ईसाई
समुदाय द्वारा गुड फ्राइडे मनाया गया
पटना। आज
संपूर्ण संसार में परम्परागत ढंग से गुड फ्राइडे मनाया गया।खीस्तीय विश्वासियों ने
ईश पुत्र ईसा मसीह के दुःखभोग और क्रूस-मरण की यादगारी में क्रूस की यात्रा को
पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूरा किए। श्रद्धालुगण लगभग अपने मन और दिल को
प्रार्थनामय कर दिए। हरेक स्तर के कार्यक्रम में लगन से भाग लिए। वैसे तो चालीसा
के उपवास के दौरान भक्ति से लोग रोज ही क्रूस की यात्रा करते हैं।
राजधानी
पटना में स्थित लोयला उच्च विघालय से सुबह 5.30 बजे जुलूस के रूप में जीवंत झांकी
निकाली गयी। कुर्जी मोड़ से निकलकर मुख्य मार्ग से होकर जब जुलूस कुर्जी पल्ली के
प्राँगण में पहुँचा तोे झाँकियों में निर्मित ईसा की दुःखभरी दास्तानों के साथ
क्रूस की यात्रा तय किए। इन सभी चौदह मुकामों को भक्तिमय तरीके से प्रस्तुत किया
गया। प्रस्तुति इतनी मर्म-भेदी थी कि इन दृश्यों को देख श्रद्धालुओं की आंख में
आंसू भर आयी।कई भक्तगण रो पड़े।
जीवंत
झांकी के निदेशक विक्टर फ्रांसिस हैं। इनके ही निदेशन में नौ पुरुष, आठ
स्त्रियों और छह बच्चों ने मिलकर झाँकियों को उच्चतम प्रस्तुति कर सके। उल्लेखनीय
है कि विक्टर फ्रांसिस के द्वारा निर्देशित झांकियों का निर्देशन करने के अलावे
ईसा मसीह के रूप में अमिट छाप छोड़ने वाले अभिनय भी किया। डाकुओं के रूप में
चार्ल्स सिल्वेस्टर और सुनील जॉन,
माँ मरियम के रूप में श्रीमती रेखा, वेरोनिका
के रूप में श्रीमती फिलोमीना बेसरा आदि ने अहम किरदारी की भूमिका अदा की।
आज दोपहर
को 3.30 बजे अन्य धर्म विधियाँ प्रारंभ हुई जिसका संचालन फादर जॉनसन केलकत ये॰स॰
ने किया। दोपहर की इन धर्म-विधियों में करीब 5000 लोग भाग लिए। इस पावन पूजन विधियों
में ईसा के अंतिम भोजन के बाद से मृत्यु और दफन क्रिया तक के घटना-क्रमों को
पवित्र बाइबिल से पाठ पढ़ कर सुनाया गया। अपने उपदेश में ईसा के उस उत्कृष्ट प्रेम
का हवाला देते हुए उन्होंने निःस्वार्थ प्रेम के बारे में समझाया। इसके बाद पवित्र
क्रूस की उपासना की गई। साल भर में पवित्र शुक्रवार और पवित्र शनिवार को
मिस्सा-पूजा नहीं होती है। इस लिए केवल परमसाद बाँटा गया। धार्मिक विधियों के
समाप्ति के बाद भी भक्त जन पवित्र क्रूस की उपासना जारी रखे।
ईश पुत्र
ईसा इस दुनिया में प्रेम और अमन का संदेश लेकर आया। उनके जीवनदायी संदेशों जो
ग्रहण नहीं कर सके उन्होंने ईसा को अपने प्रतिद्वंति के रूप में देखा और उन्हें
किसी भी तरह समाप्त करने की सोच में लगे रहे। ईसा के पार्थिव जीवन के अंतिम एक
सप्ताह को दुनिया भर के सभी ईसाई पवित्र सप्ताह के रूप में मनाते हैं। यह खजूर
रविवार से ईस्टर रविवार तक की अवधि है।
इसी
सप्ताह के गुरुवार को पुण्य वृहस्पतिवार कहते हैं जहाँ ईसाके इपने चेलों के साथ
अंतिम भोजन की याद किया जाता है। इस वर्ष पुण्य बृहस्पतिवार अप्रैल 02 को पड़ा।
इस भोजन के समय उन्होंने अपने चेलों के पैर धो कर प्रेम और सेवा का यह महान पाठ
पढ़ाया है। इसकी यादगारी में कुर्जी चर्च के पल्ली पुरोहित फा॰ जॉनसन, ये॰स॰ ने
अपने पल्ली के बारह प्रतिनिधिों का पैर धोये जिनमे छः महिलाएँ भी थी। कुर्जी पल्ली
के इतिहास में यह पहली बार है जब महिलाओं का पैर धोये गये।
इस बीच
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के पूर्व संयोजक सिसिल साह के
संचालन में सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित की गयी। इसमें प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक
चौधरी आदि उपस्थित होकर विचार व्यक्त किए। एंग्लो-इंडियन समुदाय के द्वारा रक्तदान
किया गया। 30 लोगों ने रक्तदान किया। इसकी जानकारी कैथरिन दानिएल ने दी
है। कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में रक्तदान करके 30 पॉकेट रक्तदान कर दिया गया। हॉस्पिटल की प्रशासिका
सिस्टर के अनुसार रक्त को गरीबों और जरूरतमंदों के बीच में वितरण करेंगी। जिसे
जरूरत पड़ेगा, उसे दिया जाएगा।
आलोक
कुमार
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