Thursday 15 June 2023

मणिपुर में 46 दिन से जारी हिंसा में अब तक 115 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी

 

मणिपुर.मणिपुर में हिंदू मैतेई और ईसाई कुकी समुदायों के बीच हिंसा 03 मई 2023 से जारी है. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच होने वाले हिंसा में इन 46 दिनों में अब तक 115 से अधिक लोग मारे गए हैं और 53 हज़ार से अधिक को अपना घर छोड़ना पड़ा है.      

   मणिपुर में 46 दिन से जारी हिंसा में अब तक 115 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 320 घायल हैं और 53 हजार से ज्यादा लोग 272 राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. वहीं, 10 जून को राज्य के 11 अफसरों का तबादला कर दिया गया. इनमें आईएएस और आईपीएस अफसर शामिल हैं.

     इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह इस महीने की शुरुआत में 4 दिन के दौरे पर यहां आए थे. इस दौरान राज्य के डीजीपी पी. डोंगल को हटा दिया गया था. उनकी जगह राजीव सिंह को कमान सौंपी गई है.

   केंद्र सरकार ने 10 जून को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए राज्यपाल की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी. कमेटी के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं.समिति में पूर्व सिविल सेवक, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए हैं.

  मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने हर संभव मदद का एलान किया. सीएम ने विस्थापितों को घर देने और बच्चों की शिक्षा का आश्वासन दिया. कार्यालय रिकॉर्ड के अनुसार हिंसा के चलते करीब 47,000 लोगों ने घर छोड़ा है. सरकार इन्हें घर मुहैया कराएगी.दो कमरों का घर बनेगा.

   बताया गया कि मैतै या मणिपुरी पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य का बहुसंख्यक समुदाय है. वे मणिपुर के मूल निवासी हैं इसलिए उन्हें मणिपुरी भी कहा जाता है.धार्मिक दृष्टि से अधिकतर मैतै हिन्दू हैं. उनकी मान्यताओं में ‘सनमाही‘ नामक विश्वास-पद्धति भी शामिल है जिसमें ओझा प्रथा के कुछ तत्व हैं.

 बताया गया कि सीए सोपिट के अनुसार, मणिपुर के संबंध में, ‘पुरानी कुकी‘ के बारे में पहली बार 16वीं शताब्दी में सुना गया था, जबकि ‘नई कुकी‘ 19वीं शताब्दी के पहले छमाही के दौरान ही मणिपुर में स्थानांतरित हो गई थी. उत्तर पूर्व भारत में कुकी जनजातियों में 20 से अधिक उप-जनजातियां शामिल हैं. 1956 तक, इस जनजाति को भारत सरकार द्वारा किसी भी कुकी जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है.कुकी मंगोली नस्ल की एक वनवासी जाति है जो असम और अराकान के बीच लुशाई और का चार जिले में रहती है. इनको चिन, जोमी, मिजो (मिज़ोरम में) भी कहते हैं. कूकी लोग भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों, उत्तरी म्याँआर, बंगलादेश के चित्तग्राम पहाड़ियों पर निवास करते हैं.

   इस बीच इम्फाल में संदिग्ध आदिवासियों और नागरिकों के बीच गोलीबारी हुई. इस फायरिंग में सोमवार को एक कुकी की मौत हो गई.10 लोग घायल हो गए.हिंसा के चलते राज्य में इंटरनेट पर 15 जून तक बैन बढ़ा.हिंसा प्रभावित मणिपुर में इंफाल ईस्ट जिले के खामेनलोक क्षेत्र में उग्रवादियों और ग्रामीण स्वयंसेवकों के बीच सोमवार देर रात तक हुई गोलीबारी में नौ और लोग घायल हो गए.पुलिस ने बताया कि पहले तीन लोगों के घायल होने की खबर थी.हालांकि दोनों पक्षों की ओर से गोलीबारी जारी रहने के कारण घायलों की संख्या बढ़ गई.अब दोनों ही पक्ष पीछे हट गए हैं. गांव के स्वयंसेवकों ने उग्रवादियों की ओर से बनाए गए कुछ अस्थायी बंकर और एक ‘वॉच-टॉवर’ में आग लगा दी थी. 

