Thursday 9 April 2015

ओलावृष्टि और बारिश से फसलों की नुकसान की भरपाई डेढ़ गुना राशि से

पटना।केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का प्रयास रंग लाया। और किसानों के अच्छे दिन लाने का पीएम मोदी ने ऐलान कर दिए। प्राकृतिक तबाही से नुकसान किसानों को अधिकतम 18 हजार रू. सालभर फसलों की नुकसान से मुआवजा दिया जाएगा। न्यूनतम 2250 रू. मुआवजा निर्धारित किया गया है। ओला और बारिश से फसल नुकसान होने की भरपाई पर डेढ़ गुना राशि दी जाएगी। अभी तक ओलावृष्टि और बारिश से 113 लाख हेक्टेयर फसल की बर्बादी हो गयी है।

केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहाःएनडीआरएफ ने ओलावृष्टि और बारिश से नुकसान 50 प्रतिशत होने पर ही मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू करती थी। एनडीआरएफ के अनुसार सिंचित खेती करने वाले किसानों को 4500 रू. और असिंचित खेती करने वाले किसानों को 9000 रू. प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाता था।न्यूनतम 750 रू.दिया जाता था। सालभर फसल बर्बाद होने पर 12 हजार रू.दिया जाता था। जो बहुत ही कम है।1866 कानून के तहत ही किसानों को मुआवजा दिया जाता है। इसमें संशोधन नहीं होने से किसानों को नुकसान ही नुकसान उठाना पड़ता था। परिवार की माली हालत खराब होने से महाजनों को व्याज सहित कर्ज चुकता नहीं कर पाते है।यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे किसान अभाव में खुदकुशी करने सदृश्य मार्ग चुन लेते हैं।जानकारी के अनुसार इस नीति के कारण ही लाचार किसान आत्महत्या करने को मजबूर थे। 2013 में 11772 किसानों ने खुदकुशी कर लिए थे। कुल 18 साल में 3 लाख किसानों ने आत्महत्या कर लिए हैं। इसको लेकर एनडीए सरकार चिचिंत हैं।

अच्छे दिन लाने के सिलसिले में पीएम मोदी का ऐलानः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐलान किया है कि अब  खेत में लगी फसल की नुकसान का आकलन 33 फीसदी तबाही पर ही किया जाएगा। हाल में ओलावृष्टि और बारिश से तबाही फसलों की भरपाई डेढ़ गुना राशि देकर की जाएगी। अब से सिंचित खेती करने वाले किसानों को 6750 रू. और असिंचित खेती करने वाले किसानों को 13500 रू. प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा। न्यूनतम 1250 रू.दिया जाएगा है।सालभर फसल की तबाही होने पर 18 हजार रू.दिया जाएगा। न्यूनतम 2250 रू.दिया जाएगा। वहीं बैंकों से कहा गया है कि किसानों के कर्ज को पुनर्गठन करें। बीमा कम्पनियों से कहा गया है कि किसानों के दावों को जल्द से जल्द निपटाया करें।

अभी भी बटाईदार मुंह देखते ही रह जाएंगे?इस बार भी बटाईदार सरकार और किसानों के मुंह ही देखेंगे।  किसानों से खेत लेकर खेती करने वाले बटाईदारों के हिस्से में सरकार ने कुछ भी डाला नहीं है।अभी तक किसानों को ही मुआवजा दिया जाता है जिसके पास जमीनी कागजात है।बहुत ही कम किसान हैं जो बटाईदारों को होने वाली तबाही से पसीजकर मुआवजा में हिस्सेदारी देते हैं। सनद रहे कि भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपाध्याय ने अपनी अनुशंसा में बटाईदरों की पहचान जारी करने को कहा था। इनको परिचय पत्र भी देने को कहा था। जो बिहार सरकार ने लागू ही नहीं किया ।

अब किसानों को मुआवजा दिलवाने की जिम्मेवारी राज्य सरकार परःअब राज्य सरकार की जिम्मेवारी बढ़ गयी है। वह अपने राज्य के किसानों को तयशुदा वाजिब मुआवजा दिलवाए। यह समझा जाता है कि पीएम मोदी के द्वारा ऐलान मुआवजा को बीजेपी शासित 12 राज्य में सहज ढंग से लागू कर दिया जाएगा। शेष राज्य में भगवान भरोसे किसानों को मुआवजा मिलेगा? राज्य सरकार को चाहिए कि अन्य योजनाओं की तरह ही राशि इस मुआवजा में बंदरबांट नहीं होने के लिए कारगर कदम उठाए।

दीघा बिन्दटोली के लोग करते हैं मालगुजारी पर खेतीः पटना दियारा क्षेत्र में एक हजार बीघा खेत लेकर खेती करते हैं। बारिश की वजह से फसल नुकसान हुई है। मगर सरकार के द्वारा मुआवजा मिलने का दूर-दूर तक आसार नहीं है। कारण कि इनको किसान ने पहचान पत्र निर्गत नहीं किया है और न ही सरकार के द्वारा ही पहचान की गयी है। ऐसे में फसल की मार खाने के बाद आर्थिक मार भी खाएंगे।

आलोक कुमार


No comments: