आज अद्भूत नजारा
देखने को मिला। आसमान में बादल छा गए। रत्नेश,चांदनी और आलबर्ट ने प्राटैस्टैन्ट धर्म स्वीकार किया।
इस दीक्षा समारोह के दौरान ईश्वरीय आशीश के रूप में बारिस होने लगी। जब तीनों
बपतिस्मा ग्रहण कर लिए तो बारिश बंद हो गयी। पेश है आलोक कुमार की विशेष रिपोर्ट।
एक ईसाई
को जिदंगी में 7 तरह का संस्कार मिलता है। अव्वल
ईसाई समुदाय के सदस्य बनने के लिए बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किया जाता है। द्वितीय
पापस्वीकार, तृतीय परमप्रसाद, चतुर्थ दृढ़करण, पंचम विवाह,षठी पुरोहिताभिषेक और सातवीं अंतमलन संस्कार है।ईसा मसीह भी
बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किए थे। इसका उल्लेख पवित्र बाइबिल धर्मग्रंथ में है।योहन
नामक व्यक्ति ने ईसा मसीह को यर्दन नदी के तट पर ले गए। ईसा और योहन यर्दन नदी में
हेल गए।तब योहन ने यर्दन नदी का पानी से ईसा मसीह को बपतिस्मा दे दिया। इसी तरह
प्राटैस्टैन्ट धर्मावलम्बी के पादरी कर रहे हैं। बपतिस्मा ग्रहण करने वालों को नदी
में ले जाकर बपतिस्मा दे रहे हैं।
योहन नामक
व्यक्ति ने ईसा मसीह को यर्दन नदी के तट पर ले गएः ईसा मसीह योहन से बपतिस्मा लेने के लिए गलीलिया से यर्दन के तट पर
पहुंचे। योहन ने ईसा मसीह को रोकने का असफल प्रयास किए। तब योहन ने ईसा से कहा कि ‘मुझे तो आप से बपतिस्मा लेने की जरूरत है और आप मेरे पास आते
हैं।’ इसके उत्तर में ईसा ने कहा कि अभी ऐसा ही
होने दीजिए। योहन से बपतिस्मा लेने के बाद ईसा तुरन्त जल से बाहर निकले। उसी समय
स्वर्ग खुल गया और उन्होंने ईश्वर के आत्मा को कपोत के रूप में उतरते और अपने ऊपर
ठहरते देखा। स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी कि यह मेरा पुत्र है। मैं इस पर अत्यंत
प्रसन्न हूं।
कैसे गंगा नदी
में दिया जाता है बपतिस्माः प्राटैस्टैन्ट
धर्म स्वीकार करने वालों को धर्मशिक्षा दी जाती है। जब ईसाई धर्म को अंगाीकार करने
का खुद से मन बना लेते हैं। तब बपतिस्मा का दिन और तिथि तय कर दिया जाता है। इस
दिन लोग गंगा किनारे आते हैं। गंगा नदी के तट पर प्रार्थना की जाती है और गीत भी
पेश किया जाता है। इसके बाद बपतिस्मा देने वाले पादरी और अन्य लोग नदी में हेल
जाते है। इतना होने के बाद बपतिस्मा ग्रहण करने वाले भी पानी में हेलकर जाते हैं।
वहां पर भी प्रार्थना की जाती है। इसके बाद पीछे करके बपतिस्मा लेने वाले को पानी
में 2 बार डुबकी करवाया जाता है। इसके साथ ही
बपतिस्मा संस्कार का रस्म अदायगी कर लिया जाता है।
रत्नेश,चांदनी और आलबर्ट |
रोमन कैथोलिक धर्म अंगीकार करने वालों को गिरजाघरों में ही
दिया जाता है बपतिस्माः 2015 साल के बाद भी रोमन कैथोलिक गिरजाघर के अंदर ही बपतिस्मा
संस्कार की रस्म अदायगी करते हैं। क्रिसम के समय में तैयार किए गए पवित्र विलेपन
से बपतिस्मा ग्रहण करने वालों अभ्यंग किया जाता है। यहां पर जन्म लेने के कुछ
सप्ताह के बाद ही बच्चों को बपतिस्मा संस्कार दिया जाता है। नामकरण भी होता है।
आलोक कुमार
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