सार्वजनिक जीवन में
मूल्यों में आ
रही गिरावट को
लेकर चिन्ता
नई
दिल्ली । सार्वजनिक
जीवन में मूल्यों
में आ रही
गिरावट को लेकर
चिन्ता व्यक्त की गयी।
इसके आलोक में
20 जुलाई को नई
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन
क्लब में आयोजित
एक गोलमेज बैठक
में 65 लोगों ने एक
सुर में यह
तय किया कि
वे इस समस्या
के समाधन के
लिए काम करेंगे।
इस बैठक में
शिरकत करने वाले
विभिन्न राजनीतिक विचारधारा से
संबंधित लोग हैं।
कुछ लोग सिविल
सोसाइटी के भी
हैं। इनमें से
कुछ प्रमुख नाम
हैं- श्री के.एन. गोविंदाचार्य,
श्री आरिफ मोहम्मद
खान, श्री पीवी
राजगोपाल, डॉ. जयप्रकाश
नारायण, डॉ. जगदीश
शेट्टीगर, डॉ. रमाकांत
पांडे, श्री सुरेंद्र
सिंह बिष्ट, श्री
शिव कुमार शर्मा,
श्री सुदेश अग्रवाल,
श्री गोधर्न जडाफिया,
श्री सलखन मुर्मू
और श्रीमती गौरी
सरीन। लोकतंत्र बचाओ
मोर्चा का जनतंत्र
पर धरना 6 अगस्त
को जंतर मंतर पर होगा।
इन सभी लोगों
ने इस बात
पर गहरी चिंता
जताई कि वर्तमान
व्यवस्था के हर
अंग में मूल्यों
में गिरावट आ
रही है और
ऐसे में आम
आदमी खुद को
असहाय पा रहा
है। ऐसी स्थिति
में आम आदमी
बेहतर और वैकल्पिक
राजनीतिक नेतृत्व तलाश रहा
है। लोगों में
इस बात को
लेकर चिंता है
कि सत्ताधारी और
विपक्षी दल पश्चिम
प्रदस्त और अमीर
प्रदस्त नीतियां अपना रहे
हैं और इससे
उन राजनीतिक ताकतों
को बढ़ावा मिल
रहा है जो
अराजकता फैलाती हैं। इससे
वैकल्पिक राजनीति की जरूरत
गहराती जा रही
है।
आर्थिक विकास का ढांचा
दोषपूर्ण होने की
वजह से समाज
के विभिन्न तबकों
के लोगों के
बीच की खाई
बढ़ती जा रही
है। ऐसे में
आज जरूरत इस
बात की है
कि विकास के
मौजूदा मॉडल पर
नए सिरे से
विचार किया जाए।
साथ ही प्रतिबद्धता
के साथ कोशिश
इस दिशा में
की जाए कि
समाज में हाशिये
पर पड़े लोगों
तक विकास की
बयार कैसे जल्द
से जल्द पहुंचे।
देश
के ज्वलंत मुद्दों
पर एकमत होने
की जरूरत को
इस बैठक में
रेखांकित किया गया।
इन मुद्दों में
महिलाओं के खिलापफ
अपराध, राष्ट्रीय सुरक्षा को
खतरा, असमान व
अस्थायी आर्थिक विकास, तेजी
से बढ़ता भ्रष्टाचार
आदि शामिल हैं।
जाहिर है कि
अगर इन मसलों
पर एकमत होना
है तो इसके
लिए सभी राजनीतिक
दलों और सिविल
सोसाइटी के विभिन्न
समूहों के बीच
स्वस्थ संवाद कायम करना
होगा।
बैठक
में यह सवाल
भी उठा कि
व्यवस्था को मूल्यों
की पटरी पर
वापस कैसे लाया
जाए। इसको लेकर
यह राय बनी
कि अगर सार्वजनिक
जीवन में रहने
वाले लोग पारदर्शिता
और जिम्मेदारी को
लेकर सजग रहें
और खुद उदाहरण
पेश करें तो
इससे इस समस्या
का समाधन हो
सकता है। जाहिर
है कि ऐसा
होने पर सत्ता
व्यवस्था के दूसरे
अंगों और समाज
पर भी इसका
सकारात्मक असर पड़ेगा।
यह जरूरत भी
महसूस की गई
कि सार्वजनिक जीवन
में काम करने
वाले लोगों के
लिए एक विस्तृत
आचार संहिता तैयार
की जाए। यह
उन लोगों पर
भी लागू हो
जो सत्ता में
हैं और उन
पर भी जो
सत्ता में नहीं
हैं।
इस
बैठक में यह
तय किया गया
कि मूल्य आधरित
सार्वजनिक जीवन सुनिश्चित
करने के लिए
वैकल्पिक राजनीति का सहारा
लिया जाएगा। समूह
ने यह भी
निश्चय किया कि
हम देश की
राजनीतिक प्रक्रिया में दखल
देंगे और ऐसा
करने के लिए
उन लोगों को
गोलबंद करेंगे जो राष्ट्र
के लिए प्रतिबद्ध
हैं। इस बारे
में निम्नलिखित निर्णय
