घोटालाबाजों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देना बंद करों |
दिल्ली में धरना और बिहार में विरोध मार्च
दिल्ली में संसद और बिहार विधान सभा में हंगामा
संसद 13 और
विधान
सभा
7 अगस्त
को
सत्रावसान
पटना। देश के ‘माननीय’ आंदोलन करने पर उतारू हैं। केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री से त्याग पत्र देने की मांग कर रहे हैं। सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने कहा है कि हम यूपीए नहीं एनडीए हैं। मंत्रियों का त्याग पत्र देने का सवाल ही नहीं उठता है। इसको लेकर गतिरोध उत्पन्न हो गया। 11 दिनों
से
संसद
में
गतिरोध
बरकरार
है।
वहीं
बिहार
विधान
सभा
में
प्रथम
कार्य
दिवस
हंगामा
के
हवाले
चढ़
गया।
संसद
को
प्रति
मिनट
चलाने
में
ढाई
लाख
रू.व्यय करना पड़ता है। 11 दिनों
में
158 करोड़
रू.बर्बाद हो गया। संसद में 10 फीसदी
और
राज्य
सभा
में
7 फीसदी
कार्य
सम्पादित
किया
गया।
तब
के
विपक्ष
एनडीए
ने
2 जी
मसले
पर
30 दिनों
तक
संसद
की
पहिया
जाम
कर
दिए
थे।
कोयला
घोटाला, कलमाडी प्रकरण, पवन बंसल, अश्विनी कुमार से जुड़े लोगों मंत्रियों से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे।
बांह पर कालीपट्टी बांधकर विरोध किया
|
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1989 में
63 सांसदों
को
3 दिनों
के
लिए
निलम्बित
करने
में
अहम
किरदार
अदा
किए
थे।
2014 में
आंध्रप्रदेश
के
18 सांसद
निलम्बित
किए
गए।
अभी
2015 में
कांग्रेस
के
25 सदस्य
5 दिनों
के
लिए
निलम्बित
हैं।
इसके
विरोध
में
दिल्ली
धरना
और
बिहार
में
विरोध
मार्च
किया
गया।
अभी
संसद
में
कांग्रेस
के
44 संसद
सदस्य
हैं।
इसमें
25 निलम्बित
हैं।
इनके
समर्थन
में
19 संसद
सदस्य
संसद
का
वहिष्कार
कर
रहे
हैं।
आलोक कुमार
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