Friday 15 July 2016

मदन मोहन प्रसाद द्वारा क्षतिपूर्ति करने की मांग पर मिली जान से मार देने की धमकी


राज्य लोक शिकायत प्राप्ति केन्द्र में आकर दिया आवेदन

पटना। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन देने आये हैं दिव्यांग मदन मोहन प्रसाद। जिदंगी के 51 वसंत देखे हैं। कर्त्तव्य निर्वाह करने के दरम्यान दिव्यांग बन गये। बायां पैर कट गया। वहीं दायी पैर के एड़ी भी कट गया है। जहां पर काम करते थे। बेरहम दिल रखने वाले प्रमोद रजगढ़िया ने दूध में पड़ी मक्खी तरह नौकरी से बाहर कर दिया। क्षतिपूर्ति की मांग करने पर जान से मारने की धमकी देने लगा है। 

सीतामढ़ी जिले के कोट बाजार वार्ड नम्बर 11 से पटना में आये हैं मदन मोहन प्रसाद। सूचना भवन,पटना के परिसर में है राज्य लोक शिकायत प्राप्ति केन्द्र। विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का कार्यालय,विभाग,श्रम संसाधन विभाग। अन्यय पंजीयन संख्या 999950714071600048 है। परिवाद प्राप्ति की तिथि 14 जुलाई 2016 है। परिवाद की सुनवाई और निवारण की नियत तिथि 22 जुलाई 2016 और समय 11 बजे दिया गया है।

मदन मोहन प्रसाद के पास बैंग है। इसी बैंग में दस्तावेश रखते हैं। देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, सूबे के मुख्यमंत्री आदि के नाम से आवेदन पत्रों की छायाप्रति और प्राप्ति प्रति रखे हैं। समाचार पत्रों की भी कतरन रखे हैं। इनका निजी दोस्त कृत्रिम पांव, वैशाखी और साइकिल है। इसी के सहारे बिहार की राजधानी पटना और देश की राजधानी दिल्ली तक सफर कर पाते हैं। दिव्यांग का प्रमाण-पत्र है। रेलवे में निःशुक्ल टिकट से भ्रमण कर पाते हैं। निःशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन के रूप में 400 प्रतिमाह मिलता है। नौकरी से निकालने के बाद से अभी तक लाखों रूपये व्यय कर चुके हैं। परिणाम सामने नहीं आ पा रहा है। तब ही राष्ट्रपिता को आवेदन भेजकर इच्छा मृत्यु का आदेश मांगा था,लेकिन अबतक जवाब नहीं मिला। अब केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी सह राष्ट्रपति कार्यालय को दूसरी बार पत्र भेजकर मांग दोहराई है। यदि  न्याय नहीं मिला तो सपरिवार आत्महत्या कर लेंगे।


अपनी जंग को जारी रखने को लेकर विभिन्न जगहों में आवेदन देने का सिलसिला शुरू कर दिये। अव्वल सीएम नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,राष्ट्रपति महामहिम प्रणव मुखर्जी आदि के पास आपबीती बयान वाले आवेदन दिये। मदन मोहन प्रसाद ने 5 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय को डाक अनुभाग द्वारा आवेदन प्रेषित किया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि मार्च 2009 में श्रम न्यायालय,मुजफ्फरपुर में मुआवजा के लिए वाद किया हुआ है वाद संख्या-03/13 अवलोकनार्थ प्रार्थनीय है।श्रम न्यायालय में 7 साल के बाद भी न्याय नहीं मिल रहा है।वादी प्रमोद रजगढ़िया ने श्रम न्यायालय को अपने प्रभाव से मैनेज कर वाद को लंबित किये हुए है।उक्त संबंध में न्याय प्राप्ति हेतु महामहिम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु का आदेश मांग चुके हैं,जो कि लंबित है उनके पहल से भी न्याय नहीं मिल पा रहा है।महामहिम राष्ट्रपति के पहल के कारण हरक आई श्रम न्यायालय,मुजफ्फरपुर की कार्रवाई पुनः चालू हो गई जिससे रजगढ़िया की बेचैनी बढ़ गई।श्रम न्यायालय,मुजफ्फरपुर जाने के क्रम रजगढ़िया के गुंडे के द्वारा धमकी दी गयी। 8 जनवरी 2016 को मुख्यमंत्री, पुलिस अधीक्षक,सीतामढ़ी सहित एसडीओ सदर सीतामढ़ी ई जी डी आई बिहार जानमाल की सुरक्षा के बाबत प्रार्थना पत्र सौंपे पटना को भी निबंधित डाक से भेजे परन्तु रजगढ़िया एवं उनके गुर्गे पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।ऐसा प्रतीत होता हे कि रागढ़िया के द्वारा थाना मैनेज कर लिया गया है क्योंकि सीतामढ़ी थाने के द्वारा वरीय अधिकारी के अग्रसारित आवेदन को कूड़े दान में डाल चुके हैं।

   अतः प्रार्थना है कि अति शीघ्र न्याय प्रदान करने की कृपा की जाय ताकि मुझ दिव्यांग का कल्याण हो सके और आर्थिक सहायता दिया जाये जिससे अपना परिवार चला सके। हो गये कर्ज से तथा बच्चों की पढ़ाई के करणों से काफी थक चुका हूं। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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