केन्द्रीय सरकार बना रही है कानून

नियम का उद्देश्य है कि देश भर में बच्चे गोद लेने की व्यवस्था एक ही तरह की हो। काम ‘ऑन लाइन’ होगा और मांग के अनुसार प्राथमिकता होगी। अविवाहित स्त्री लड़के या लड़की को गोद ले सकती हैं, लेकिन अविवाहित पुरूष केवल लड़के को ले सकता है।
माता-पिता उन बच्चों के फोटो, उनके स्वास्थ्य का इतिहास देख सकते हैं। फादर चिनायन, सी.बी.सी.आई. के सचिव ने कहा कि यह बच्चों की प्रतिष्ठा के विरूद्ध है। सी.बी.सी.आई. सिस्टरों के निर्णय का समर्थन करती है।

दिल्ली के सी.बी.सी.आई.सेन्टर में आयोजित एक सभा में सभी सदस्यों ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा सरकार के बदले रूख व नीति के कारण, जो संस्था एवं चर्च की बुनियादी नीति के खिलाफ है, अपने सभी केन्द्रों को बन्द करने के निर्णय का स्वागत किया। सी.बी.सी.आई. सेक्रेटरी जेनेरल आर्चबिशप आल्बर्ट डिसूजा ने उक्त कमिटी का गठन किया, जो नई नीति का अध्ययन करने एवं चर्च के अन्य ऐसे केन्द्रों का सार्थक ढंग से चलाने के लिए समुचित मार्गदर्शन करेगी। ‘हमें हर हाल में यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे केवल वही गोद ले सकते हैं, जो उन्हें मानव गरिमा एवं प्यार देंगे और संपूर्ण ख्याल करेंगे’, आर्चबिशप ने कहा।
बदली नीति के अनुसार कोई एकल व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है और उसे किन्हीं छः बच्चों में से एक का चयन करने का मौका दिया जाएगा। चर्च इन दोनों प्रावधानों का विरोध करता है।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट, पटना।
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