Wednesday 18 September 2013

अन्ना हजारे का जादू समाप्त


राज्यकर्मियों के द्वारा बिना दाम लिए काम नहीं करते हैं
काम के बदले में 5 प्रतिशत का उछाल
पटना। खुद राज्यकर्मी कार्य करने में मनमर्जी करते हैं। उनके मनमर्जी को दूर करने का उपाय है उनको राशि चढ़ाना। राशि चढ़ाते ही कार्य को गति प्रदान कर देते हैं। अगर आप राशि नहीं देते हैं। तो समझ लीजिए काम का काम नहीं बनेगा। अगर अफसर काम करने वाला होते हैं तो काम करवाकर कागजात को धूल चटा दिया जाता है। इसके कारण आपको राशि भुगतान नहीं हो पाता है और वह एरियर का रूप ले लेता है। बस एरियर से ही कमाई की रास्ता खुल जाती है। इस तरह की राशि निकलवाने के लिए मोटी राशि चढ़ाया जाता है। यह राशि कार्यालय से लेकर कोषागार तक देना पड़ता है। अगर राशि नहीं देते हैं तो समझ ले आपको राशि नहीं मिलेगी। भागते भूत की लगौटी भली समझ कर राशि निकालने के लिए राशि दे दी जाती है। रीका है कि उनको कुछ रकम दें। राशि विमुख करने में विलम्ब करते हैं।
गांधीवादी अन्ना हजारे का जादू समाप्त हो गया है। अब राज्यकर्मी बेखौफ इंडिया हो गये हैं। पटना से ही एक मासिक पत्रिका बेखौफ इंडिया प्रकाशित होती है। उसमें पूरी तरह से खोलकर समाचार लिखी और प्रकाशित की जाती है। उसी तरह सुशासन के शासन में अभी राज्यकर्मी बेखौफ हो गए हैं। इसका प्रमाण है कि पहले के राज्यकर्मी अनुशासित होते और शिष्टाचारी होते थे। इस लिए टेबल-कुर्सी के नीचे से घूस लिया करते थे। यहां पर घूस लेने में असमर्थ और असहाय दिख पड़ते थे तो कार्यालय के आसपास जाकर चाय की दुकान में बैठकर एक हाथ में ग्लास में चाय लेकर चाय की चुस्की लेकर लेनदेन की बात किया करते थे। अगर समझ बन जाती थी तो दूसरे हाथ से मोटी रकम लेकर जेबी में रख लेते थे। अब समय बदल गया है। सब कुछ पारदर्शी होने लगा है। सरकार और नौकरशाह भी अपने कार्य में पारदर्शिता बरतने की सलाह दिया करते हैं। उनका अनुशरण राज्यकर्मी करते हैं। ऐसा करने में रिस्क है। इस लिए घूस में बढ़ोतरी कर लिये हैं। अभी साधारण लोगों को 25 प्रतिशत और अपने विभागीय राज्यकर्मियों से 20 प्रतिशत बटोरते हैं।
जब से इंदिरा आवास योजना की राशि में बढ़ोतरी की गयी तब से गरीबों को अधिक की राशि कमीशन देने की मांग होने लगी है। वैसे तो सरकार के द्वारा शिविर लगाकर बैंक से निर्मित पासबुक हो लाभान्वितों के बीच में वितरण कर दिया जाता है। उसके बाद लाभान्वितों के बैंक में राशि जमा कर दी जाती है। इसके पहले ही बिचौलिये और लाभान्वितों के बीच में सेटिंग हो जाताा है। बस ही तरह की बिचौलियों की भूमिका में राज्यकर्मी भी गये हैं। अगर आप आम आदमी हैं तो 25 प्रतिशत की राशि लेकर वर्क डन करते हैं। उसी तरह कुछ लिहाज करके अपने विभागीय कर्मी से 20 प्रतिशत की राशि की मांग की जाती है।
केस 1
कुछ दिन पहले एसपी वर्मा रोड के किनारे तैनात यातायात पुलिस ने एक ठेलाचालक को रोककर आगे जाने नहीं दिया। ठेलाचालक ने लाल-लाल दो टमाटर यातायात पुलिस के सामने पेश कर दिया। लोभी यातायात पुलिस ने बड़बड़ाते हुए टमाटर को ग्रहण कर लिया कि टमाटर की चटनी बनाकर खाने में मजा जाता है।
केस 2
सन् 74 आंदोलन को संपूर्ण क्रांति तक बढ़ाने की सोच विकसित करने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा समक्ष आयकर गोलम्बर के पास विपरित दिशा में गाड़ी ले जाने के आरोप में गाड़ी को रोक दिया गया। गाड़ी को  यातायात थाने में तक पहुंचाने तक बात बढ़ गयी। गाड़ी में बैठी महिला का बुरा हाल हो रहा था। महिला और पुलिस के बीच में बिचौलिये का कार्य करने के बाद मामला सलट गया। खाकी वर्दीधारी 100 रूपए में बदल गया।
केस 3
दानापुर बस पड़ाव पर गाड़ी की भीड़ हो। सड़क पर टेम्पों लगाकर टेम्पों पड़ाव में स्टैण्ड करें। मगर 5 रूपए लेकर टेम्पों को मुख्य सड़क पर ही खड़ा करने की इजाजत दे देते हैं। इसके कारण लोगों को आवाजाही करने में काफी दिक्कत होती है।

आलोक कुमार