बिहार के
मुख्यमंत्री के नाम से बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोईया संयुक्त संघर्ष समिति,
बिहार का खुला पत्र
मध्याह्न
भोजन रसोईया के वेतनवृद्धि सहित अन्य मांगों के संबंध में ज्ञापन
पटना।
बिहार के विभिन्न जिला से आए मध्याह्न भोजन बनाने वाले रसोईया का दिनांक 4 अगस्त 2015 से आरंभ तीन
दिवसीय महाधरना एवं प्रदर्शन के माध्यम से आपका ध्यान मांगों एवं समस्या की ओर
खींचते हुए, इसके तत्काल समाधान की अपेक्षा रखते
हैं।
भारत में
भूख एवं कुपोषण को मिटाने एवं गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए देश
के तमाम प्रारंभिक विघालयों में मध्याह्न भोजन योजना कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम को सजमीन पर सफल बनाने में रसोईया की महत्वपूर्ण एवं केन्द्रीय
भूमिका है। मध्याह्न भोजन रसोईया की विशाल संख्या दलित, महादलित, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, विधवा एवं कमजोर वर्ग की महिलाओं की है। जिन्हें अत्यंत कम
मानदेय पर काम करना पड़ता है तथा सामाजिक भेदभाव का भी जगह -जगह शिकार होना पड़ता
है। प्रायः विघालय खुलने से पहले तथा विघालय बंद होने के बाद तक बत्रन की सफाई,
पोछा लगाने, खाना
बनाने, बच्चों को खिलाने तथा साफ सफाई करने यानी 8 से 9 घंटे तक हाड़तोड़
मेहनत के एवज में रसोईया को प्रतिमाह मात्र 1 हजार रू. मानदेय वह भी साल में 10 माह का
पारिश्रमिक के रूप में दिया जाता है। जिसका औसत दैनिक मजदूरी मात्र 27.40 पैसा पड़ता है। जो केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा घोषित
न्यूनतम मजदूरी से भी अत्यंत कम है। विगत दिनों बिहार सरकार द्वारा रसोईया के
मानदेय में 1 हजार रू. प्रतिमाह बढ़ोतरी की घोषणा
की गई लेकिन वह न्यूनतम बढ़ोतरी की घोषणा भी लागू नहीं हो पाया। नियुक्ति पत्र/
परिचय पत्र के अभाव में रोज व रोज रसोईया को बात-बात पर काम से हटा देने की धमकी
एवं किरकिरी सहनी पड़ती है। वर्षों से काम करने के बावजूद पेंशन सहित अन्य किसी
सामाजिक सुरक्षा के अभाव में बुढ़ापे इन्हें जीवन-यापन के लिए दूसरों पर आश्रित
होना पड़ता है। देश के विभिन्न राज्यों जैसे केरल,हरियाणा,कर्नाटक,त्रिपुरा,हिमाचल प्रदेश,झारखंड आदि राज्यों के रसोईया को 2500 से 6000 रू0 प्रतिमाह मानदेय सहित अन्य सुविधा केन्द्र सरकार के अतिरिक्त राज्य सरकार
द्वारा दी जा रही है।
इस तीन
दिवसीय महाधरना एवं प्रदर्शन के माध्यम से यह मांग करते हैं कि 1. रसोईया की सेवा को नियमित कर वेतनमान लागू किया जाय। 2.
वेतनमान लागू होने तक रसोईया को सम्मानजनक जिदंगी जीने
लायक न्यूनतम मानदेय का गारंटी किया जाय। तत्काल 1000 रू0 प्रतिमाह मानदेय बढ़ोतरी की घोषणा को
अभिलम्ब लागू किया जाय। 3. सभी कार्यरत
रसोईया को नियुक्ति पत्र/ परिचय पत्र निर्गत किया जाय तथा मनमाने ढंग से रसोईया को
हटाने पर सख्ती से रोक लगाया जाय एवं हटाए गए रसोईया को पुनः काम पर वापस लिया
जाय। 4. 62 वर्ष से अधिक उम्र के रसोईया के लिए पेंशन
योजना का प्रावधान किया जाय। उम्र के आधार पर हटाए गए रसोईया को पेंशन योजना होने
तक कार्य रसोईया के परिवार को प्राथमिकता के आधार पर बहाल किया जाय। 5. रसोईया को वर्ष में दो ड्रेस मुहैया कराया जाय। 6. रसोईया के मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में
खाता के माध्यम से किया जाय तथा वर्ष में 10 माह के बजाय 12 महीने के मानदेय का भुगतान किया
जाय। 7. अन्य विभागों की तरह रसोईया को भी आकस्मिक
अवकाश , मातृत्व अवकाश तथा विशेष अवकाश की सुविधा
प्रदान किया जाय। 8. कार्यरत रसोईया की मृत्यु होने पर
उसके आश्रितों को प्राथमिकता के आधार पर बहाल किया जाय। 9. ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत अन्य मजदूर यूनियनों की तरह रसोईया यूनियन को भी
निबंधन का प्रावधान सुनिश्चित किया जाय। 10. रसोईया को व्यक्तिगत एवं सामूहिक संबंध बनाने के लिए टॉल फ्री नम्बर
विभागीय स्तर पर उपलब्ध कराया जाय। 11. एम0डी0एम0 योजना को स्वयं सेवी संस्थाओं, निजी
ठेकेदारों एवं कॉपोरेट के हाथों सौंपने की साजिश एवं तैयारी पर पूर्णतः अंकुश
लगाया जाय।
उपरोक्त
मांगों पर यदि विचार नहीं किया गया तो बाध्य होकर पूरे बिहार के मध्याह्न भोजन बंद
किया जायेगा। हस्ताक्षर
करने वालों में विनोद कुमार, संयोजक , बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोईया संयुक्त संघर्ष समिति,
प्रमोद कुमार, अध्यक्ष,
बिहार राज्य मध्याह्न भोजन कर्मी संघ,बिहार, उद्यन चन्द्र राय,
प्रांतीय संयोजक, विनोद विद्रोही, संयोजक सदस्य,
वशिष्ठ राउत, बेबी
भारती और राकेश चन्द्रवंशी शामिल हैं।
आलोक
कुमार
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