थाली पर
से भातएदाल और सब्जी नदारद
दीघा नहर
के किनारे रहती हैं मंजू
पटना।
मानव के शरीर में कार्बोहाइट्रेड,प्रोटीन,वसा,आयरन आदि की जरूरत है।यह सब खाद्य सामग्री से प्राप्त होता
है। गरीबों की थाली से दाल नदारद है। इसका असर शरीर पर पड़ता है। इस बच्ची को
कुपोषण हो गया है। मासूम बच्ची के शरीर में प्रोटीन की कमी है। यह रामजीचक दीघा
नहर के किनारे रहने वाली मंजू देवी की पुत्री मंगरी कुमारी है। इसे दाल खाने को
नहीं मिलता है। सभी तरह की हरी सब्जी और घासकर दूध देने वाली गाय के दूध सेवन नहीं
कर पाते हैं। एक लीटर काउ मिल्क 35 रू.में मिलता है।
कुपोषण को
लेकर गरीब और अशिक्षित लोग अलग अर्थ प्रदान करते हैं। कुपोषण को सूखौनी कहते हैं।
सूखौनी को झारफूंक कराकर भगाने का प्रयास करते हैं। किसी माली के पास ले जाकर
सूखौनी को झरवाते हैं। एक तरह की जड़ी है। इस जड़ी को पीठ पर लगाया जाता है। पीठ पर
जड़ी लगाने से फोड़ा उत्पन्न हो जाता है। बाद में घाव बन जाता है। इसका निशान बच्ची
के पीठ पर देखा जा सकता है। इसी तरह पान और जड़ी-बुट्टी मिलाकर पीठ पर लगाया जाता
है। इसके बाद सूखौनी झारने वाले कहते हैं कि डायन के द्वारा कर देने से कीड़ा निकल
रहा है।
यह सब इस
लिए होता है कि सरकार की सरकारी सेवा निकम्मापन के शिकार है। स्वास्थ्य सेवा पहुँच
नहीं पाता है। गरीब तो गाँवघर के झोलाछाप चिकित्सक और ओझाओं के मायावी जाल में
फंसकर रह जाते हैं। वहीं एनजीओ गरीबों के नाम से लाखों रूपए डकारने के बाद भी
गरीबों की सेवा करने में पीछे रह जाती है। डोनर को कागजी औपचारिकता पूर्ण करके खुश
करते रहते हैं। इसका खामियाजा गरीब ही भुगते हैं।
आलोक
कुमार, मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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