Saturday 11 April 2015

भारत सरकार की महत्वांकाक्षी ‘नुरूम’योजना टॉय-टॉय फिस्सः सिस्टर डॉरोथी

विस्थापितों को 5 किलोमीटर के ही दायरे में पुनर्वास करें

पटना। गैर सरकारी संस्था आश्रय अभियान के तत्वावधान में 5 सूत्री मांग को लेकर धरना दिया।पटना शहर में सर्दियों से गरीब लोग रहते हैं। इसे सरकार के द्वारा झोपड़पट्टी यानी स्लम कहा जाता है। स्लम में रहने वालों को सरकार के द्वारा न्यूनतम आवश्यकताओं को पूर्ण करवायी जाती है।इसमें भारत सरकार की महत्वांकाक्षीनुरूमयोजना चलायी जाती है। अपने उद्देश्य में नुरूमयोजना लगभग पटरी से उतरी नजर रही है।

एक दिवसीय धरना में काफी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं। आश्रय अभियान की निदेशिका सह सचिव सिस्टर डॉरोथी फर्नाडिस ने धरना का संचालन किया। उपस्थित लोगों ने मुट्ठी बांधकर जोरदार ढंग से नारा बुलंद किए। जिस जमीन पर हम बसे, जमीन हमारी है, जो जमीन सरकारी है,वो जमीन हमारी है,विकास के नाम पर विस्थापन नहीं चाहिए,पटना शहर हमारा आपका,नहीं किसी का बाप का, हम अपना आवास मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते।

मौके पर आश्रय अभियान की निदेशिका सह सचिव सिस्टर डॉरोथी फर्नाडिस का कहना है कि यह बहुत दुखद परिस्थिति  है। पटना शहरी गरीबों को उनके भूखंड से विस्थापित किया जाता है। सरकार के इशारे पर प्रशासन रौबदार बनकर जबरन गरीबों को भूखंड से खदेड़ देते हैं। एक तरफ राजीव आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को बसाने हेतु सरकार के द्वारा सघन सर्वे अभियान चलाया गया। फिर भी प्रशासन द्वारा गरीबों को हटाने की कार्रवाई करने से बाज नहीं रहे हैं। अभियान की सचिव सिस्टर डॉरोथी ने घोर आश्चर्य जताया और कहा कि सरकार की क्रियाकलाप समझ से परे है। इसमें आखिरकार सरकार की दुरंगी नीति का बू रही है। बिहार में वर्ष 2005 में शहरी गरीबों को आवास मुहैया कराने हेतु भारत सरकार की महत्वांकाक्षी नुरूमयोजना आयी थी। जो बिहार में टॉय-टॉय फिस्स साबित हो रही है। अभी शहरी गरीबों को बसाने हेतु राजीव आवास योजना लायी गयी है। इस योजना के तहत व्यापक सर्वे किया गया। जिस पर अमल नहीं किया जा रहा है। 

सामाजिक कार्यनेत्री सिस्टर डॉरोथी ने कहा कि मलाही पकड़ी रेनबो फिल्ड स्लम को नाला उड़ाही के नाम पर हटा दिया गया है। हजारों की संख्या परिवार बेघर हो गए। पटना शहर के स्लम में दोनों स्लम सबसे पुराना स्लम है। उसी तरह प्रशासन की तलवार वार्ड नम्बर 9 में रहने वाले सहगड्डी मस्जिद स्लम वालों पर लटक रही है। यहां पर सरकार के द्वारा इको पार्क का विस्तार की जा रही है। अब विकास के नाम पर गरीबों को उजाड़ देना निश्चित है। विकास का मतलब यह नहीं है कि राज्य के संस्कृति सभ्यता को ध्वस्त कर दिया जाए। हमलोगों की संस्कृति बिहार की संस्कृति गरीब मजदूर एवं किसान ही हैं।

धरनाार्थियों की मांग है कि राजीव आवास योजनान्तर्गत पटना शहर के सभी पटना नगर निगम द्वारा चिन्हित 112 स्लमों को शीघ्र बसाया जाए। पटना नगर निगम द्वारा जो स्लम चिन्हित नहीं है उसे चिन्हित करते हुए शीघ्र बसाया जाए। दीघा रेलवे क्रोसिंग के नजदीक बसे स्लमों यथा आर.ब्लॉक,धोबी घाट,पुनाई चक,शिवपुरी,दीघा को विस्थापित करने से पूर्व 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर ही कहीं पुनर्वासित किया जाए। नाले के किनारे बसे मलाही पकड़ी एवं रेनबो फिल्ड स्मलम को नाला उड़ाही के दरम्यान प्रशासन द्वारा हटाये जाने के पश्चात 5 किलोमीटर के दायरे मेें कहीं भी बसाया जाए। हार्डिग रोड यथा हज भवन के पीछे स्थित सहगड्डी मस्जिद स्लम का शीघ्र कराया जाए।

इन सब मांगों को लेकर विस्तार से विचार व्यक्त करने वालों में सर्वश्री सुगम्बर पासवान, गोबिन्द बसंल, दिलीप पटेल, रामाशीष ठाकुर,राजेश मंडल,रंजीत चंदवंशी,धनंजय यादव,सुदर्शन, मनोज, चमरू राम, अवधेश पाण्डे, रामेश्वर बिंद, राजेश मल्लिक के साथ रूकमणि देवी, आशा देवी, तनुजा, सरस्वती देवी, उर्मिला देवी,शमीमा खातुन,लालती देवी थे।


आलोक कुमार

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