ईस्टर
संडे के अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान
पवित्र
शनिवार को अर्द्धरात्रि समारोही पूजा
ईसा पूर्ण
सार्मथ्य से होंगे पुनजीर्वित
पटना।
ईसाई समुदाय चालीस दिनों तक गमगीन रहे। महायाजकों की साजिश के तहत पवित्र शुक्रवार
को ईसा मसीह मौत की गोद में चले गए।इसके तीन दिनों के बाद पुर्नजीर्वित हो गए। इसके
साथ ही पवित्र शनिवार के देर रात आयोजित समारोही पूजा के बाद गमगीन रहने वाले ईसाई
समुदाय खुशी में लीन हो जाएंगे।
पवित्र
शुक्रवार को ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाकर मार डाला है। संध्या समय अरिमथिया का एक
धनी सज्जन आया। उसका नाम यूसुफ था और वह भी ईसा का शिष्य बन गया था। उसने पिलातुस
के पास जाकर ईसा का शव मांगा और पिलातुस ने आदेश दिया कि शव उसे सौंप दिया जाए।
यूसुफ ने शव ले जाकर उसे स्वच्छ छालटी के कफन में लपेटा और अपनी कब्र में रख दिया।
जिसे हाल में चट्टान में खुदवाया था और वह चला गया। मरिमय मगदलेना और दूसरी मरियम
वहां कब्र के सामने बैठी रही। उस शुक्रवार के दूसरे दिन महायाजक और फरीसी एक साथ
पिलातुस के यहां गए और बोले कि श्रीमान्! ळमें याद है कि उसे धोखेबाज ने अपने
जीवनकाल में कहा है कि मैं तीन दिन बाद जी उठूंगा। इसलिए तीन दिन तक कब्र की
सुरक्षा का आदेश दिया जाए। तब पत्थर पर मुहर लगायी और पहरा बैठाकर कब्र को
सुरक्षित कर दिया।
विश्राम-दि
के बाद, सप्ताह के प्रथम दिन पौ फटते ही, मरियम मगदलेना और दूसरी मरियम कब्र देखने
आयीं। एकाएक भारी भूकम्प हुआ। प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा , कब्र के
पास आया और पत्थर लुढ़का कर उस पर बैठ गया। उसका मुखमंडल बिजली की तरह चमक रहा था
और उसके वस्त्र हिम के समान उज्जव थे। दूर को देखकर पहरेदार थर-थर कांपने लगे और
मृतक जैसे हो गए। स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा कि डरिए नहीं। मैं जानता हूं कि
आपलोग ईसा को ढूंढ रही हैं, जो सलीब पर चढ़ाये गये थे। वे यहां नहीं है। वे जी उठे हैं, जैसा कि
उन्होंने कहा था। इस ऐतिहासिक घटना को ईसाई समुदाय ईस्टर के रूप में मनाते हैं।
इस
ऐतिहासिक ईस्टर पर्व की संपूर्ण तैयारी कर ली गयी है। चर्च को नयना विराम सजावट से
सजा दिया गया। पवित्र शनिवार को अर्द्धरात्रि और ईस्टर संडे को रविवार को सुबह में
धार्मिक अनुष्ठान अदा किया जाएगा। इस दिन पवित्र जल तैयार किया जाता है।पूजा
समाप्ति के बाद हेप्पी! ईस्टर, पास्का पर्व मुबारक हो कहकर संबोधित किया जाता है। जो 7
अप्रैल से शुरू हो जाएगा। घर-घर जाकर परिवार के सदस्यों को आशीष दी जाती है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि तकलीफ के बाद तत्क्षण हर्ष प्राप्त होता है। इस पर्व को
हमलोग विशेष तौर से मनाते हैं। जन्म तो प्राकृति घटना है। मगर मृतकों में से जी
उठना अनौखी और अद्भूत कृत्य है। घर-घर में पकवान बनाने की व्यवस्था कर ली गयी है।
आलोक
कुमार
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