कर इसमें सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को लगा कि यह कानून पिछली सरकार ने आनन-फानन में बनाया और इसमें कुछ कमियां रह गई हैं इसलिए कमियों को दूर करने की कोशिश की गई। उनका कहना था कि सरकार का इरादा किसानों, उनकी संतानों तथा गांव का भला करना है इसीलिए कानून में एक प्रामाणिक प्रयास करके कमियों को दूर करने की कोशिश की गई।
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