एंड्रु
आंजिलों को 1998
से क्रूस ढोने को बाध्य कर दिया है। वह संत जेवियर हाई स्कूल के परिसर में ‘येसु
समाज‘ के
कार्यालय में कार्यरत थे। बीमार पड़ने के बाद चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र लेकर कार्यालय
गए। प्रमाण-पत्र देकर कहा कि आपसे कार्य नहीं हो सकेगा। कार्य से विमुक्त कर दिया
गया। इसके बाद येसु समाजी फादर विन्सेंट फ्रांसिस के सहयोग से उपभोक्ता फोरम में
मामला दर्ज किया गया। यहां पर मामला जमा नहीं तो 2001 में
श्रम न्यायालय में मामला पेश किया। यहां पर एंड्रु आंजिलों को डिग्री प्राप्त हुआ।
मगर ‘येसु
समाज‘ के
कार्यालय मान्य नहीं दिया। मामला 2013 में पटना उच्च न्यायालय में
रेफर किया गया। माननीय न्यायालय के आदेश से 2013 में ही एक दिन एंड्रु
आंजिलों कार्य करने ‘येसु समाज‘ के कार्यालय में गए। वहां के
अधिकारी फादर ने कहा कि आप माननीय उच्च न्यायालय से डिग्री लेकर आए,तब
जाकर बहाल कर लिया जाएगा। अब सारी निगाहे पटना उच्च न्यायालय पर जाकर टिक गया
है।पेश है आलोक कुमार की विशेष रिपोर्ट।
सूबे के 38 जिलों के गिरजाघरों में पवित्र सप्ताह के दौरान धार्मिक
कार्यक्रम होगा। पवित्र शुक्रवार को ईसा मसीह का शहादत दिवस है। इस दिन ईसा मसीह
सलीब पर चढ़ाकर मार दिए गए थे। इसके साथ ही 40 दिवसीय दुःखभोग का खात्मा हो जाएगा। पवित्र बाइबिल में उल्लेखित ईसा मसीह
सलीब पर चढ़ाने के तीन दिनों के बाद मृत्यु में से जी उठेंगे। इसकी खुशी में पवित्र
शनिवार को अर्द्धरात्रि में धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किया जाएगा। इसके अगले दिन
ईस्टर संडे को सुबह में धार्मिक पूजा आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही ऐतिहासिक घटना
मृतकों में से ईसा मसीह का पुर्नरूत्थान -पर्व (ईस्टर) समाप्त हो जाएगा।
ईसा को मार डालने का षड़यंत्रः ईसा मसीह ने अपने शिष्यों से कहा,‘तुम जानते हो कि दो दिन बाद पास्का पर्व है। तब मानव पुत्र क्रूस पर चढ़ाये
जाने के लिए पकड़वाया जाएगा‘। उसे समय कैफस
नामक प्रधानयाजक के महल में महायाजक और जनता के नेता एकत्र हो गए। सभी आपस में यह
परामर्श किया कि हम किस प्रकार ईसा को छल से गिरफ्तार कर लें और मरवा दें। फिर भी
कहते थे कि पर्व के दिनों में नहीं। कहीं ऐसा न हो कि जनता में हंगामा हो जाए।
ईसा के बारहों शिष्यों में से एक ने चुम्बन देकर पकड़ा दियाः वह ईसा के परम भक्त शिष्य यूदस इसकारियोती है।जो महायाजकों
के पास जाकर कहा कि यदि मैं ईसा को आपलोगों के हवाले कर दूं, तो आप मुझे क्या देने को तैयार हैं? उन्होंने चांदी के तीस सिक्के दिये।संध्या हो जाने पर ईसा बारहों शिष्यों
के साथ भोजन करते समय ईसा ने कहा कि तुम में से एक मुझे पकड़वा देगा। यूदस
इसकारियोती सीधे ईसा के पास कर कहा कि गुरूवर! प्रणाम! और उनका चुम्बन किया। ईसा
ने कहा कि जो करने आए हो, कर लो। तब लोग
