झारखंड के
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मौके पर कहा कि सरकार अस्पताल की बढ़ोतरी की दिशा में
हरसंभव सहायता देगी।
रांची। रांची महाधर्मप्रांत में 1945 से होली फैमिली अस्पताल मांडर संचालित है। जब 70 साल का था तब 7 नवम्बर 2015 को कोन्सटंट लीवन्स अस्पताल और शोध संस्थान (नया नाम) मिला। सीबीसीआई सोसायटी मेडिकल एडुकेशन, नौर्थ इंडिया ने अपने हाथ में ले लिया है। अपने प्रथम वर्ष में कोन्सटंट लीवन्स अस्पताल और शोध संस्थान को 71 साल की अवधि में तालाबंदी करने को मजबूर होना पड़ा।
गुरूवार को प्रबंधन ने
अस्पताल में तालाबंदी कर दीःजी हां, जब से कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया ने होली
फैमिली अस्पताल मांडर को अपने हाथ में लिया तब से प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच
तनाव और गतिरोध शुरू हो गया। यह सिलसिला विगत डेढ़ माह से जारी था। चले आ रहे
गतिरोध ने फिर जोर पकड़ लिया। इसके आलोक में गुरुवार को प्रबंधन ने अस्पताल में
तालाबंदी कर दी। यहां इलाज करा रहे मरीजों को भी अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।
71 वर्ष में 150 शैय्या
वाला अस्पताल में पहली बार बंदः कर्मचारियों द्वारा अस्पताल में गतिरोध
उत्पन्न करने से अस्पताल पहली बार बंद हुआ। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कई
कर्मी बिना सूचना के अस्पताल आते-जाते हैं। इस कारण स्वास्थ्य सेवा में बाधा
उत्पन्न हो रही थी। ऐसे में उन कर्मचारियों का नाम मस्टर रौल से हटा देना पड़ा।
प्रबंधन द्वारा यहां के 47
कर्मचारियों को हटाये जाने की सूचना है। इससे कर्मचारियों में खासा रोष है।
प्रबंधन ने कहा कि जल्द ही नये कर्मचारी बहाल होंगे, तभी अपेक्षित सुधार के साथ अस्पताल खोला
जायेगा।
और प्रबंधन ने कहाः इस
अस्पताल के प्रबंधकों का कहना है कि श्रम अधीक्षक, सहायक श्रमाधीक्षक को अधिकार क्षेत्र से
बाहर जाते हुए अस्पताल के मामले में दखल देने का आरोप लगाते हुए इसे भी तालाबंदी
की एक वजह बताया। प्रबंधन के अनुसार आवश्यक सेवा, जैसे बिजली, पानी, मेंटेनेंस, सफाई, भोजन व्यवस्था और स्कूल ऑफ नर्सिग को इससे मुक्त रखा गया है।
इधर अस्पताल के अचानक बंद होने से कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों में
आक्रोश है।
150 बेड की क्षमता को बढ़ाकर 500 किया जायेगाः इस बीच राजधानी रांची में कैथोलिक
बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआइ) का मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल 10 वर्षाे में पूरी
तरह तैयार हो जायेगा। इसे मांडर स्थित होली फैमिली हॉस्पिटल में शुरू किया जा रहा
है। पहले चरण में हॉस्पिटल को अपग्रेड किया जायेगा। 150 बेड की क्षमता को
बढ़ा कर 500 किया
जायेगा। वहां के नर्सिग कॉलेज को बीएससी नर्सिग कॉलेज बनाया जा रहा है। 100 सीटों का मेडिकल
कॉलेज बनायेंगे। कैथोलिक चर्च चाहता है कि झारखंड के आदिवासियों व अन्य जरूरतमंद
तबकों को कम कीमत पर ए-ग्रेड की चिकित्सा सेवा मिले। मेडिकल कॉलेज के लिए बनी
कार्यकारिणी समिति की बैठक के बाद अध्यक्ष
ऑग्जीलरी बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने यह जानकारी दी।
आदिवासी डॉक्टर्स व नर्सेज तैयार
करेंगेःबिशप मास्करेन्हास ने कहा कि हम विश्व स्तर का अस्पताल
बनायेंगे। इस क्षेत्र के लोगों की सेवा के लिए आदिवासी डॉक्टर्स व नर्स तैयार करना
चाहते हैं। सीबीसीआइ सोसायटी के उपाध्यक्ष आर्चबिशप फिलिप नेरी फेराओ ने इसकी कार्ययोजना
प्रस्तुत की। बैठक में सीबीसीआइ सोसाइटी के उपाध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी
टोप्पो, आर्चबिशप
फिलिप नेरी फेराओ, बिशप फेलिक्स टोप्पो, नागपुर के आर्चबिशप
अब्राहम, आर्चबिशप
अनिल कुटो व अन्य उपस्थित थे।
नशाविमुक्ति
केंद्र को मेडिकल मिशनरी सिस्टर्स के जिम्मेः नशाविमुक्ति
केंद्र को मेडिकल मिशनरी सिस्टर्स के सुपुर्द कर नयी व्यवस्था शुरू की
जायेगी। वहीं पहली जुलाई से औपचारिक तौर
पर मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर सिस्टर एलिन कुजूर को नियुक्त कर दिया गया है। कोन्सटंट लीवन्स अस्पताल और शोध
संस्थान में मेडिकल डायरेक्टर पद पर रहने के बाद भी वह प्रत्येक बुधवार और
शनिवार-रविवार को सन्त उर्सुला अस्पताल लोहारदगा में भी अपनी सेवायें देती रहेंगी।
भारतीय कैथोलिक धर्माध्यक्षीय संघ (सीबीसीआई) ही बंगलोर में नामी सन्त जॉन्स
मेडिकल कॉलेज संचालित करता है, जहाँ से मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर सिस्टर एलिन कुजूर ने वर्षों पहले एम॰बी॰बी॰एस॰ तक की
शिक्षा ली (शेष शिक्षा अन्यत्र हुई।) अब उसी संगठन ने होली फैमिली अस्पताल मांडर
को मेडिकल कॉलेज के तौर पर विकसित करने का जिम्मा अपने ऊपर लिया है।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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