Wednesday 18 November 2015

चैरिटी मिशनरियों द्वारा बच्चे गोद देने का कार्य बन्द करने की घोषणा

केन्द्रीय सरकार बना रही है कानून
पटना। परोपकार की मिशनरियों ने , जिसकी संस्थापिका धन्य मदर तेरेसा हैं,भारत में बच्चों को गोद लेने वालों के लिए चला रहे अपने केन्द्रों को बन्द करने का निर्णय किया। इस निर्णय का कारण सरकार का एक नया नियय है, जिसके अनुसार जो परम्परागत परिवारों में नहीं हैं, यानी अविवाहित , तलाकशुदा, समलैंगिक आदि। वे भी बच्चा गोद ले सकते हैं। मदर तेरेसा के सिद्धांत और नए नियम मेल नहीं खाते है। संस्था पूरे भारत में कई अनाथालय चलाती है, जिनमें 18 ऐसे केन्द्र हैं, जो सरकारी मान्यता प्राप्त है और बच्चा गोद लेना चाहने वालों को बच्चा प्रदान करते हैं। ‘ अब हम भारत में इन 18 केन्द्रों को बन्द कर देना चाहती हैं, क्योंकि सरकार का यह नया नियम हमारे सिद्धांतों के विरूद्ध हैं,’ मिशनरी संस्था की मौजूदा उच्चाधिकारी सिस्टर मेरी प्रेमा ने कहा। 

नियम का उद्देश्य है कि देश भर में बच्चे गोद लेने की व्यवस्था एक ही तरह की हो। काम ‘ऑन लाइन’ होगा और मांग के अनुसार प्राथमिकता होगी। अविवाहित स्त्री लड़के या लड़की को गोद ले सकती हैं, लेकिन अविवाहित पुरूष केवल लड़के को ले सकता है। 

माता-पिता उन बच्चों के फोटो, उनके स्वास्थ्य का इतिहास देख सकते हैं। फादर चिनायन, सी.बी.सी.आई. के सचिव ने कहा कि यह बच्चों की प्रतिष्ठा के विरूद्ध है। सी.बी.सी.आई. सिस्टरों के निर्णय का समर्थन करती है। 
सिस्टरे पूरे दिल से अविवाहित माताओं, अल्पपोषित और विकलांग बच्चों की अपनी सभी संस्थानों में बिना रंग,जाति और धर्म देखे सेवा करती रहेगी। लेकिन इस नए नियम के मद्देनजर सिस्टरों ने स्वेच्छा से बच्चा गोद देने का काम बन्द कर दिया। चर्च करेगा बच्चे गोद लेने संबंधी नियम का अवलोकनः कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेन्स ऑफ इंडिया ने न्यायविदों के विशेषज्ञ दल का गठन कर उसे बच्चे गोद लेने-देने वाली नई सरकारी नीति व कानून का अध्ययन करने का जिम्मा सौंप दिया है। हाल में सी.बी.सी.आई.की कानून व जनहित याचिका कमिटी ने बच्चा गोद लेने संबंधी नई सरकारी नीति पर चिन्ता जताई थी।
दिल्ली के सी.बी.सी.आई.सेन्टर में आयोजित एक सभा में सभी सदस्यों ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा सरकार के बदले रूख व नीति के कारण, जो संस्था एवं चर्च की बुनियादी नीति के खिलाफ है, अपने सभी केन्द्रों को बन्द करने के निर्णय का स्वागत किया। सी.बी.सी.आई. सेक्रेटरी जेनेरल आर्चबिशप आल्बर्ट डिसूजा ने उक्त कमिटी का गठन किया, जो नई नीति का अध्ययन करने एवं चर्च के अन्य ऐसे केन्द्रों का सार्थक ढंग से चलाने के लिए समुचित मार्गदर्शन करेगी। ‘हमें हर हाल में यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे केवल वही गोद ले सकते हैं, जो उन्हें मानव गरिमा एवं प्यार देंगे और संपूर्ण ख्याल करेंगे’, आर्चबिशप ने कहा। 
बदली नीति के अनुसार कोई एकल व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है और उसे किन्हीं छः बच्चों में से एक का चयन करने का मौका दिया जाएगा। चर्च इन दोनों प्रावधानों का विरोध करता है। 
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट, पटना। 


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