सरकार के कोई नौकरशाह हैं ? जो महादलित मुसहर समुदाय की सुधि ले सके
सरकार
के कोई नौकरशाह
हैं? जो महादलित
मुसहर समुदाय की
सुधि ले सके।
साहब,बहुत-सारी
समस्या है। हम
लोग जन्म लेते
ही समस्याओं के
गर्भ में समा
जाते हैं। इसी
लिए सरकार ने
मां के गर्भ
में आने के
बाद ही सरकारी
योजना बना दी
है ताकि महादलित
लाभान्वित हो सके।
साहब योजनाओं में
‘पर’ लग जाता
है। यहां तक
पहुंच ही नहीं
पाता है। इसके
कारण यह हाल
देख पा रहे
हैं। आपका इसका
अंदाजा लग रहा
होगा?
‘हां,
अगर आप को
गरीबी और लाचारी
मापना है तो
निःसंदेह दीघा मुसहरी
आ जाए। जहां
पर आज भी
अशिक्षा और अंधविश्वास
का समन्दर बह
रहा है। इसके
चलते महादलित मुसहर
समुदाय को काफी
नुकसान उठाना पड़ रहा
है। अगर कोई
मुसहर बीमार पड़ते
हैं तो सबसे
पहले गांव के
कथाकथित भगत और
भक्तिनी के फेरे
में पड़ जाते
हैं। भगत और
भक्तिनी नीम की
टहनी लेकर सिर
हिलाकर रोगी को
ठीक करने लगते
हैं। उनके इस
तरह की भूतलीलाओं
के चलते
कई लोगों की
अकाल मौत भी
हो चुकी है।
सरकारी और गैर
सरकारी संस्थाओं के लाखों
दांवों की पौल
खुल रही है।
लोग त्रस्त हैं
और तंत्र मस्त
है।
यह हाल गवई
परिवेश वाले दीघा
मुसहरी की है।
दीघा मुसहरी को
महादलित मुसहर शबरी कॉलोनी
भी कहते हैं।
मुसहरी पहले पहर
दीघा ग्राम पंचायत
में था। सरकार
ने समग्र दीघा
ग्राम पंचायत को
छोटा करके पटना
नगर निगम के
जिम्मे कर दिया
है। यह पटना
नगर निगम के
वार्ड नम्बर.1 में
पड़ता है।
इसी वार्ड नम्बर-1 में
सामाजिक-आर्थिक स्थिति से
पिछड़े महादलित मुसहर
समुदाय के लोग
रहते हैं। सरकार
के द्वारा दीघा
मुसहरी में करीब
70 घर बनाया गया।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम
के तहत मकान
बनवाया गया था।
इस समय परिवारों
की संख्या बढ़
गयी है। मगर
घर की संख्या
और जमीन की
परिधि में बढ़ोतरी
नहीं हो पा
रही है। मजबूरी
से ही मुसहर
समुदाय उसी घर
में किसी तरह
से रहते हैं।
अब यह घर
न रहकर सुअर
के बखौर बन
गया है। बरसात
के दिनों में
मुसहरी में आवाजाही
करना बहुत ही
मुश्किल है। आवाजाही
करने वाले नाक
पर रूमाल रखकर
आते-जाते हैं।
अब तो उनके
घर जर्जर हो
गयी है। लालू-राबड़ी के शासनकाल
में पटना की
जिलाधिकारी राजबाला वर्मा थीं।
उसके प्रयास से
सामुदायिक भवन बनाया
गया। उसपर सोनवा
मांझी के द्वारा
कब्जा कर लिया
गया है। उसकी
छत धाराशाही हो
गयी है। भगवान
को धन्यवाद है
कि संपूर्ण छत
दिन में गिर
गयी। अगर रात्रि
में छत गिरती
तो अप्रिय घटना
से इंकार नहीं
किया जा सकता
है।
सरकारी और गैर
सरकारी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं
की उदासीनता और
उनके नकारापन के
कारण दर्जनों मुसहर
यक्ष्मा बीमारी के शिकार
होकर परलोक सिधार
चुके हैं। ‘हां
हिन्दु धर्म को
अंगीकार करने वाले
महादलित मुसहर मौत होने
के बाद अर्थाभाव
के कारण शव
को जलाने के
बदले मिट्टी के
हवाले (कब्र) कर दिये
जाते हैं। अभी
राजकुमार मांझी की मौत
के बाद मिट्टी
के हवाले कर
दिया गया। पंच
तत्व में विलिन
नहीं किया गया।
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