वर्ष 2014 के जनवरी-जून में 250 दंगा
वर्ष 2015 के जनवरी-जून में 330 दंगा
दादरी। सौहादपूर्ण वातावरण में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक रहते हैं। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोग एकदूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं। किसी तरह की मजहबी दीवार नहीं थी। मिलकर अभी-अभी बकरीद पर्व मनाए थे।
इस बीच 28 सितम्बर
2015 की
काली
रात
आ गयी। खुदा के घर (दादरी मंदिर) से अफवाह प्रसार की गयी। अफवाह ने जुनून पैदा कर दिया। नफरत से भरे कोई 50 से अधिक लोगों ने अल्पसंख्यक मोहम्मद अखलाक के घर पर धावा बोल दिया। लाठीधारियों ने मोहम्मद अखलाख (50 साल) और उसके पुत्र दानिश को जमकर पिटायी करने लगे। इसका परिणाम जल्द से ही सामने आ गया। मोहम्मद अखलाख दम तोड़ दिए। वहीं बेहाल दानिश को अस्पताल पहुंचाया गया। जहां दानिश की हालत चिन्ताजनक है।
इस संदर्भ में दादरी के पुजारी महंत सुखलाल कहते हैं कि 28 सितम्बर
2015 की
रात
करीब
दस
बजे
बिसहाड़ा
गांव
के
नौजवान
आए
थे।
कोई
10 की
संख्या
में
थे।
बुखार
से
परेशान
होने
के
बाद
भी
महंत
जी
को
जबरदस्ती
करने
लगे।
मंदिर
के
लाउडस्पीकर
से
एलान
कर
दें
कि
मोहम्मद
अखलाख
के
घर
में
बीफ
पका
है।यहां
पर
गौ
हत्या
की
गयी
है।
गौ
माता
के
कुछ
टुकड़ों
को
मोहम्मद
अखलाक
के
परिवार
वालों
ने
इधर-उधर फेंक दिया है।
पुजारी महंत सुखलाल के द्वारा लाउडस्पीकर से एनाउंसमेंट करने के बाद ही कोई 50 से अधिक नौजवान मोहम्मद अखलाक के घर आ धमके। इन लोगों के हाथों में लाठी आदि था। आते ही मो.अखलाक और उसके पुत्र दानिश की पिटायी करने लगे। इस तरह की पिटाई से मौके पर मो. अखलाक की मौत हो गयी और उसके पुत्र दानिश अस्पताल में भर्त्ती है। दानिश की हालत खराब है। इस तरह अमानवीय व्यवहार करने से अल्पसंख्यकों में खौफ बरकरार है। प्रभावित परिवार के लोग सदमे में आ गए हैं। मोहम्मद अखलाक की पुत्री शाइस्ता ने कहा कि हमलोग एक मिनट भी बिसहाड़ा गांव में रहना नहीं चाहते हैं। परिवार वालों ने सी.बी.आई. से जांच करवाने की मांग की है।
इस बीच बिसहाड़ा गांव में तनाव व्याप्त है। इसके आलोक में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।उत्तर प्रदेश के सी.एम. अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार वालों को बतौर 10 लाख रू. मुआवजा दिया है। सी.एम. श्री यादव ने दानिश की बहन शाइस्ता को पचास हजार रू.दिए हैं। क्षेत्रीय सांसद केन्द्रीय मंत्री और महेश शर्मा ने कहा कि यह हादसा है। अफवाहों के कारण जान चली गयी है। कहने वाले कहते हैं कि पी.एम. नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गया है। साम्प्रदायिक शक्तियों का बोलबाला है। अब बहुसंख्यक ही अल्पसंख्यकों के भोजन,कपड़ा,भाषा आदि का निर्धारण करने लगे हैं। इसका विरोध करने वाले बहुसंख्यकों के कोपभाजन बनने लगे हैं। मोदी के शासनकाल में अबतक देशभर में 330 बार दंगे हुए हैं। इसमें 62 लोगों की जान चली गयी है।
आकड़ों के सहारे स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2014 के जनवरी-जून माह तक 250 बार दंगा हुआ। वहीं वर्ष 2015 के जनवरी-जून माह तक 330 बार दंगा हुआ। वर्ष 2014 की तुलना में 80 बार दंगा अधिक हुआ। इसको रोकने में मोदी सरकार अक्षम है। चुनाव के मौसम में दंगा भड़काने का प्रयास राजनीतिक दल के नेताओं के द्वारा किया जाता है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 133,महाराष्ट्र में 97,गुजरात में 74,कर्नाटक में 73 और राजस्थान में 72। अकेले उत्तर प्रदेश में 2012 में 118 दंगे में 39 लोगों की मौत हो गयी। 2013 में 247 दंगे में 77 लोगों की जान चली गयी। 2014 में 133 दंगे में 26 लोगों की मौत हो गयी। 2015 में 68 दंगे में 10 लोगों की जान चली गयी। इस बीच गृह मंत्रालय ने यू.पी.के सी.एम.अखिलेश यादव से ग्रेटर नोएडा के हादसे की रिपोर्ट मांगी है। बीफ को जांच के लिए मथुरा भेज दिया गया है। अबतक 7 बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 3 नामजद फरार हैं। इसको लेकर राजनीति यौवन पर है।
आलोक कुमार
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