Wednesday 18 November 2015

अचानक मौसम में परिर्वतन होने से भगवान दिवाकर विराजमान हुए नहीं



सर्द हवा और कोहरे ने व्रततियों को हिलाकर रख दिया

दलदल के कारण पर्वव्रतियों ने लोटा से ही पानी भरकर शरीर पर डाला


पटना। चार दिवसीय महाछठ के चौथे दिन उगते भगवान दिवाकर अर्घ्यदान किए। घर आकर पारन किए। इसके बाद प्रसाद ग्रहण किए। इसके साथ ही महापर्व छठ का समापन हो गया। श्रद्धालु परिवार के सदस्यों ने घर के आसपास रहने वालों के बीच में प्रसाद वितरण किए। प्रसाद में टेकुवा, केला, सेव,पानीफल आदि था।

खैर, कोहरे की वजह से सूर्य भगवान विराजमान नहीं हो सके। कल छठ व्रततियों ने डूबते भगवान भास्कर को अर्घ्यदान करके नमन कर घर चले गए। श्रद्धालुओं के घरों में रतजंगी रही। तड़के उठकर गंगा नदी की ओर चले पड़े। वाहनों को नियंत्रित करने वाले पुलिस बलों का कहना है कि श्रद्धालुगण 2 बजे से ही घाट पर पहुंचना शुरू कर दिए थे। यहां पर भगवान दिवाकर का इंतजार करने लगे। इस बीच मौसम में बदलाव आ गया। ठंडी हवा चलने चलने लगी। ठंडी हवा चलने से श्रद्धालु हिल गए। पूर्व की तरह हिम्मत जुटा नहीं पा रहे थे कि गंगा नदी में उतरकर सूर्य भगवान को इंतजार कर सके। मौसम विभाग के अनुसार तय समय पर व्रती गंगा में उतरकर अर्घ्यदान करने लगे। कई तो पानी में उतरने के बदले भूमि पर ही खड़ा होकर अर्घ्यदान किए। वहीं दलदल होने के कारण व्रती लोटा में पानी भर कर नहाने लगे।

मनौती पूर्ण होने के बाद व्रतियों ने जी खोलकर प्रसाद वितरण किए। सबसे पहले गया में रहने वाली कुष्ठ रोगी महिला को प्रसाद वितरण किए। पैसा भी दिए। इसके बाद पूजा समिति के सदस्यों को भी प्रसाद दिए। घर आकर पड़ोसी लोगों के बीच में प्रसाद वितरण किए। बुडको द्वारा गेट नम्बर-93 का शानदार तोरण-़द्वार बनाया गया था। इस द्वार के सामने भगवान भास्कर की प्रतिमा स्थापित किया गया। जो देखने लायक है।

प्रदेश से बाहर से आने वाले लोग घर से प्रस्थान करने लगे हैं। रेलवे विभाग की ओर से बिहार में रोजाना 238 रेलगाड़ियों का परिचालन होता है। जो महापर्व के अवसर पर अपर्याप्त है। इसके आलोक में पूर्व मध्य रेलवे ने अतिरिक्त 41 जोड़ी गाड़ी का परिचालन करने का निर्णय लिया है। इससे सफर करने वालों को फायदा होगा।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट, पटना।





No comments: