Tuesday 31 March 2015

महादलित विधवा ने अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति करने की मांग की

बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है कहकर द्वार ही बंद कर दिए
वेतनादि का भुगतान मार्च 2000 से मत्स्य विभाग में प्रतिनियुक्ति के पश्चात नियमित

बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0की आर्थिक स्थिति खराब है। यहां के कर्मियों को नियमित वेतनादि भुगतान नहीं हो पा रहा था। सरकार ने कर्मियों की सुधि ली।मुसीबत व तबाही के भव सागर में फंसे कर्मियों को निकालने के क्रम में बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 कर्मियों को मत्स्य विभाग में प्रतिनियुक्ति कर दिया।ऐसा करने से नियमित वेतनादि का भुगतान मार्च 2000 से होने लगा है। बावजूद,इसके मालखोर अधिकारी बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 को खोखला बनाकर रख दिए हैं। अधिकारियों का तकिया कलाम हो गया है कि बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 की आर्थिक स्थिति खराब है। इसके आलोक में मौत के मुंह में समा जाने वाले परिवार के परिजनों को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति नहीं करने का कसम खा लिए है। पेश है आलोक कुमार की विशेष रिपोर्ट।

महादलित विधवा बिमला देवी परेशान हैं।दीघा थानान्तर्गत बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में रहती हैं  बिमला देवी। बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0,मीठापुर पटना में बिमला देवी का पतिदेव मोतीलाल रजक कार्यरत थे। वह चतुर्थवर्गीय पद पर बहाल थे।बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0की आर्थिक स्थिति खराब थी। यहां के कर्मियों को नियमित वेतनादि भुगतान नहीं हो पा रहा था।इस बीच अभाव में जीवन बीताने वाले मोतीलाल रजक बीमार पड़ गए।चिकित्सकों के अनुसार पारालाइसिस अटैक था।बिमला देवी कहती हैं कि काफी इलाज करवाने के बाद से ही कार्यालय जाने लायक हुए थे। तब से नियमित कार्यालय जाने लगे। विधि का विधान के तहत कार्यालय में ही दम तोड़ दिए। गुरूवार 12 नवम्बर,1998 को हादसा हो गया। तब से ही सदमा से उभर नहीं पा रहे हैं।

अभाव में सरकारी सेवक की मौत के बाद सरकार की आंख खुली। सरकार ने यहां के कर्मियों की सुधि ली।मुसीबत व तबाही के भव सागर में फंसे कर्मियों को निकालने के क्रम में सरकार ने बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 कर्मियों को मत्स्य विभाग में प्रतिनियुक्ति कर दिया।ऐसा कर देने से कर्मियों को नियमित वेतनादि का भुगतान मार्च 2000 से होने लगा है। यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त हुई। पाटलिपुत्र थानान्तर्गत उत्तरी नेहरू नगर(राजकीय मध्य विघालय के निकट) में रहने वाले राजेश रजक ने सूचना के अधिकार के तहत पत्रांक 213 दिनांक 22/12/2008 को सूचना मांगी थी।योगेन्द्र कुमार मधुप,लोक सूचना पदाधिकारी,मत्स्य निदेशालय,बिहार,पटना ने पत्रांक 225 पटना दिनांक 24 दिसम्बर 2008 को जानकारी दिए। बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 में तृतीय वर्ग का 51 पद एवं चतुर्थवर्गीय कार्मिक का कुल 45 पद सृजित है। इसके विरूद्ध तृतीय वर्ग के पद पर 22 कार्मिक एवं चतुर्थवर्गीय पद पर 20 कार्मिक कार्यरत हैं। इनके वेतन आदि का भुगतान मार्च 2000 से मत्स्य विभाग में प्रतिनियुक्ति के पश्चात नियमित हो रहा है। वर्ष 1998 के बाद तृतीय वर्ग एवं चतुर्थवर्गीय पद पर किसी प्रकार की नियुक्ति नहीं की गयी है। तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय पदो के विरूद्ध सृजित संख्या एवं कार्यरत बल की संख्या तृतीय वर्ग सृजित पद 51 के विरूद्ध कार्यरत बल 22 है। चतुर्थ वर्ग में सृजित 45 और कार्यरत बल 20 है। बावजूद,इसके मालखोर अधिकारी बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 को खोखला बनाकर रख दिए हैं। अधिकारियों का तकिया कलाम हो गया है कि बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0 की आर्थिक स्थिति खराब है। इसके आलोक में मौत के मुंह में समा जाने वाले परिवार के परिजनों को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति नहीं करने का कसम खा लिए है।

