Thursday 25 June 2015

और मंत्री आश्वासन देते हैं तो नौकरशाह पी.आर.एस. से पंचायत सचिव का कार्य करवाते

जब पी.आर.एस. को पदोन्नत कर पंचायत सचिव करने की माँग करते 



तो मिलती लाठी और बर्खास्तगी 

पटना। जब बच्चे मम्मी से कहा करते थे कि मम्मी भूख लगी है, तब मम्मी खुश होकर कहती थीं कि सिर्फ 2 मिनट ठहर जाओं, मैं मैगी बना देती हूँ।जब इसी तर्ज पर आंदोलनरत पंचायत रोजगार सेवक (पी.आर.एस.) ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार से निवेदन किए थे कि सभी पंचायत रोजगार सेवकों को पंचायत सचिव बना दें,तब मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि मुझे 2 दिनों का समय दें। इस ओर आवश्यक निर्णय ले लिया जाएगा। मंत्री जी का आश्वासन के बाद ही मंत्री आवास को घेरने वाले घेराव बंद कर दिए थे। ठीक मैगी की तरह ही मंत्री जी का आश्वासन फेल हो गया। 

इस बीच ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा पंचायत रोजगार सेवकों पर दमन का चक्र तेज कर दिया। नौकरशाहों ने पीआरएस को बर्खास्त करने पर अमादा है। आज पुनःपीआरएस मंत्री श्रवण कुमार के आवास का घेराव किए। मंत्री महोदय सुबह 7 बजे तक घर में विराजगान थे। सूचना मिलते ही घर से फरार हो गए। जानकारी के अनुसार क्षेत्र भ्रमण पर निकल गए हैं। पीआरएस जमकर मंत्री जी के आवास को घेरे रहा। डीएसपी के संग अन्य पुलिस बल जम गए। पीआरएस को गिरफ्तार कर सचिवालय थाना लाया गया। यहाँ पर पर पीआरएस को रखा गया है।
इस समय बिहार पंचायत रोजगार सेवक संघ के बैनर तले 1 मई 2015 से बेमियादी धरना कारगिल चौक के बगल में जारी है। एक सूत्री माँग है कि पंचायत रोजगार सेवकों को पदोन्नत कर पंचायत सचिव बना दें। हालांकि, इस बाबत खुद मंत्री ने ही आश्वासन दिए है और नौकरशाह पंचायत सचिव का कार्य करवाया है। एक सूत्री माँग को असरदार करने के उद्देश्य से समय-समय पर अहिंसात्मक आंदोलन को तेज किया जाता है। नंग धड़ग प्रदर्शन किए। आंदोलन करने के दरम्यान आंदोलनकारियों को पुलिस ने फ्रेजर रोड पर पहुँचने के बाद दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। 

पी.आर.एस. कुमार सुधांशु चौबे का कहना है कि हमलोग बी.सी.सी.ई.से विधिवत परीक्षा,साक्षात्कार एवं चिकित्सकीय जांच के उपरांत वर्ष 2007 में बिहार में पंचायत रोजगार सेवकों की बहाली की गई। इनका दुर्भाग्य यह रहा कि विज्ञापन और साक्षात्कार के समय बताया नहीं गया कि पंचायत रोजगार सेवक का पद मिलेगा। उसी विज्ञापन और साक्षात्कार के बाद अन्य कुछ लोगों को पंचायत सचिव बना दिया गया। इनको राज्यकर्मी घोषित कर मोटी रकम थमा दी गयी। अभी लोग मौज मस्ती के समंदर में समा गए हैं। वहीं शेष लोगों को पंरोसे बनाकर नरेगा में ढकेल दिया गया। 2 साल के संविदा होने के बावजूद सरकार अभी तक लगातार 8 साल से काम ले रही है। अभी मानदेय के रूप में 6 हजार रूपए देय है। 

आलोक कुमार

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