इटली. सेव द चिल्ड्रेन ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सुबह इदलिब में चार बच्चों की बमबारी में हत्या से आहत एवं गहरे सदमे में हैं. वे अपने स्कूल जाने के रास्ते पर थे, जो बिलकुल सामान्य था, बच्चों के दिनचर्या का हिस्सा। किन्तु 11 साल के संघर्ष के बाद, सीरिया और इसके आसपास के बच्चों का दैनिक जीवन अब इसी तरह हो गया है.
इटली में सेव द चिल्ड्रन की महासचिव दानिएला फतारेला ने खेद प्रकट करते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे कभी निशाने पर न हों, और अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान हो युद्धरत पक्षों के लिए अभी भी क्या करने की आवश्यकता है? वे स्कूल जाने के बच्चों के अधिकारों की रक्षा कब करेंगे? बच्चे वयस्कों की इच्छा पर होने वाले युद्धों से कब सुरक्षित होंगी? एक दूसरा काला दिन जो दिखाता है कि हर युद्ध बच्चों के खिलाफ युद्ध है.
सेव द चिल्ड्रेन विश्व के सबसे पुराने बाल अधिकार संगठनों में से एक है. इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र से भी पहले वर्ष 1919 में हुई थी. यह भारत में वर्ष 2008 से कार्यरत है. भारत के 18 राज्यों में यह अब तक 6.1 मिलियन बच्चों तक अपनी पहुंच बना चुका है. यह एनजीओ बच्चों को आपात स्थिति के दौरान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा, शोषण से सुरक्षा और जीवन रक्षक सहायता प्रदान करने के लिए भारत और शहरी क्षेत्रों के दूरस्थ कोनों में विभिन्न कार्यक्रम चलाता है. यह बच्चों के सर्वोत्तम हित के लिए नीतियों में बदलाव लाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करता है. विश्व स्तर पर, सेव द चिल्ड्रेन 120 देशों में मौजूद है और वहां रहने वाले बच्चों की स्थिति को सुधारने के लिए काम करता है.
आलोक कुमार
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