पटना। पूर्व मध्य रेलवे परियोजना से
गंगा नदी में रेल सह पुल निर्माण है। रेलखंड की दीवार पर चेतावनी लिख दी गयी है कि
यह प्रतिबंधित क्षेत्र है। यह आम रास्ता नहीं है। पकड़े जाने पर दण्डित होंगे। सवाल
यह है कि रेल प्रशासन द्वारा कोई वंदा मौजूद रहेगा तब ही जाकर पकड़ेगा? यहां पर किसी
तरह की निगरानी नहीं होने से ही कदमताल करके लोग बीच गंगा में चले जाते। और अपने उद्देश्य
में पूर्ण हो जाते। 3 लोगों ने अपने मतलब पूर्ण करने स्पैन नम्बर-3 में गये। इन 3 व्यक्तियों
ने जाकर गंगा नदी में छलांग लगा दिये। इसमें 1 सर्वेश्रर की इच्छा से बच निकला। जान
बची और लाखों पाये। वहीं 2 लोगों की मौत हो गयी। इसमें हरिपुर कॉलोनी में रहने वाले
भूषण सिंह की बेटी ऋर्चा सिंह शामिल है। इस मौत के बाद ही रेलखंड के अंदर इंट्री करने
पर रोक है। 2 आर.पी.एफ. बहाल है।
जी हां, दीघा -पहलेजा रेल सह सड़क पुल
का निर्माण गंगा नदी पर हुआ है। इसमें 36 स्पैन है। 2003 में इसका निर्माण शुरू हुआ।
केन्द्र सरकार ने रेल चलाने में सफल हो गयी। वहीं बिहार सरकार द्वारा सड़क पुल निर्माणाधीन
है। अब भी एक साल का समय लग ही जाएगा।
पाटलिपुत्र स्टेशन से खुलकर आने वाली
गाड़ी का परिचालन हो रहा है। इस रेल पुल पर निगरानी नहीं रहने के कारण लोग दीघा से पहलेजा
पैदल आवाजाही करते किया करते थे। एक घंटे में दीघा से पहलेजा चले जाते थे। वहीं रेलखंड
के बीच में पगडंडी के सहारे बीच में जाकर लोग सेल्फी भी लेते थे। इस बीच स्पैन नम्बर-3
पर जाकर लोग गंगा नदी में छलांग भी लगाकर इहलीला समाप्त करने लगे। इसमें ऋर्चा सिंह
भी शामिल है। डॉन बोस्को एकेडमी में 9 वीं कक्षा की छात्रा थी ऋर्चा सिंह। घर में अनबन
होने से सीधे गंगा नहीं की ओर पग बढ़ा ली। इसके पीछे मनोज सिंह के पुत्र और ऋर्चा के
चचेरे भाई हो गये। दोनों चचेरा भाइयों द्वारा ऋर्चा को रोकने का प्रयास किया गया। मगर
असफल रहे। ऋर्चा 3 नम्बर स्पैन पर चढ़कर गंगा नदी में छलांग लगा थी। इसको लेकर दीघा
में बवाल मच गया। इस तरह की घटना रोकने के लिए पूर्व मध्य रेलवे भी सजग हो गया। उसने
रेलखंड के अंदर इंट्री पर ही रोक लगा दी। 2 आर.पी.एफ.नियुक्त कर दिये गये हैं।
आलोक कुमार
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