आगे बढ़ आये और उन्होंने ईसा को पकड़कर गिरफ्तार कर लिया।
गुड फ्राइडे के
दिन सार्वजनिक छुट्टीः इस अवसर पर ईसाई
धर्मावलम्बी उपवास और परहेज रखेंगे। मौके पर ईसा मसीह के साथ 40 दिनों तक घटित दुःखभोग को झांकी के रूप में पेश किया जाएगा।
इसे 14 मुकाम कहा जाता है। इस बार सुबह और दोपहर
में क्रूस का रास्ता तय किया जाएगा। इसमें ईसा मसीह की तकलीफ को दर्शाया गया है।
भारी भरकम सलीब ढोने के कारण राह में तीन बार गिर जाते हैं। पसीना से तर ब तर हो
जाते हैं। लोग रूमाल से पसीना पोछते हैं। ऐसा करने से मसीह का चेहरा रूमाल में छप
जाता है। सलीब ढोने में कुरेने निवासी सिमोन मिला और उसे ईसा का क्रूस उठा ले चलने
के लिए बाध्य किया। ईसा कहते हैं कि आपलोग मेरे खातिर मत विलाप करे। आप अपने और
अपने परिवार वालों के लिए विलाप करें।
ईसा को पवित्र
शुक्रवार को सलीब पर चढ़ाकर मार डालाः ईसा को
गोलगोथा अर्थात् खोपड़ी की जगह कहलाती है। वहां पर ईसा को क्रूस पर चढ़ाया। दोपहर से
तीसरे पहर तक पूरे प्रदेश पर अंधेरा छाया रहा। लगभग तीसरे पहर ईसा ने ऊंचे स्वर से
पुकारा,एली!एली!लेमा सबाख्रतानी ?इसका अर्थ है- मेरे ईश्वर ! मेरे ईश्वर ! तूने मुझे क्यों त्याग
दिया है? तब ईसा ने ऊंचे स्वर से पुकार कर प्राण
त्याग देते हैं। इस तरह ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाकर मार डाला गया। इस मौत ने मानव
को मृत्युलोक में जाने के बाद पुरूत्थान का मार्ग खोल दिया है।
खुद को
ईसा मसीह के प्रतिनिधि मानने वालों ने एंड्रु आंजिलों को 1998 से क्रूस ढोने को बाध्य कर दिया है। वह संत जेवियर हाई स्कूल
के परिसर में ‘येसु समाज‘ के कार्यालय में कार्यरत थे। बीमार पड़ने के बाद चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र
लेकर कार्यालय गए। प्रमाण-पत्र देकर कहा कि आपसे कार्य नहीं हो सकेगा। कार्य से
विमुक्त कर दिया गया। इसके बाद येसु समाजी फादर विन्सेंट फ्रांसिस के सहयोग से
उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज किया गया। यहां पर मामला जमा नही ंतो 2001 में श्रम न्यायालय में मामला पेश किया। यहां पर एंड्रु
आंजिलों को डिग्री प्राप्त हुआ। मगर ‘येसु समाज‘
के कार्यालय मान्य नहीं दिया। मामला 2013 में पटना उच्च न्यायालय में रेफर किया गया। माननीय न्यायालय
के आदेश से 2013 में ही एक दिन एंड्रु आंजिलों कार्य
करने ‘येसु समाज‘ के कार्यालय में गए। वहां के अधिकारी फादर ने कहा कि आप माननीय उच्च
न्यायालय से डिग्री लेकर आए,तब जाकर बहाल कर
लिया जाएगा। अब सारी निगाहे पटना उच्च न्यायालय पर जाकर टिक गया है।मिशनरी के
द्वारा प्रताड़ित सैकड़ों लोग हैं। जो प्रत्येक दिन क्रूस ढोने को बाध्य हैं। इनके
लिए आंदोलन नहीं किया जाता है। कारण कि मिशनरी शक्तिशाली होते हैं।
आलोक कुमार
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