Monday 2 November 2015

अंतिम व्यक्ति को संगठित कर ही होगा सर्वाेदय साकारः राजगोपाल

दिल्ली में जारी सर्वोदय समाज सम्मेलन का दूसरा दिन

भूमि अधिकार और विश्वशांति पर रहा केन्द्रित


नई दिल्ली, 2 नवम्बर। हरिजन सेवक संघ, गाँधी आश्रम, दिल्ली के परिसर में चल रहे 46 वां अखिल भारतीय सर्वोदय सम्मेलन के दूसरे दिन का केन्द्रबिन्दु भूमि अधिकार, अंत्योदय से सर्वाेदय और विश्व शांति के लिए सर्वोदय की पहल रहा। इस समागम में भारत के अलावा दुनिया भर में शांति के लिए पहल कर रहे कनाडा, मैक्सिको, जर्मनी, नेपाल, भुटान, बर्लिन आदि देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। भूमि अधिकार पर बोलते हुए एकता परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष पी. व्ही. राजगोपाल ने कहा कि, सर्वाेदय के दर्शन को संस्था से मुक्त कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक ले जाना होगा। सर्वाेदय संस्थाओं में समेटने की चीज नहीं है।

सर्वाेदय समाज की क्या भूमिका हो.......
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, निर्णय लेने का हक निचले स्तर पर होना चाहिए और जीवन जीने के संसाधनों पर आम लोगों का हक होना चाहिए। लेकिन, यह व्यवहार में नहीं है। जल-जंगल-जमीन पर कब्ज़ा दिल्ली वालों का है। त्रासदी यह है कि, ये बातें व्यवहार में नहीं हैं। समाज के अंतिम व्यक्ति तक ना तो नौकरशाह ही जा रहा है ना ही राजनीतिक दल और सर्वोदय वाले नहीं जाएं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण नहीं होगा? अंत्योदय से सर्वोदय की कल्पना तभी साकार हो सकती है जब हम अंतिम जन को संबोधित करें। देश में बीस फीसदी दलित आठ फीसदी आदिवासी, ग्यारह फीसदी घुमन्तु, दो फीसदी मछुआरे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस समाज को संगठित करने की लोक आस्था है। आज जन आंदोलन, टुकड़े-टुकड़े में हो रहे हैं। इस आंदोलनों को सारे भेद-भाव भुलाकर अंतिम व्यक्ति के हक में काम करना होगा। वहीं उन्होंने कहा कि, भौगोलिकरण की दूनिया में अंतिम व्यक्ति के लिए वैश्विक संगठन, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को जवाबदेह बनाना होगा। सरकारें इन्हीं का हवाला देकर फैंसला लेती हैं। वर्ष 2019 महात्मा गाँधी के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने को है। इस मौके पर वैश्विक पहल की जा रही है और जय- जगत, 2020 की परिकल्पना की गई है। सर्वाेदय समाज की क्या भूमिका हो, इस दिशा में पहल करने की जरूरत है।

इससे पूर्व 46वां अखिल भारतीय सर्वोदय समाज सम्मेलन के संयोजक आदित्य पटनायक ने कहा कि, सर्वोदय के दर्शन से भावी पीढ़ी को वाकिफ कराने की जरूरत है ताकि वे सर्वोदय के माध्यम से मौजूदा चुनौतियों का किस प्रकार मुकाबला कर सकें और देश में संगठित ताकत के रूप में युवा शक्ति उभरे। यही इस सम्मेलन का मकसद है। सम्मेलन के माध्यम से अनेक नए युवा जुड़े हैं उन्होंने उम्मीद जताई कि वे व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई को मज़बूत करेंगे।

बात को आगे बढ़ाते हुए स्वामी अग्निवेश ने कहा कि, सृष्टि के संसाधनों को त्यागपूर्वक भोगने का अधिकार सबको है लेकिन हम प्रकृति के संसाधनों का निर्ममता से उपभोग कर रहे हैं। उन्होंने बहस को आध्यात्म की ओर मोड़ते हुए कहा कि मनुष्यमात्र को एक परिवार मानकर आगे बढ़ने से नफरत की दीवारें मिटेंगी। उन्होंने कहा कि, गाँधी पहले करते थे, फिर कहते थे। उनके इस सिद्धांत ने हमें प्रभावित किया और अंतिम व्यक्ति के लिए कार्य करने के लिए वे प्रेरित हुए। उन्होंने कहा कि आज जो नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं उसे हर हाल में ध्वस्त करने की जरूरत है। इसके साथी ही शराबबंदी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाने की जरूरत है। इसमें हमारी सक्रिय भूमिका आपेक्षित है। इस सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध गाँधीवादी राधा भट्ट ने की तथा संचालन नारायण भाई और और श्रीमती बिजू बरबरूआ ने किया।

