अब यह कार्ड शकुंतला देवी के लिए सहायक नहीं बन पा रहा है। उसे कम से कम 10 साल तक इंतजार करना ही होगा। अब सरकार ने बच्चादानी का ऑपरेशन 40 साल पार करने के बाद ही कराने की अनुमति दी है।
पटना।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
के तहत निर्गत
स्मार्ट कार्ड उपयोगियता पर
अन्तर जिला प्रतियोगिता
हो, तो निश्चित
तौर आज मधुबनी
पीछे और भोजपुर
आगे है। आगे-पीछे वाले
जिले के नौकरशाहों
के बीच में
हौड़ गया जाए
कि भले ही
आज हम पीछे
और तो जरूर
ही कल हम
आगे निकलकर मैदान
मार लेंगे। तो
आम व्यक्ति को
काफी फायदा होने
लगेगा।
आज
पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी
पैक्स के सहयोग
से प्रगति ग्रामीण
विकास समिति के
तत्तावधान में राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना
के ऊपर एक
दिवसीय राज्य स्तरीय जन
संवाद आयोजित की
गयी। इस अवसर
पर पैक्स के
स्टेट मॉडल ऑफिसर
अरमान सुहैल ने
कहा कि सूबे
के 14 जिलो में
पैक्स के सहयोग
से गैर सरकारी
संस्था कार्यरत हैं। पैक्स
के सहयोग से
9 गैर सरकारी संस्था
के द्वारा राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना
के ऊपर कार्य
किया जा रहा
है।
उन्होंने
कहा फिलवक्त राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना
की उपयोगिता में
मधुबनी जिले पीछे
है। यहां पर
स्मार्ट कार्ड की उपयोगिता
केवल 7-8 प्रतिशत ही हुई
है। वहीं स्मार्ट
कार्ड की उपयोगिता
40 प्रतिशत भोजपुर जिले में
हुई है। जो
सबसे आगे है।
जन जागरण पैदा
करके गया जिले
के मोहनपुर प्रखंड
से एक दिन
में 58 मरीजों को हॉस्पिटल
पहुंचाया गया। सभी
को हॉस्पिटल में
भर्त्ती करके इलाज
कराया गया। स्टेट
मॉडल ऑफिसर अरमान
सुहैल ने आगे
स्वीकार किया कि
बच्चादानी निकालने वाली खबर
ने लोगों में
हड़कंप मचा दिया
गया। इस ओर
व्यापक जन जागरण
चलाया गया। कोई
200 सार्थक केस स्ट्डी
बनाया गया। जिसे
लोगों के साथ
साझा किया जा
रहा है। इससे
सकारात्मक सोच विकसित
हो पायी है।
अगर कोई 40 वर्ष
की कम उम्र
महिला को पेट
में दर्द है।
तो परेशान महिला
की जांच सर्जन
और स्त्री रोग
विशेषज्ञ जांच करके
एकमत होंगे कि
महिला की बच्चादानी
निकालना अनिवार्य है। तब
जाकर 40 वर्ष की
कम उम्र की
महिला की बच्चादानी
निकाल दी जाएगी।
उन्होंने
राज्य सरकार पर
भी गंभीर आरोप
लगायें कि राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना
को सफल क्रियान्वयन
करने के लिए
जिले के जिलाधिकारी
की अध्यक्षता में
‘शिकायत निवारण समिति’ बनानी
है। जो कई
जिलों में निर्माण
ही नहीं की
गयी है। अगर
‘शिकायत निवारण समिति’ कार्यशील
होती, तो इससे
जुड़े चिकित्सक और
इंश्योरेंस कम्पनी भी दबाव
में रहते।
इस
अवसर पर कटिहार
जिले के कुर्सेला
के हरि मंडल,
गया जिले के
बोधगया के विशुनधारी
यादव, जहानाबाद जिल
के जहानाबाद सदर
के नागेन्द्र कुमार,
गया जिले के
मोहनपुर के राजेश
कुमार, दरभंगा जिले के
हायाघाट के कामोद
पासवान, अररिया जिले के
नरपतगंज के लाल
बहादूर,भोजपुर के अगिआंव
के बिनोद पासवान
और भोजपुर जिले
के सहार की
देवंती देवी ने
केस स्ट्डी पेश
किया।
गया
जिले के मोचारिम
पंचायत के मोचारिम
मुसहरी में भोला
साव नामक मजदूर
रहते हैं। इनको
एक लड़का और
एक लड़की हैं।
मानसी कुमारी (9 साल)
और मानव कुमार
(7 साल) का है।
दोनों के जन्म
देने के बाद
भोला साव की
पत्नी शकुंतला देवी
(30 साल) महिला रोग से
बेहाल होने लगी।
ठीक तरह से
मासिक स्त्राव नहीं
होता है और
पेट में दर्द
होता है। इसको
लेकर कई चिकित्सकों
से परामर्ष लेने
गयीं। षकुंतला देवी
की उम्र के
आलोक में कोई
चिकित्सक बच्चादानी का ऑपरेशन
करना नहीं चाह
रहे हैं। इस
समय बच्चादानी का
ऑपरेशन करना हाई
रिस्क हो गया
है। हाल के
दिनों में बच्चादानी
का ऑपरेशन करने
पर लूटपाट होने
का आरोप लगा
था। इसके कारण
चिकित्सक स्मार्ट कार्ड से
ऑपरेशन करने से
कतरा रहे हैं।
मजदूर परिवार के
होने के कारण
किसी प्राइवेट क्लिनिक
में जाकर ऑपरेशन
करवाने में सक्षम
साबित हो रहे
हैं।
राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा योजना
के तहत जारी
अपने स्मार्ट कार्ड
को लेकर चिकित्सकों
के दर पर
भटकने के लिए
शकुंतला देवी मजबूर
हैं। इसका स्मार्ट
कार्ड की संख्या
103519093120001754 है। यह कार्ड
तीस रूपये देने
के बाद ही
मिला है। इस
कार्ड से 5 लोगों
का इलाज होता
है जो 24 घंटे
के लिए भी
चिकित्सक के द्वारा
अस्पताल के अंदर
भर्त्ती किये गये
हैं। इनको भोजन
और आवाजाही करने
के लिए 100 रूपए
दिया जाता है।
अब यह कार्ड
शकुंतला देवी के
लिए सहायक नहीं
बन पा रहा
है। उसे कम
से कम 10 साल
तक इंतजार करना
ही होगा। अब
सरकार ने बच्चादानी
का ऑपरेशन 40 साल
पार करने के
बाद ही कराने
की अनुमति दी
है।
आलोक
कुमार