पटना। बिहार विधान सभा
में प्रतिपक्ष के नेता हैं नंद किशोर यादव। पेयजल की समस्या को लेकर बांकीपुर
विधान सभा के प्रतिनिधि नवीन किशोर उपवास पर थे। विधायक 25
घंटे के उपवास पर थे। उनका उपवास तोड़वाने के बाद प्रतिपक्ष के नेता पहुंचे बिहार
राज्य साक्षरता प्रेरक संघ के अनशन स्थल पर। अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान सरकार
गूंगी और बहरी है। ऐसी सरकार के सामने जान भी देने से फर्क पड़ने वाला नहीं है।
आपलोग अनशन करके जान जोखिम में मत डाले। अनशन को तोड़कर जनांदोलन शुरू करें। इसमें
भारतीय जनता पार्टी और मेरा व्यक्तिगत सहयोग प्राप्त होगा।
बिहार
राज्य साक्षरता प्रेरक संघ के बैनर तले ऐतिहासिक गांधी मैदान के बगल में स्थित
कारगिल चौक पर 11 मई से 11 सूत्री मांग को लेकर बेमियादी अनशन पर हैं। अनशन करने वालों में सर्वश्री
इन्द्रभूषण कुमार, संतोष कुमार,रंजीत कुमार यादव,ईश्वरी सिंह,
ललन कुमार, गोविन्द कुमार,रामजी राम, सुश्री पुष्पा
कुमारी, कंचन कुमारी, कुमारी विघा, सरीता झा,शिखा कुमारी,मंजू कुमारी,सावित्री देवी और बरकत उल्लाह आदि हैं। 72 घंटे के बाद भी चिकित्सक आकर अनशनकारियों की सुधि नहीं लिए। हारकर निजी
चिकित्सकों की सेवा ली गयी। विनायक पालिका प्रायवेट हॉस्पिटल के चिकित्सक और
स्वास्थ्यकर्मी आए थे। बिहार राज्य साक्षरता प्रेरक संघ के प्रदेश सचिव ने कहा कि
सरकार की सौतेलेपन रवैया के कारण 14 मई को सड़क मार्च
और 12 बजकर 30 बजे आत्मदाह करने का निश्चय लिए हैं।
सितम्बर 2011 से साक्षरता प्रेरकों की बहाली प्रारंभः साक्षर भारत मिशन
योजनान्तर्गत भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और जन शिक्षा निदेशालय,बिहार के द्वारा निरक्षता को खदेड़ने के लिए बिहार सरकार के
रोस्टर क्लियर करने के बाद 18 हजार 500 साक्षरता प्रेरकों की नियुक्ति की गयी है। मैट्रिक उर्त्तीण
और अनुभव रखने वालों को बहाल किया गया है। 38 जिले के सभी पंचायतों में बहाल हैं। एक पंचायत में 2 साक्षरता प्रेरकों को बहाल किया जाता है। निरक्षर 10 महिला और 10 पुरूषों को
साक्षर किया जाता है। इन नव साक्षरों 6 माह के
बाद महापरीक्षा में बैठकर परीक्षा देकर सफल होकर साक्षरों के गढ़ में प्रवेश करते
हैं। इस महाकार्य में 10 वीं कक्षा के 30 विघार्थियों का चयन करके सहयोग लिया जाता है। इनके महाकार्य
में जुड़ने से मैट्रिक की परीक्षा में 20 ग्रेस
मार्क दिया जाता है।
केन्द्र
और राज्य सरकार की विकासशील योजनाओं में योगदानः साक्षरता प्रेरकों के द्वारा
केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों को देते हैं। उन योजनाओं से
लाभ लेने का मार्ग बताते और सहयोग करते हैं। स्वयं सहायता समूह का निर्माण करते
हैं। मतदाता जागरूकता अभियान चलाते हैं। पारिवारिक सर्वे करते हैं। वंचित समुदाय
के बच्चों को विघालय में दाखिला दिलवाते हैं। बच्चों के अभिभावकों के बीच में
शिक्षा के प्रति चिंगारी लगाकर मशाल का रूप धारण करवाते हैं।
नुक्कड़
नाटक का मंचन भी करते हैंः साक्षरता प्रेरकों के द्वारा नुक्कड़ नाटकों का मंचन
किया जाता है। कुपोषण मुक्त बिहार और बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का मंचन कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन करने से पंचायत और गांवघर
में गहरा प्रभाव पड़ता है। इसका प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
पंचायत
लोक शिक्षा केन्द्र पर सूर्य ग्रहणः केन्द्र और राज्य सरकार की नीयत ठीक नहीं।
सितम्बर 2011 में पंचायत लोक शिक्षा केन्द्र खोला
गया। इसके रखरखाव के लिए 2250 रूपए तय किया
गया। ऊंगली पर गिनकर चार माह तक 2250 रू.निर्गत किया
गया। इसके बाद राशि पर ही सूर्य ग्रहण लग गया। वहीं सितम्बर 2011 से चयनित साक्षरता प्रेरकों को 2 हजार रूपए मासिक मानदेय निर्धारित किया गया। उक्त मानदेय में 4 साल के अंदर बढ़ोतरी नहीं की गयी। जबकि केन्द्र और राज्य
सरकार के कर्मचारियों को मोटी रकम देने के साथ साल में दो बार मंहगाई भत्ता दिया
जाता है। वहीं सरकार के ही द्वारा न्यूनतम मजदूरी निर्धारित सालाना किया जाता है।
मगर साक्षरता प्रेरकों के मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की गयी। और तो और पिछले 24 महीने से मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है।
आलोक
कुमार
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