बहरहाल, एक साल से नहीं वरण पूरे 17 साल से विधवा बिमला देवी हलकान हैं। उनके छोटे-छोटे चार बच्ची एवं एक छोटा बच्चा किशोरावस्था में आ गए हैं।पति की छाया उठ जाने के बाद विधवा ने आधी रोटी खाकर बच्चों को पढ़ाई। अब वह बच्चों की शादी को लेकर चिंतित होने लगी हैं।एक परिवारिक समस्या तो द्वितीय सरकारी दफ्तरों में जाकर अनुकम्पा में बहाली को लेकर हर द्वार पर जाकर दस्तक लगा रही हैं। वह अभी तक राज्य के प्रथम व्यक्ति गर्वनर साहब के पास 5 अप्रैल, 2005 को दरखास्त दे चुकी हैं। महामहिम राज्यपाल महोदय को 5 अप्रैल 2005 को लिखे पत्र में बिमला देवी ने लिखा है कि मैंने पूर्व में भी कई आवेदन पत्र श्रीमान् के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी हूं। मुझे पूर्व से ही आश्वासन मिलता रहा कि निदेशक पर्षद के गठन हो जाने के बाद तुमको नियुक्ति पर किया जाएगा। लेकिन निदेशक पर्षद के गठन हो जाने के बाद भी मेरी नियुक्ति पर विचार नहीं  किया गया है।इस संबंध में कई बार सचिव, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग को आवेदन भी दिया गया है। मैं विकट संकट से गुजर रही हूं। मैं एक अबला महिला होकर छोटे-छोटे चार बच्ची एवं एक छोटा बच्चा है। जिसका भरण-पोषण करना बहुत कठिन समस्या बन गयी है। इस आवेदन का भी परिणाम सामने नहीं आया। देखते -देखते दस साल गुजर गया। कोई जवाब नहीं आया। बहुप्रचारित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में जाकर मत्था टेका और वहां से भी कोई परिणाम सामने नहीं आया।

उसी तरह विधवा बिमला देवी ने राम और श्याम यानी रामकृपाल यादव और श्याम रजक के पास भी जाकर फरियाद किए।विधवा महिला होने के नाते बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा के पास भी जाकर आवेदन दिए।सूबे के मंत्री श्याम रजक ने 29 मई 2004 को सचिव, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग,बिहार को लिखे थे। मो0 बिमला देवी, बांसकोठी, दीघा, पटना के संलग्न आवेदन में वर्णित किया है कि इनके पति स्व0 मोती लाल रजक ,मत्स्य निगम, मीठापुर, पटना में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के रूप में पद स्थापित थे। सेवाकाल में ही स्व0 रजक की मृत्यु दिनांक 12.11.1998 को हो गयी। मृत्यु के उपरांत स्व0रजक की विधवा मो0 बिमला देवी की नियुक्ति अनुकम्पा के आधार पर अभी तक नहीं हो पायी है जिससे इनके समक्ष काफी कठिनाई उत्पन्न हो गयी है। अतः आवेदिका की कठिनाई को देखते हुए इनकी नियुक्ति अनुकम्पा के आधार पर करने हेतु शीघ्र कार्रवाई की जाय।

विभिन्न जगहों में आवेदन देकर थकहार कर अन्त में पटना उच्च न्यायालय में मामला दर्ज किया। माननीय पटना उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि 12 नवम्बर,1998 को मत्स्य निदेशालय कार्यालय में दम तोड़ने वाले मोतीलाल रजक की विधवा बिमला देवी को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी में बहाल कर लिया जाए। संचिका सं0- 0/विश्व बैंक परि0-03/2001-1349। मत्स्य निदेशालय,बिहार, पुराना सचिवालय,पटना। दिनांक 30 अगस्त,2011 को निशात अहमद, निदेशक मत्स्य ,बिहार , पटना का आदेशानुसार पत्र बिमला देवी को मिला। इसमें मृतक मोतीलाल रजक को पूर्व आदेशपाल,बिहार राज्य मत्स्य विभाग निगम लि0 लिखा गया है। अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति करने के संबंध में कहा गया कि माननीय मंत्री, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग,बिहार, पटना को दिनांक 08.08.2011 को समर्पित प्रार्थना-पत्र के संबंध में आदेशानुसार कहना है कि इसके पूर्व आपके द्वारा दिनांक 25.04.2011 को विभागीय सचिव महोदय को समर्पित आवेदन की छाया प्रति पर विभाग के द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए समुचित कार्रवाई की    गयी। विचारोपरांत विभाग के द्वारा लिये गये निर्णय की सूचना मत्स्य निदेशालय,बिहार, पटना के पत्रांक- 1061दिनांक 12.07.2011 की छायाप्रति आपको भेजी गयी है।

मत्स्य निदेशालय के उक्त पत्र की छायाप्रति पुनः संलग्न करते हुए कहना है कि बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0, से प्राप्त सूचना/जानकारी के अनुसार निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति हेतु आपसे प्राप्त आवेदन को अस्वीकृति किया गया है।

उल्लेखनीय है कि एल0पी00संख्या-533/2001 में माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि भविष्य में यदि बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम लि0की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है तो वादी को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति हेतु विचार किया जा सकता है। निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम की आर्थिक स्थिति जर्जर है। आपके अभ्यावेदन में यह अंकित है कि निगम की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है, लेकिन निगम की आर्थिक स्थिति कैसे सुदृढ़ है, इस बिन्दू पर आपके द्वारा आवेदन के साथ कोई साक्ष्य संलग्न कर प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति हेतु आपसे प्राप्त आवेदन को अस्वीकृत किया जाता है।

 मत्स्य निदेशालय कार्यालय से जवाब दिया कि माली हालत खराब है। इसमें सुधार आने पर बहाल कर लिया जाएगा। कार्यालय की माली हालत 17 साल से खराब है। वहां पर कार्यरत मजे से जिदंगी काट रहे हैं। पटना उच्च न्यायालय के आदेश को तामील नहीं करने का ठेकेदारी लिया गया है। इसके कारण सेवाकाल में चार परिवारों के परिजन परलोक चले गए हैं। इन परिवारों की हालत चरमाराती चली जा रही है। कार्यालय की माली हालत खराब होने की रट लगाने वाले अधिकारियों को समझाने वालों की जरूरत है।

आलोक कुमार

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