शिक्षा को लेकर ‘जन सुनवाई कार्यक्रम 11 अगस्त को गांधी संग्रहालय में
शिक्षा का अधिकार किसके लिए?
पटना। वॉलंटरी फोरम फॉर एडुकेशन के तत्तावधान में शिक्षा को लेकर ‘जन सुनवाई’कार्यक्रम 11 अगस्त,2012 को गाँधी संग्रहालय, पटना में 11 बजे से करने का निश्चय किया गया है। इस बात की जानकारी विजय कान्त सिन्हा, संयोजक राइट टू एडुकेशन आर.टी.ई फोरम, बिहार ने दी है।
आर.टी.ई के क्रियान्वयन की स्थिति का ठोस मूल्यांकन के लिए आयोजित ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम में एस. सी. पी. सी. आर के चेयरपर्सन, राज्य मानव संसाधन विकास विभाग के सम्बंधित अधिकारी, अवकाश प्राप्त न्यायधीश, वरीय अधिवक्ता शिक्षा विद् तथा एन. सी. पी. सी. आर के प्रतिनिधि आदि भाग लेंगे। ज्ञातव्य हो कि शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 1 अपै्रल, 2010 से लागू हो चुका है यह अधिनियम अपना तीसरा साल-गिरह 1 अप्रैल, 2013 को पूरा कर लिया है। इसके लिए बिहार सहित लगभग सभी राज्यों में 6 से 14 आयुवर्ग के सभी बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली लागू कर दी गई है।
शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधनों को हर हाल में तीन साल में अनिवार्य रूप से क्रियान्वित करना था, अगर किसी कारणवश समयावधि में लागू नहीं किया गया तो बच्चों की शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। कानूनविदों और शिक्षा शास्त्रियों का मानना है कि शिक्षा अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों के समान है और इसके हनन के खिलाफ न्यायालय में जाया जा सकता है।
क्रियान्वयन की जवाबदेही केन्द्र और राज्य सरकारों की है। ऐसे में जहाँ केन्द्र सरकार इस अधिनियम को लेकर सेहरा बांध रही है, वहीं राज्यों की सरकारे औपचारिकतावश कछुआ की चाल से क्रियान्वयन के लिए नियमावली बनाने तथा उसे लागू करने की दिशा में बढ़ रही है। बिहार की स्थिति भी तकरीबन यहीं है। इस अवस्था में अगर जन-दबाव कायम नहीं किया गया तो इस मौलिक अधिकार से संबंधित अधिनियम का भी वही हश्र होगा जिस प्रकार अन्य कानूनों की हो रही है ।
इन्हीं समझ के आधार पर इस अधिनियम के अर्न्तगत प्राथमिक शिक्षा से जीवंत सरोकार रखने वाले बच्चों, शिक्षकों, अभिभावकों, पंचायती राज के जन प्रतिनिधि जो राज्य के विभिन्न जिलों के चिन्हित स्थानों से इस जन सुनवाई कार्यक्रम में हिस्सा लेकर अधिनियम के प्रावधनों के मुतल्कि व्यथा कथा, केंस स्टडी के रूप में ज्यूरी बेंच के समझ रखेंगे ।
आलोक कुमार