लिए गएः
1. मूल्य
आधारित राजनीति के लिए
प्रतिबद्ध लोगों को गोलबंद
करके ‘लोकतंत्र बचाओ
मोर्चा’ को मजबूत
करना।
2. श्री
के.एन. गोविंदाचार्य
से पूरी सभा
ने एकमत होकर
मोर्चा के नेतृत्व
का आग्रह किया
और उन्हें एक
समन्वय समिति और कोर
समूह के गठन
के लिए अधिकृत
किया ताकि मूल्य
आधारित राजनीति की पहल
को मजबूती से
आगे बढ़ाया जा
सके।
3. यह
तय किया गया
कि जन-जन
तक पहुंचा जाएगा
और उनके बीच
इन संदेशों का
प्रसार किया जाएगा।
4. मोर्चे
में शामिल लोग
अलग-अलग स्तर
पर होने वाले
चुनावों में हिस्सा
ले सकते हैं
लेकिन उन्हें मोर्चे
के एजेंडे, कामकाजी
तौर-तरीकों का
पालन करना होगा।
लोकतंत्रा
बचाओ मोर्चा की
ओर से न्यूनतम
प्रतिबद्धता
1. संसाधन
और सत्ता का
विकास स्थानीय स्तर
पर होना चाहिए।
संघीय ढांचे के
तीसरे स्तर को
संस्थागत रूप देना
चाहिए। इसके लिए
कर के तौर
पर होने वाली
आमदनी का एक
निश्चित हिस्सा स्थानीय निकायों
को सीधे दिया
जाना चाहिए।
2. भ्रष्टाचार
को रोकने के
लिए मजबूत और
स्वतंत्र व्यवस्था राष्ट्रीय, राज्य
और स्थानीय स्तर
पर होनी चाहिए।
इसमें स्वायत्त लोकपाल,
स्वतंत्र अपराध अनुसंधान एवं
साझा तंत्र, विशेष
अदालतें और भ्रष्ट
नौकरशाहों की संपत्ति
जब्त करना शामिल
हो।
3. नागरिकों
को सेवा की
गारंटी मिलनी चाहिए ताकि
करदाताओं को बगैर
किसी परेशानी के
सेवाएं मिल सकें।
नौकरशाहों को नागरिकों
के प्रति जवाबदेह
बनाया जाना चाहिए।
4. अपराधों
के स्वतंत्र जांच
और अपराधियों को
सजा दिलाने के
लिए न्यायिक और
पुलिस सुधार होने
चाहिए ताकि हर
नागरिक को यह
लगे कि देश
में कानून का
राज है।
5. औद्योगिक
उत्पादन और रोजगार
सृजन को बढ़ावा
देने के मकसद
से संसाधनों के
उचित विकास और
बुनियादी ढांचे को दुरुस्त
करते हुए कौशल
विकास पर दोगुना
जोर दिया जाना
चाहिए।
6. बगैर
किसी भेदभाव के
यह सुनिश्चित किया
जाना चाहिए कि
हर बच्चे को
बेहतर गुणवत्ता वाली
शिक्षा मिल सके।
इससे देश के
मानव संसाधन का
काफी विकास हो
सकेगा। साथ ही
स्वास्थ्य सेवाओं तक हर
किसी की पहुंच
सुनिश्चित करनी चाहिए
ताकि अनावश्यक परेशानियों
से लोग बच
सकें।
7. चुनाव
सुधार वक्त की
जरूरत हैं। ताकि
राजनीति में धनबल
और बाहुबल का
असर कम हो।
राजनीति फिर से
वापस उस पटरी
पर आए ताकि
राष्ट्र के बारे
में सोचने-समझने
वाले लोग राजनीति
में आने को
प्रेरित हों। राजनीतिक
दलों को लोकतांत्रिक
बनाया जाए और
इनमें नागरिकों की
सहभागिता बढ़ाई जाए।
निर्वाचित सदन एक
ऐसे मंच के
तौर पर मजबूत
हों जहां आम
जन से जुड़े
मुद्दों पर बहस
हो और प्रभावी
नीतियां बनाई जा
सकें। साथ ही
कार्यपालिका को पर्याप्त
सशक्त और पूरी
तरह से जवाबदेह
बनाया जाए।
8. मोर्चा
खुद से जुड़े
हुए लोगों के
लिए एक विस्तृत
आचार संहिता तैयार
करने की प्रक्रिया
में है। सभी
प्रमुख लोगों को अपनी
संपत्ति की घोषणा
जल्द ही करनी
होगी।
9. मोर्चा
सार्वजनिक जीवन में
पूरी पारदर्शिता और
जिम्मेदारी का पक्षधर
है। इसलिए राजनीतिक
गतिविधियों को सूचना
का अधिकार के
दायरे में लाया
जाना चाहिए।
10. मोर्चा ‘बंद’
के खिलाफ है।
क्योंकि मोर्चा का यह
मानना है कि
इससे आम लोगों
के जनजीवन और
गरीबों की रोजी-रोटी पर
नकारात्मक असर पड़ता
है।
डॉ.
रमाकांत पांडे
राष्ट्रीय
संयोजक, लोकतंत्रा बचाओ मोर्चा
09931632632