क्या हम क्रिकेट विदेश में खेल रहे हैं?
क्या हम इस समय क्रिकेट विदेशी धरती पर खेल रहे हैं? यह सवाल है कि कहीं आई0पी0एल0 का प्रभाव तो नहीं पर गया है। यह भी संभव है कि करोड़पति क्रिकेटरों के बीच की आपसी गूटबाजी का परिणाम की दुर्गति हो रही है। भारतीय उप महाद्वीप में फिरकी गेन्दबाज के फिक्र से विदेशी परेशान होते थे। अब कम से कम भारत में पर्यावरण में परिवर्तन के कारण फिरकी गेंदबाजी करना भूल गये हैं। गेंदबाज
इस समय टीम इंडिया के द्वारा बद से बदतर प्रदर्शन करने से इंडियन फैंस को काफी ठेस पहुंच रही है। जो टीम इंडिया अपनी धरती पर शेर बनती थी आज मेमना बन गयी है। इस हार के बाद माथापच्ची की जाएगी। कोई ठोस समाधान निकालने की जरूरत है।
इस समय विश्व में तीन तरह के क्रिकेट खेली जा रही है। टेस्ट मैच,50-50 और 20-20 विश्व क्रिकेट में छा गयी है। हर क्रिकेट खेलने वाले देशों के द्वारा अपनी रणनीति तैयारी की जाती है। मगर भारतीय क्रिकेट प्रबंधन पीछे पर जाता है। महेन्द्र सिंह धोनी के ऊपर यकीन करके तीनों संस्करण के कप्तान बनाकर रख दिया गया है। हांलाकि धोनी ने भारतीय क्रिकेट को अव्वल 20-20 में ताज दिलाएं हैं। उसके बाद टेस्ट में बेस्ट बनाने में सफल हो पाये । इसके बाद 50-50 में भी विश्व के सिरमौर बने थे। एक-एक जीत के सम्मान समाप्त होने लगा है। जादूई कप्तान पर सवाल उठने लगा है। वक्त है कि तीनों संस्करण के लिए अलग-अलग कप्तान और प्लेयर का चुनाव हो ताकि अपने ढंग से खेल सके।
क्या हम इस समय क्रिकेट विदेशी धरती पर खेल रहे हैं? यह सवाल है कि कहीं आई0पी0एल0 का प्रभाव तो नहीं पर गया है। यह भी संभव है कि करोड़पति क्रिकेटरों के बीच की आपसी गूटबाजी का परिणाम की दुर्गति हो रही है। भारतीय उप महाद्वीप में फिरकी गेन्दबाज के फिक्र से विदेशी परेशान होते थे। अब कम से कम भारत में पर्यावरण में परिवर्तन के कारण फिरकी गेंदबाजी करना भूल गये हैं। गेंदबाज
इस समय टीम इंडिया के द्वारा बद से बदतर प्रदर्शन करने से इंडियन फैंस को काफी ठेस पहुंच रही है। जो टीम इंडिया अपनी धरती पर शेर बनती थी आज मेमना बन गयी है। इस हार के बाद माथापच्ची की जाएगी। कोई ठोस समाधान निकालने की जरूरत है।
इस समय विश्व में तीन तरह के क्रिकेट खेली जा रही है। टेस्ट मैच,50-50 और 20-20 विश्व क्रिकेट में छा गयी है। हर क्रिकेट खेलने वाले देशों के द्वारा अपनी रणनीति तैयारी की जाती है। मगर भारतीय क्रिकेट प्रबंधन पीछे पर जाता है। महेन्द्र सिंह धोनी के ऊपर यकीन करके तीनों संस्करण के कप्तान बनाकर रख दिया गया है। हांलाकि धोनी ने भारतीय क्रिकेट को अव्वल 20-20 में ताज दिलाएं हैं। उसके बाद टेस्ट में बेस्ट बनाने में सफल हो पाये । इसके बाद 50-50 में भी विश्व के सिरमौर बने थे। एक-एक जीत के सम्मान समाप्त होने लगा है। जादूई कप्तान पर सवाल उठने लगा है। वक्त है कि तीनों संस्करण के लिए अलग-अलग कप्तान और प्लेयर का चुनाव हो ताकि अपने ढंग से खेल सके।
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