Tuesday 7 March 2017

एक ही लाठी से हांकने का प्रयास


नई दिल्ली। एक ही लाठी से हांकने का प्रयास जारी है। देश के खाताधारकों के भी आमदनी का ख्याल नहीं किया गया। सप्तम वेतनमान पाने वाले और न्यूनतम मजदूरी पाने वाले खाताधारक समतुल्य श्रेणी में आ गये हैं। गांव से पलायन करके लोग सेमी अरबन क्षेत्र में आते हैं। ऐसे लोगों से 2 हजार रू0 मिनियम बैलेंस रखवाएंगे तो खस्ता हाल में लोग आ जाएंगे।

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई अपने ग्राहकों को एक बड़ा झटका देने की तैयारी में है। ऐसे में एसबीआई 1 अप्रैल से बैंक में खातों की न्यूनतम राशि न रखने वालों से जुर्माना वसूलेगा।

बैंक ने मिनिमम बैलेंस की सीमा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से तय की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एसबीआई ने तय किया है कि महानगरों में बैंक अकाउंट रखने वालों को 5000 रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। शहरी क्षेत्रों में यह सीमा 3 हजार रुपए, सेमी अरबन क्षेत्र 2 हजार रुपए और गांव की शाखाओं में बैंक खाता रखने वालों को 1 हजार रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। एक अप्रैल से ऐसा नहीं करने वालों पर पेनल्टी लगाई जाएगी।

देश के सबसे बड़े ऋणदाता ने बचत बैंक खातों के परिचालन और प्रणालियों के प्रबंधन पर होने वाले खर्च की आंशिक तौर पर भराई के लिए यह शुल्क वसूलने की योजना बनाई है।एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक के मौजूदा समय में लगभग 25 करोड़ बचत खाते हैं। ऐसे में बैंक ने नोटबंदी के बाद से बड़ी तादाद में खाते खोले हैं। इन खातों में शून्य जमा वाले खाते भी शामिल हैं। जिनका प्रबंधन करने पर खर्च आता है।
वर्ष 2012 में बैंक ने नए ग्राहक आकर्षित करने के लिए न्यूनतम बैलेंस के उल्लंघन पर जुर्माने वाले नियम को समाप्त कर दिया था। इस कदम का मकसद सस्ती जमाओं को आकर्षित करना भी था, क्योंकि बचत खाते पर ब्याज महज 4 फीसदी है।

आलोक कुमार




No comments: