Thursday 24 October 2013

इन छुट्टे साढ़ को लगाम कौन लगाएंगा?


मलभोगिया देवी 1 सालों तक जेल में बंद रहीं। पुलिस ने उसे नक्सली होने के आरोप में बंद किया था। अब 2013 के अगस्त माह में मलभोगिया देवी आरोप मुक्त हो गयी है। सवाल यह है कि उसकी मासूम बच्ची नहीं सकती है। उक्त हादसे ऊपर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकी है। अब यह भी सवाल उठता है कि इन छुट्टे साढ़ को लगाम कौन लगाएंगा?

पटना। अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में दलित महिलाओं ने दुखड़ा सुनाया। यह मौका ऑक्सफैम इंडिया, वाटर एड और यूके एड ने दिया था। दलित महिलाओं पर उत्पीड़न और न्याय व्यवस्था पर जन सुनवाई की गयी।
इस अवसर पर सहरसा जिले से आयीं मलभोगिया देवी ने सीधे खाकी वर्दीधारी अधिकारियों पर हमला बोल दिया। मलभोगिया देवी ने कहा कि मेरी मासूम सी तीन साल की पुत्री मौसम कुमारी को गोदी में से छीनकर मकई के खेत में फेंक दिया गया। तीन जिम्मेवार थाना प्रभारियों के द्वारा इज्जत तार-तार कर दिया। इसके बाद अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को भी छूट दे दी और सभी ने मिलकर सामूहिक बलात्कार थाने में ही कर दिये। इसके बाद मनगढंत आरोप लगाकर मंडल कारा,सहरसा भेज दिया गया। एक महिला पर नक्सली होने का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया। जेल में जाने के बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करवाने का आग्रह सिविल सर्जन से किया गया। वह भी खाकी वर्दीदारी के पक्ष में रिपोर्ट पेश कर दिये। किसी थाने में खाकी वर्दीधारियों पर मामला दर्ज नहीं होने पर सीधे न्यायालय, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के समक्ष फरियाद दर्ज कराया गया।
 सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड के अलानी पंचायत, गांव भिरखी और टोला सिवान में महादलित मुसहर समुदाय के इन्दल सदा रहते हैं। इनके पत्नी का नाम मलभोगिया देवी है। मलभोगिया देवी का पति इन्दल सदा रोजगार की तलाष में दिल्ली, पंजाब आदि चले जाते हैं। उस समय दिल्ली गये थे। इस बीच सलखुआ थाना के खाकी वर्दीधारियों की निगाह मलभोगिया देवी पर पड़ गयी। परिवार में एक लड़का  और एक लड़की के साथ मलभोगिया देवी रोड के चार्ट में झोपड़ी बनाकर रहती हैं। खुद का एक धूर भी जमीन नहीं है। एक दिन राह से भटकी पुलिस ने इन्दल सदा की बीबी मलभोगिया देवी को नक्सली होने के आरोप में पकड़कर लिया। अपनी तीन माह की बेटी मौसम कुमारी को भी साथ ले ली। उसेे क्या मामूम था कि रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे। घर से मात्र 100 गंज की दूरी तय करने पर खाकी वर्दीधारियों ने अमानुषिक कारनामा कर दिये। सलखुआ थानाध्यक्ष ने मां की छाती से चिपककर गोद में बैठी बेटी मौसम कुमारी को मां से छीनकर मकई के खेत में कटी पतंग की तरह हवा में उछाल दिये। जहां अगले दिन हड्डी मिला। अनुमान लगाया जा रहा है कि मौसम कुमारी को सियार लोगों ने आहार बना लिया होगा। यह देखे कि सलखुआ थाना क्षेत्र में रहने वाली मलभोगिया देवी को बख्तियारपुर थाना में लिया गया। यह सोची समझी योजना को अंजाम देने की नियत से की गयी।
न्यायालय, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, सहरसा में वाद संख्या 728 है। मलभोगिया देवी पति इन्दल सादा,सिवान टोल, भिखनी, थाना सलखुआ, चिरैया .पी. जिला सहरसा। रामेश्वर सिंह, .नि. थाना प्रभारी,बख्तियारपुर, अशोक यादव, .नि.थाना प्रभारी, सलखुआ, परमेश्वर पांडे, प्रभारी चिरैया, .पी.सलखुआथा और 5.6 पुलिसकर्मी। 9 मई, 2007 और 10 मई,2007 संध्या 8 बजे के करीब। ब्ख्तियारपुर थाना हाजत एवं थाना कार्यालय के बगल वाला खाली कमरा एवं ग्राम चिकनी, थाना सलखुआ जिला सहरसा में बलात्कार किया गया। अंदर दफा 323,364,376,34 धा..वि.
आवेदन में लिखा गया है कि एक गरीब हरिजन महिला मलभोगिया देवी हैं एवं का पति इन दिनों मजदूरी करने दिल्ली गया हुआ है। यह कि 9 मई,2007 को अपने नैहर ग्राम मोहनपुर थाना खगड़िया महनपुर .पी. जिला खगड़िया शादी में शामिल होने जा रही थी।
ग्राम चिकनी पहुंची कि 7-8 पुलिसकर्मी जिनमें अशोक यादव, .नि.थाना प्रभारी, सलखुआ, परमेश्वर पांडे, प्रभारी चिरैया, .पी.सलखुआ को पहचानी है। मलभोगिया देवी, छोटी बच्ची मौसम कुमारी और पुत्र को भी पकड़ लिया। छोटी बच्ची मौसम कुमारी को गोद से छीनकर मकई के खेत में फेंक दिया। इसके बाद मां और बेटा को जबरन चिरैया .पी. ले आया जहां से 9 मई, 2007 को ही राजि के करीबन 2 बजे बख्तियारपुर थाना पहुंच दिया गया। चिकनी से लेकर बख्तियारपुर तक पुलिस पदाधिकारी के साथ मारपीट करते रहे और ऐसे सवालात करते रहे जिनका कोई जवाब मलभोगिया देवी के पास नहीं थी। इस समय तक भूखे और प्यासे रखा गया। तब 10 मई, 2007 के सुबह एक बार फिर हाजत से निकालकर बराबदा पर मारपीट एवं पूछताछ का क्रम शुरू हुआ एवं 10 मई,2007 के रात्रि 8 बजे बख्तियारपुर थाना के हाजत एवं ऑफिस के बगल वाला कमरा में ले जाकर बारी-बारी से प्रतिरोध के बावजूद मलभोगिया देवी के साथ अपनी वर्दी खोलकर बलात्कार किया। पीड़िता उनमें से तीनों प्रभारी को चेहरे से पहचानती है एवं हैवान बलात्कारी पुलिस वालों को चेहरा देखकर पहचान सकती है।
बलात्कार के कारण होने वाले पीड़ा से मलभोगिया देवी की चीख को हाजत में बंद लखन सादा पिता गरभू सादा, चंदन सादा पिता सुरेश सादा दोनों ग्राम सर्वजीता थाना खगड़िया  मोरकाही .पी. पवन सादा ग्राम शिरबन्नी, अकलू सादा, ग्राम भदास, जहुरी सादा ने भी सुना।
बलात्कार के बाद मलभोगिया देवी कुछ सामान्य हुई और कपड़ा से शरीर को ढंक कर हाजत में पहुंची तथा अन्य बंदियों को अपनी चिल्लाहट एवं पीड़ा का कारण बताना शुरू की तो थाना प्रभारी एवं अन्य पुलिसकर्मी ने उसे घसीट कर ऑफिस में बंद कर दिया एवं धकमी दिया कि अगर कुछ बोलेंगी तो संगीन मुकदमे में फंसाकर पूरे परिवार को तबाह वो बर्बाद कर देंगे।
असैनिक शल्य चिकित्सक सह मु.चि.पदा.सहरसा, अधीक्षक, मंडल कारा, सहरसा। बंदी मलभगीया देवी 24 साल कल अपराहन में मंडल कारा, सहरसा में दाखिल हुई है और ब्लीडिंग पी.वी. की शिकायत की है तथा जेल में आने से पूर्व सेक्सवल ऑफेंस की हिस्ट्री भी दी है। मरीज को रक्तस्त्राव हो रहा है। इसके लिए दवा दी गयी। परन्तु खास सुधार नहीं है। अतः उक्त बंदी को लेडी डाक्टर ग्यानी द्वारा जांच एवं समुचित उपचार हेतु सदर अस्पताल ,सहरसा शीघ्र भेजना है। मलभोगिया देवी 1सालों तक जेल में बंद रहीं। पुलिस ने उसे नक्सली होने के आरोप में बंद किया था। अब 2013 के अगस्त माह में मलभोगिया देवी आरोप मुक्त हो गयी है। सवाल यह है कि उसकी मासूम बच्ची नहीं सकती है। उक्त हादसे ऊपर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकी है। अब यह भी सवाल उठता है कि इन छुट्टे साढ़ को लगाम कौन लगाएंगा?
आलोक कुमार