Saturday 4 June 2022

तीन जून को विश्व साइकिल दिवस

  


पटना. दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से विश्व भर में 3 जून यानी आज विश्व  साइकिल दिवस या वर्ल्ड बाइसिकल डे  मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों को ये समझाया है कि साइकिल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए तो बेहतर है ही, पर्यावरण  और अर्थव्यवस्था के लिए भी अनुकूल है.संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून को इस दिन के तौर पर मनाये जाने की घोषणा की थी. आधिकारिक तौर पर पहली बार विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया गया था.साइकिल दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2018 में हुई। अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व साइकिल दिवस मनाने का फैसला लिया.इसके लिए 3 जून का दिन तय किया गया.तब से अब तक भारत समेत कई देश विश्व साइकिल दिवस हर साल 3 जून को मनाते हैं.                   

यूरोपीय देशों में साइकिल के इस्तेमाल का विचार 18वीं शताब्दी के दौरान लोगों को आया था लेकिन 1816 में पेरिस में पहली बार एक कारीगर ने साइकिल का आविष्कार किया, उस समय इसका नाम हाॅबी हाॅर्स यानी काठ का घोड़ा कहा जाता था.बाद में 1865 में पैर से पैडल घुमाने वाले पहिए का आविष्कार किया. इसे वेलाॅसिपीड कहा जाता था.इसे चलाने से बहुत ज्यादा थकावट होने के कारण इसे हाड़तोड़ कहा जाने लगा. साल 1872 में इसे सुंदर रूप दिया गया.लोहे की पतली पट्टी के पहिए लगाए गए. इसे आधुनिक साइकिल कहा गया। आज साइकिल का यही रूप उपलब्ध है.   

  संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व  साइकिल दिवस का महत्व सदस्य राज्यों के विभिन्न विकास रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने और अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय विकास नीतियों और कार्यक्रमों में साइकिल को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है. साथ ही यह दिन सदस्य राज्यों को सर्वोत्तम प्रथाओं और समाज के सभी सदस्यों के बीच साइकिल को बढ़ावा देने और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर साइकिल सवारी को व्यवस्थित करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है. यह दिन बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षा को मजबूत करने, स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने, बीमारियों को रोकने, सामाजिक समावेश और सुविधा प्रदान करने के लिए साइकिल के उपयोग को समझने के लिए भी प्रोत्साहित करता है. विश्व साइकिल दिवस मनाये जाने की वजह साइकिल की विशेषता और बहुमुखी प्रतिभा को पहचान देना भी है. कहा गया कि शहरवासी अपने आसपास की दूरी तय करने के लिए अगर साइकिल का इस्तेमाल करें तो इससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पेट्रोल की खपत कम होगी. साथ ही शहर का प्रदूषण स्तर भी कम होगा.

सीएम नीतीश ने जो बातें कहीं वह हकीकत ही हैं. इसकी शुरुआत कैसे हुई यह जानने के लिए एक वाकया बताते हैं आपको. वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के एक साल बाद नीतीश कुमार पटना ज़िला में एक सरकारी समारोह में शिरकत कर रहे थे. इस समारोह में स्कूल में पढ़ने वाली दलित लड़कियों को साइकिल वितरण किया जा रहा था. वितरण के बाद जब लड़कियां क़तार में खड़ी होकर साइकिल चला कर जाने लगीं तो उस मंजर को देख नीतीश कुमार बेहद खुश हुए. उन्होंने तभी अधिकारियों से कहा कि क्यों न सरकारी स्कूल में पढ़नेवाली तमाम लड़कियों को साइकिल दी जाए. इस तरह से लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत हुई.

आलोक कुमार



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