     यह इलाका मैतेई-बहुल इंफाल ईस्ट जिले और आदिवासी बहुल कांगपोकपी जिले की सीमाओं से लगा है. हिंसा को रोकने के लिए इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल की तैनाती की गई है.मंगलवार की रात कांग फोकी जिले में गोलीबारी में 9 लोगों की मौत हो गई. साथ ही इस घटना में दर्जन भर लोगों के घायल होने की खबर है. कांगपोकी मैतई बहुल जिला है. पुलिस के मुताबिक आधी रात को कांगपोकी के करीब एक गांव खामेलोक और इंफाल पूर्वी जिले में अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने हमला कर दिया. इस घटना में मारे गए सभी लोग खामेलोक गांव के निवासी थे.

     इससे पहले कल विष्णुपुर जिले में भी हिंसा हुई थी. यहां कुकी समुदाय के लोग मैतेई समुदाय के क्षेत्र में बंकर बनाने की कोशिश कर रहे थे जिसके बाद दोनों समुदाय के लोगों के बीच झड़प हो गई. इसके बाद कुकी उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच गोलीबारी भी हुई.

      मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक 115 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50 हजार से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. राज्य में लगभग 350 से अधिक विस्थापित कैंप चल रहे हैं जिसमें लोगों को रखा गया है. 3 मई को शुरू हुई हिंसा में अब तक हजारों लोग घायल हो चुके हैं.इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा किया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य में शांति कायम करने के लिए एक शांति समिति बनाई थी.

 इस बीच बैंगलोर मेट्रोपॉलिटन के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो ने मणिपुर से आये युवाओं की बातें सुनी और विस्थापित छात्रों को चौतरफा मदद दी. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि वे बंगलौर के महाधर्मप्रांत में धर्मप्रांत और धार्मिक शिक्षण संस्थानों में मुफ्त में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं और साथ ही उन्हें छात्रावास की सुविधा भी प्रदान करेंगे.उन्होंने कहा कि बंगलौर शिक्षा के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है. महाधर्माध्यक्ष मचाडो ने मणिपुर के प्रभावित और विस्थापित लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की और इन विस्थापित व्यक्तियों की देखभाल के लिए पूरे महाधर्मप्रांत की तत्परता से अवगत कराया.

    मणिपुर के जेसुइट फादर जेम्स ने राज्य में जातीय और सांप्रदायिक तनाव के बीच मणिपुर में ख्रीस्तियों और अन्य लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया. उन्होंने मणिपुर के ख्रीस्तीय बहुल जिलों में वर्तमान सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डाला और छात्रों को बैंगलोर लाने के अपने कार्यों को साझा किया.चूंकि पूजा स्थल, संस्थान और घर हमलों की चपेट में हैं, इसलिए फादर जेम्स ने उन्हें बैंगलोर में स्थानांतरित करना आवश्यक समझा जहां वे अधिक सुरक्षित होंगे और जहां उनके कुछ रिश्तेदार और दोस्त हैं.

   उन्होंने छात्रों का स्वागत करने और उन्हें आश्रय, शिक्षा और सहायता प्रदान करने के लिए महाधर्माध्यक्ष मचाडो का आभार व्यक्त किया. मणिपुर की एक युवा महिला लूनी, जो अब बैंगलोर में काम करती है, मणिपुर में हाल की उथल- पुथल की गंभीरता का वर्णन करते हुए कहा कि यह किसी भी नागरिक संघर्ष से बढ़कर है जिसे उसने पहले देखा था। उन्होंने बंगलौर पहुंचने के बाद से राहत और सुरक्षा की भावना व्यक्त की, जहां लोगों ने उनका स्वागत किया है. 

     चर्चा के दौरान, फादर एडवर्ड थॉमस, एसडीबी, जो बैंगलोर में ड्रीम इंडिया नेटवर्क की देखरेख करते हैं, ने जरूरत पड़ने पर अपनी सहायता की पेशकश की. बैंगलोर बहुउद्देशीय सामाजिक सेवा सोसायटी के निदेशक,  फादर लूर्डू जेवियर संतोष और सिस्टर रोसली, एसएसएएम, शिक्षा और सुरक्षित आवास के मामले में इन युवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.कुल मिलाकर, बंगलौर महाधर्मप्रांत ने मणिपुर के विस्थापित युवाओं को शिक्षा, आश्रय और रोजगार खोजने में सहायता प्रदान करते हुए उन्हें समर्थन देने और सुरक्षित आश्रय प्रदान करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं. महाधर्माध्यक्ष और विभिन्न पुरोहितों ने सताए गए ख्रीस्तियों के साथ एकजुटता दिखाई है और इन कठिन परिस्थितियों के दौरान इन व्यक्तियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

आलोक कुमार

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