Thursday 2 March 2017

इस पुलिसकर्मी की साफ-साफ मजबूरी






पटना। इस पुलिसकर्मी को देखें। इस पुलिसकर्मी की साफ-साफ मजबूरी देखी जा सकती है। परिवार के लिए हाथ में पॉलीथिन रख लिया है और समाज की सुरक्षा के लिए कंधे पर बंदूक रखा है। खाकी वर्दी और गन के सहारे गण से मन लगाकर सब्जी बटोर रहा है। वह भी पुलिसकर्मी को ऑडिनरी वेजिटेबल नहीं चाहिए। सहजन और मटर पर हाथ लगाता है। एक सब्जी विक्रेता से एक ही सब्जी लेता है। एक महिला ने साफ तौर पर कहती हैं कि हम मुफ्त में सब्जी नहीं देंगे। पर पुलिसकर्मी जबर्दस्ती करने लगा। तंग आकर मटर दे दी। यहां से लेकर आगे बढ़ गया। ऐसा लग रहा था कि दें राम दिला राम की तर्ज पर सब्जी बटोर रहा है। आगे सहजन पर हाथ साफ किया। आजकल सहजन 60 रू. किलोग्राम है। ढाई सौ ग्राम जरूर ले लेता है। जो 15 रू.का है। हां, यह जरूर देखा गया कि पुलिसकर्मी सब्जियों में खुद ही हाथ नहीं लगाता है विक्रेता को ही देने को कहता है। 

सब्जी बेचने वाले कहते हैं कि डेली ही सब्जी लेकर जाते हैं। अगर आप सब्जी नहीं देते हैं तो उनका कोपभाजन बनना पड़ता है। अतिक्रमण करने के नाम पर तराजू और बाट लेकर चल जाता है। ऐसा कर सकने पर सब्जी सड़क पर उघेल देता है। अब रोजगार करना ही है तो पुलिस को पालकर रखना पड़ता है। इन्हीं लोगों के कारण सड़क किनारे सब्जी बेच पाते हैं। सड़क जाम हो तो पुलिस वाले संभाल लेते हैं। अतिक्रमण हटाने वाले आते हैं तो खबर दे देते हैं। कुल मिलाकर पुलिसकर्मी सहायक ही बने रहते हैं। यह सही है कि हमलोग तो ग्राहक से ही वसूल लेते हैं। एक के बदले पांच निकाल लेते हैं। अगर पुलिसकर्मी खेराती नहीं ले तो सस्ती सब्जी बेची जा सकती है।


आलोक कुमार

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