Saturday, 31 October 2015

गाँधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल सम्मानित


 दिल्ली। आज पूर्व (महरूम) प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की जयंती है। इस अवसर पर एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष गाँधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल को सम्मानित किया गया।


प्रसिद्ध गाँधीवादी हैं राजगोपाल पी.व्ही. गांधी शांति प्रतिष्ठान,नयी दिल्ली के उपाध्यक्ष थे। सत्तर के दशक में सेवा ग्राम में कृषि के छात्र थे। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर एकता परिषद नामक जन संगठन का निर्माण किया। तभी एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष बनाए गए। यू.पी..सरकार के कार्यकाल में जनादेश 2007 में भूमि अधिकार अभियान के तहत ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा का सफल नेतृत्व महानायक के रूप में किए। 25 हजार वंचित समुदाय पांव-पांव चले। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार आयोग के सम्मानित सदस्य रहे।राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को लागू करने की मांग को लेकर ग्वालियर से आगरा तक जन सत्याग्रह 2012 के तहत पदयात्रा किए। 75 हजार से अधिक लोग पदयात्रा में शिरकत किए। इस पदयात्रा का भी महानायक थे।केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में गठित लैंड ट्रास्क फोर्स के सम्मानित सदस्य हैं। यू.पी..सरकार द्वारा निर्मित भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का समर्थन किए। इस कानून के समर्थन में पदयात्रा किए।

एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रनसिंह परमार ने बताया कि राष्ट्रीय एकता एवम् सद्भावना के विचार को जो इन्दिरा गांधी को हृदय से प्रेम था, बनाए रखने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने शताब्दी वर्ष में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार की स्थापना की थी, जिसे व्यक्तिगत रूप से या संस्थाओं को इस निमित्त किए गए अनुकरणीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। वर्ष 2013 एवं 2014 के 29वें इन्दिरा गांधी पुरस्कार से श्री राजगोपाल पी.व्ही. को देश में राष्ट्रीय एकता हेतु की गई सेवाओं को प्रोन्नत एवम् संरक्षित करने के लिए अलंकृत किया गया। बतौर पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र एवम् 10.00 लाख रूपये की नकद राशि दी गयी।जिसे कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने शनिवार को महरूम इन्दिरा गांधी के बलिदान दिवस 31 अक्टूबर 2015 को नई दिल्ली में प्रदान किया गया।

एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक अनीश के ने बताया कि राजगोपाल उर्फ राजा जी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न मुद्दों पर अहिंसात्मक तरीके से देश में एकता बनाये रखने के लिए काम किया। चम्बल घाटी में विकास और शांति स्थापना के राजगोपाल के प्रयासों के बारे में उन्होने कहा कि राजगोपाल पी.व्ही. का सम्बंध चम्बल घाटी में 70 के दशक से रहा है, जब बागी आत्मसमर्पण की घटना हुई थी। इसके बाद उन्होने बागियों के पुनर्वास कार्य को आगे बढाया और वंचितों के जमीन और जंगल के अधिकार के लिए अभियान चलाया। 80 के दशक में सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा उनको बंधुआ मुक्ति के लिए आयुक्त भी नियुक्त किया गया था। हजारों की संख्या में बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराकर उनको पुनर्वास कराने का कार्य किया। देश के विभिन्न क्षेत्रों में युवा शिविर, पदयात्रा और रैलियों के माध्यम से वंचितों के जीवन जीने के साधनों पर अधिकार के लिए अहिंसात्मक संघर्ष-संवाद और राष्ट्रीय एकता को बढावा देने का निंरतर कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस सदर सोनिया गांधी,मोती लाल बोरा आद उपस्थित थें।

आलोक कुमार, मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।





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