Wednesday 2 September 2015

अखबार को देखकर हंसते हैं और सरकारी सूचना देखकर रोते हैं


हाल है दीघा बिन्द टोली के लोगों का बदहाल

पटना।दीघा थानान्तर्गत पड़ता है दीघा बिन्द टोली। यहां पर 215 से अधिक परिवार के लोग रहते हैं। सरकार ने 2004 में सामुदायिक भवन निर्माण करवायी है। इसमें आंगनबाड़ी केन्द्र और उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है। यहां के गरीब लोग मोटी रकम देकर मालगुलजारी पर खेत लेकर खेती करते हैं। इस बीच रोड निर्माण करने के नाम पर बिन्द टोली को उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि यहां के लोग खासमहल जमीन पर रहते हैं। वहीं यहां के लोगों का कहना है कि रैयती जमीन पर रहते हैं। फिलवक्त मामला पटना उच्च न्यायालय के अधीन विचाराधीन है।

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने सरकार के पक्ष जानकार आरंभ में आदेश दिया कि 15 दिनों के अंदर बिन्द टोली को खाली करा दें। आदेश में कहा गया कि विस्थापन के पहले लोगों को पुनर्वास कर दें। तब सरकार ने कुर्जी दियाया क्षेत्र में पुनर्वास करने की बात कह रही थी। इस समय बाढ़ का पानी जमीन पर चढ़ जाता है और कई लोगों की मौत गंगा नदी में डूब जाने से हो गयी है। 

दीघा बिन्द टोली के लोगों का कहना है कि यह रैयती जमीन है। पटना उच्च न्यायालय के एकल पीठ ने बतौर आदेश जारी कर चुका है। अब डबल बेंच के माध्यम से माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पुर्नविचार के लिए आवेदन दिया गया है। अभी तक 5 बार डबल बेंच में सुनवाई हो गयी है। 2 सितम्बर को भी सुनवाई होने वाली है। यहां के लोग डबल बेंच के वरीय अधिवक्ता को फीस के रूप में 65 हजार रू. देते हैं। 2 हजार रू. कागजात में व्यय होती है। इस तरह एक सुनवाई में 67 हजार रू.खर्च करते हैं। यह राशि दीघा बिन्द टोली के लोग देते हैं। जो रैयती जमीन पर रहते हैं। उनको प्रति कट्टा 5 सौ रू. देना पड़ता है। हर सुनवाई में चंदा बटोरते हैं। 

यहां के लोगों का कहना है कि अखबार में सरकार के द्वारा बयान दिया जाता है कि हमलोग जमीन देकर पुनर्वास करेंगे। अखबार की खबर सुन और पढ़कर हमलोग हंसते हैं। अभी यह हंसी खत्म नहीं होती कि सरकार के द्वारा सूचना दी जाती है कि 48 घंटे के अंदर बिन्द टोली खाली कर दें। इस नोटिस को लेकर हमलोग रोते हैं। बिन्द टोली के लोग दुखित हैं। इन लोगों के साथ जरूर ही न्याय करना चाहिए। 

आलोक कुमार 


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