झोपड़ी में रहने वालों से घर देने की मांग करने लगे स्मार्ट कार्ड बनाने वाले
महादलितों के घाव पर नमक का छिड़काव
|
159 घरों के महादलित रविदास बेघर हो गए |
दानापुर। आज भी विस्थापन का दंश झेलने को बाध्य हैं महादलित। कई दशक से दानापुर अंचल अन्तर्गत पुरानी पानापुर दियारा क्षेत्र के रविदास टोला में महादलित रविदास रहते थे। यहाँ पर प्रत्येक साल गंगा नदी के उफान आने से कटाव होता था। गंगा नदी में आए वर्ष 2013 के
भंयकर
उफान
से
159 घरों
के
महादलित
रविदास
बेघर
हो
गए।किसी
तरह
से
500 से
अधिक
लोग
गंगा
नदी
के
गर्भ
से
निकल
पाए।
दानापुर
अनुमंडल
प्रशासन
ने
प्रखंड
कार्यालय,दानापुर के परिसर में विस्थापितों को पनाह दिए।
विस्थापित सीताराम के पुत्र विनोद राम ने बताया कि हमलोग प्रखंड कार्यालय,दानापुर के परिसर में 2 साल
3 माह
से
रहते
आ रहे हैं। पॉलिथिन तानकर झोपड़ी बना रखे हैं। यहाँ पर काफी दिक्कत है। शौचालय का अभाव है। यहाँ-वहाँ पर नित्यक्रम किया जाता है। इस प्रखंड के अंचलाधिकारी के द्वारा आश्वासन दिया गया कि 159 घर
के
विस्थापित
मुखियों
को
3 डिसमिल
जमीन
देकर
पुनर्वास
कर
देंगे।
यह
आश्वासन
कोरा
साबित
प्रतीक
हो
रहा
है।
|
दानापुर अनुमंडल प्रशासन ने प्रखंड कार्यालय,दानापुर के परिसर में |
पुरानी पानापुर दियारा क्षेत्र के रविदास टोला में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित था। इस केन्द्र की सेविका उर्मिला देवी हैं। उन्होंने परिसर में ही आंगनबाड़ी केन्द्र खोल दिया है। यहाँ की सेविका और सहायिका पर बेहतर ढंग से सेवा कर रही हैं। सेविका पति जवाहर राम कहते हैं कि महादलितों का राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड बना है। आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से 2 बार
स्मार्ट
कार्ड
का
नवीनीकरण
किया
गया।
दुर्भाग्य
से
स्मार्ट
कार्ड
का
नवीनीकरण
करने
वाले
लोग
आए
थे।
इन
लोगों
ने
हम
झोपड़ी
नसीब
लोगों
से
घर
देने
की
माँग
करने
लगे।
हमलोगों
ने
आंगनबाड़ी
केन्द्र
में
बिजली
की
सुविधाओं
के
साथ
अन्य
व्यवस्था
कर
दी।
मगर
नवीनीकरण
करने
आए
लोगों
ने
जिद्द
करके
घर
का
ही
माँग
करने
लगे।
तब
उन
लोगों
से
कहा
गया
कि
आपलोग
बीडीओ
साहब
के
दफ्तर
में
चले
जाए
और
उनसे कार्यालय में जगह देने का आग्रह करें।फिर 5 माह के बाद भी नवीनीकरण करने नहीं आए। इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
विस्थापित सीताराम ने कहा कि दानापुर प्रखंड के बीडीओ और सीओ ने हम विस्थापितों को परिसर से बाहर करने का दर्जनों बार प्रयास किया।हमलोगों ने डटकर कहा कि जबतक सरकारी पैमाने के अनुसार 3 डिसमिल
जमीन
नहीं
दी
जाती,तबतक प्रखंड परिसर से खिंसकेंगे नहीं।
आलोक कुमार, मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट, पटना।
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