Sunday 19 June 2022

अभियान में 5 वर्ष से कम वय के बच्चों के बीच में पोलियो की दो बूंद पिलाया गया

  


मोतिहारी.आज से पल्स पोलियो अभियान शुरू हुआ.इस अवसर पर पूर्वी चंपारण जिले के जिलाधिकारी श्री शीर्षत कपिल अशोक ने पल्स पोलियो अभियान का शुभारंभ किया गया.पल्स पोलियो अभियान 19 जून से 23 जून तक चलेगा. इस अभियान में 5 वर्ष से कम वय के बच्चों के बीच में पोलियो की दो बूंद पिलाया गया.मौके पर सिविल सर्जन, जिला सूचना, जनसंपर्क पदाधिकारी एवं यूनिसेफ के एसएमसी सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे.

डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के 10 अन्य देशों के साथ भारत को 27 मार्च 2014 को पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया था. देश में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में सामने आया था.


वैश्विक स्तर पर, पोलियो का अभी भी दो देशों, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अस्तित्व बना हुआ है. हालांकि भारत को "पोलियो-मुक्त" प्रमाणित किया गया है, लेकिन जंगली पोलियो वायरस के इंपोर्टेशन या वैक्सीन से उत्पन्न पोलियो वायरस के उभरने का जोखिम वैश्विक उन्मूलन तक बना रहता है, जो देश में उच्च जनसंख्या प्रतिरक्षा और संवेदनशील निगरानी बनाए रखने की आवश्यकता रेखांकित करती है.

अब हमारे नौनिहालों को पोलियो विकलांगता का शिकार होकर जीवनभर आंसू रोने को बाध्य नहीं होना पड़ेगा.Polio Free यदि किसी देश में लगातार तीन वर्षों तक एक भी पोलियो का मामला नहीं आता है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन उसे ‘पोलियो मुक्त देश’ घोषित कर देता है| इसके पूर्व हरियाणा में 2010 में तथा उसके बाद पश्चिम बंगाल में 13 जनवरी, 2011 को पोलियो का मामला सामने आया था. उसके बाद लगातार नजर रखी गयी और पिछले तीन सालों में कोई मामला नहीं आया.


इस तरह कह सकते हैं कि देश के लाखों लोगों को विकलांग करनेवाले पोलियो के विषाणु पर 18 वर्ष की लंबी लड़ाई के बाद हमने विजय पा ली है. हालांकि टीकाकरण कार्यक्रम पर वाजिब प्रश्न उठते रहे हैं और इसके पीछे बाजार की ताकत भी स्पष्ट रहीं है, किंतु इस समय हमारे सामने भारत में इसकी सफलता की कहानी है, तो इसे तत्काल स्वीकार करना ही होगा| विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो भारत में स्थानीय स्तर पर पोलियो के विषाणु खत्म हो चुके हैं.यानी इनकी उपस्थिति अब नहीं है. वस्तुतः भारत के लिए यह शर्म की बात थी कि दुनिया भर से मिटाई जा चुकी यह खतरनाक बीमारी जिन चार देशों में मौजूद थी, उनमें एक भारत भी था. तो हम इस शर्म से भी मुक्त हो गये हैं.

आलोक कुमार

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