इस सत्र को लिंगराज, गौरांग महापात्र, अरविन्द रेड्डी, उषा पंडित ने संबोधित किया। सत्र का शुभारंभ लक्ष्मी आश्रम कोसानी की छात्राओं ने अपने गीत से किया। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गाँधीवादी सुब्बाराव के साथ पूरा सम्मेलन उनके सद्भावना गीत को गाया। जबकि दूसरा सत्र विश्व शांति के लिए सर्वाेदय की पहल पर आधारित था। इस सत्र का संचालन जी. वी. एस. एस. डी. प्रसाद ने किया। इस सत्र को संबोधित करते हुए श्री एस. एन. सुब्बाराव ने कहा कि, शांति का मतलब सिर्फ युद्धमुक्त दुनिया नहीं बल्कि परस्पर सामंजस्य से पूरी दूनिया के लिए बेहतरी का कुछ काम करें। भारत में 30 करोड़ लोग भूखे हैं, इन्हें भूख से मुक्ति दिलानी है। हिंसामुक्त समाज की स्थापना तभी हो सकती है जब गांव-गांव में कुटीर उद्योग का जाल हो और लोगों के हाथ में काम हो। असम से आये हेमभाई ने कहा कि नफरत और घृणा के कारण समाज टूट रहा है। इसका कारण है कि लोगों का नजरिया ठीक नहीं है। उस नजरिये को ठीक करना होगा। परिवर्तन लाना होगा। इस सत्र को विधायक पुस्कर, फैसल भाई, ज्ञानेश्वर, चंदनपाल, शेख हुसैन, जीन लुइस बाटो, जर्मनी में गांधीसर्भ के निदेशक पीटर रूक्सा, जुली, सेवा मैक्सिको की लुइस फर्नांडिस, लुइस मार्मानिया, जावलो, क्रिस्टोफर, कार्टि, एलैक्स ने भी संबोधित किया। समारोह में सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महावीर विद्रोही, कृषनम्मा जगन्नाथनम, हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल, सचिव लक्ष्मी दास एवं राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय के निदेशक अन्नामलाई, संयुक्त निदेशक उत्तम कुमार सिन्हा, सेवा ग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जयवंत मटकर, गांधी दर्शन स्मृति समिति के निदेशक दीपंकर श्रीज्ञान, रमेश शर्मा, सौमित्री, अनिल कुमार दास, नयनतारा  राजेन्द्र रवि, रमण भाई, अशोक भारत, बीनू भाई पटेल, बंदना झा, उदय, शशि त्यागी आदि ने हिस्सा लिया।

सम्मेलन के संदेश को लेकर निकाली गयी शांति यात्राःसम्मेलन के संदेश को लेकर  कस्तूरवा निवास से शांति यात्रा निकाली गयी। इस यात्रा को हरी झंडी दिखा कर सुप्रसिद्ध गांधीवादी एस.एन सुब्बा राव ने रवाना किया। इस यात्रा के माध्यम से जहां पूरे को सद्भावना का संदेश दिया गया। वही सड़कों पर लोगों ने भारतीय संस्कृति की विरासत विविधता में एकता का साक्षात्कार किया। अलग- अलग प्रदेश के वेशभूषा में उनके संस्कृति और उनके गीत तथा सद्भाव के नारे से पूरा वातावरण गुजायमान हो उठा।

समान सड़क अधिकार अभियान को लेकर लगायी गयी प्रदर्शनीः सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र रवि के निर्देशन में समान सड़क अधिकार अभियान के तहत गांधी आश्रम हरिजन सेवक संघ के आश्रम में प्रदर्शनी लगायी गयी। जिसमें पर्यावरण के सवाल, सड़कों पर आम आदमी यानी पैदल चलनेवालों के हक, प्रदूषण मुक्त वाहन साईकिल रिक्षा और अन्य सवाल को दर्शाये गये थे, जिसे लोगों ने देखा।

कुमार कृष्णन
मीडिया समन्वयक
मोबाइल- 07042239015


No comments: