तब जनतंत्र के गण ने स्वेच्छा से देशी-विदेशी ‘गन’को टांग दिये
तब सरकार ने तोहफा के रूप में आदर्श ग्राम पंचायत घोषित कर दी
जहानाबाद। जहानाबाद जिले के जहानाबाद सदर प्रखंड में उग्रवाद से ग्रसित मान्दे बिगहा है। यहां के लोग सीधे खेत की फसल उपज नहीं करने पर विश्वास करते थे। परन्तु दहशत पैदा करके सीधे सादे आदमी को मौत के घाट उतार देते थे। इसी में लोग विश्वास और दिलचस्पी लेते थे। आये दिन ‘मडर’ होने से जन कांपते थे। किसी को यह भान नहीं लगता था कि कब बंदुकों से गोली की तरतराहट की आवाज गूंजने लगेगी। इसके बाद परिवर्तन की दौर शुरू हो गयी। यहां के लोग विकास के कार्यों में ठेकेदार बनने लगे। कुछ व्यापारी बन गये। तब जनतंत्र के गण ने स्वेच्छा से देशी-विदेशी ‘गन’ को टांग दिये। ‘गन’ को टांगकर तंत्र को सहयोग देने लगे।
यह कथन मान्दे बिगहा आदर्श ग्राम पंचायत के मुखिया तेज प्रताप सिंह जी का है। जो स्वर्गीय हरिवंश नारायण सिंह के पुत्र राधेश्याम सिंह के द्वारा भूमिदान देने के बाद पंचातय भवन निर्माण कराये। अपने कार्यालय में मुखिया जी ने आगे कहा कि जहां पर हम लोग बैठकर बातचीत कर रहे हैं। कुछेक साल पहले दोपहरिया में घर से निकलना मुश्किल था। एक-दूसरे के साथ बातचीत करने में परेशानी होती थी। संपूर्ण पंचायत नक्सलियों के जद में था। बहुत ही प्रभावशाली थे। यहां पर बाहर से कोई भी नक्सली नहीं आते थे। पंचायत के लोग ही सरकार के नाक में नकेल कस दिये थे। सरकार और पुलिस प्रषासन पूर्णतः तबाह हो गये थे।
कालान्तर में पंचायत के लोगों की सोच समझ में परिवर्तन आ गया। स्वयं नक्सलवादी और हरेक दिन हत्या करने वाली नीतियों से अलग थलग कर लिये। खुद को समाज के मुख्यधारा में शामिल कर दिये। जब जनतंत्र के गण ने स्वेच्छा से देशी-विदेशी ‘गन’ को टांग दिये। तब सरकार और जिला प्रशासन ने ‘गन’ को टांगने वालों को कर तंत्र को विकास के कार्यों में जोड़ने लगे। ऐसा करने से कोई ठीकेदार बन गया तो कोई व्यापारी बन गये। कुल मिलाकर आज पंचायत में षांतिपूर्ण माहौल व्याप्त है। अब किसी तरह का भय नहीं है। अब तो आंतक फैलाने वालों से पंचायत के लोग डटकर मुकाबला करने लगे हैं। इसका तत्काल उद्हारण है कि अभी मवेशी चोर सक्रिय हो गये हैं। कोई भी अप्रिय घटना की जानकारी मिलती है। तो लोग शोर मचाना शुरू कर देते हैं। एक टोला से दूसरे टोला तक शोर पहंुच जाता है। षोर सुनकर लोग घर से बाहर निकल आते हैं। इस समय अभी जानवरों की चोरी की वारदात होने की खबर है। इस तरह का शोर मचाने से चोर फरार हो जातो हैं।
तब जाकर सरकार भी यहां के लोगों को तोहफा दिया। संपूर्ण पंचायत के लोगों के द्वारा नक्सली गतिविधियों और अपराधी कार्यों से तौबा कर देने के बाद तो सरकार ने मान्दे बिगहा को आदर्श ग्राम पंचायत घोषित कर दी। इस पंचायत की जनसंख्या 5 हजार से ऊपर है। यहां पर 17 गांव है। इसमें से 16 गांवों में महादलित निवास करते हैं। महादलित मुसहरों की स्थिति दयनीय है। यहां पर 10 राजस्व गांव है। वर्ष 2011 से अबतक 200 इन्दिरा आवास योजना से मकान निर्माण करा दिया गया है। अभी सैकड़ों की संख्या में महादलित कतारबद्ध हैं। मनरेगा से बेहतर ढंग से काम हो रहा है। मुखिया जी ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार और नौकरशाहों ने नक्सलियों के जद वाले पंचायत में विकास कार्य करना ही छोड़ दिया। इसका परिणाम यह निकला कि हजारों की संख्या में बेरोजगारी का दंश झेलने वाले पलायन कर जाते हैं। इसमें शिक्षित और अशिक्षित बेरोजगार शामिल हैं। बेरोजगारी का दंश झेलने वाले अन्य प्रदेशों में जाकर किस्मत अजमाने को बाध्य हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के बारे में मुखिया जी ने कहा कि पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी पैक्स के द्वारा समावेशी मनरेगा नियोजन अभियान- 2013-14 के तहत मनरेगा में नियोजन प्रक्रिया के चरण, मनरेगा में नियोजन प्रक्रिया की विशेषता, मनरेगा नियोजन प्रक्रिया की अनिवार्य शर्ते, मनरेगा के तरत इन कार्यों को संपादित किया जा सकता है। इस पर एक दिवसीय बैठक आयोजित की गयी। मनरेगा पर विशेष कार्य करने में माहिर पैक्स ने मान्दे बिगहा पंचायत में पंचायतों के जनप्रतिधियों को बुलाकर मनरेगा के बारे में जानकारी दी है। इसके तहत जनप्रतिनिधि घर-घर का सर्वेक्षण करेंगे। सामूहिक बैठक में आवश्यकताओं का आकलन करेंगे। इसके बाद वार्ड सभा में नियोजन प्रक्रिया करेंगे। यह सब 10 अगस्त तक पूर्ण करने के बाद पंचायत के मुखिया के समक्ष अग्रसारित कर देंगे। पंचायत के मुखिया 12 अगस्त को कार्यकारिणी समिति की बैठक में प्रस्ताव का अनुमोदन करके 15 अगस्त को गा्रम सभा की बैठक में पारित कराएंगे। ग्राम सभा का है अधिकार मनरेगा योजना को करे तैयार के पथ पर अग्रसर हैं।
सावन का महीना,चारों तरफ काले -काले मेघा पानी तो बरसाने में असर्मथ है। इसके कारण छोटे और सीमांत किसान परेशान हैं। जून और जुलाई माह तक रोपा नहीं हो सका है। हां, जिनके पास वाटर पम्प नहीं है। वे भाड़ा पर वाटर पम्प लेकर खेत में पटवन कर रहे हैं। वाटर पम्प का भाड़ा 20 से 30 रूपए देना पड़ता है। वाटर पम्प में डीजल के बदले किरासन तेल डाला जा रहा है। बाजार में किरासन तेल का भाव 44 से 49 रूपए प्रति लीटर बिक रहा है। इसे खरीदकर किसान पटवन कर रहे हैं। इसके साथ इन्द्र देवता पर भी निर्भर है। अगर देवता जी पानी बरसा दिये तो किसानों को राहत मिल जाएगी। अधिक खर्च से बच सकेंगे। इसके आलोक में मुखिया जी ने जहानाबाद सदर प्रखंड के डीएम से आग्रह किये कि मान्दे बिगहा पंचायत में विघुतीकरण करवा दिया जाए। डीएम साहब ने सार्थक कदम उठाकर पंचायत में विघुतीकरण करने का आदेश निर्गत कर दिये हैं। आने वाले साल में किसानों के साथ अन्य लोगों को भी काफी लाभ मिलने वाला है।
Alok
Kumar