पटना।
वैसे तो विदेशी टीम क्रिकेट
मैच शुरू होने
के पहले ‘हौआ’
बनाना शुरू कर
देते हैं। टीम
के समर्थन में
मीडिया भी मैदान
में उतर जाता
है। इससे संतुष्ट
नहीं होते हैं
तो मैच शुरू
होने पर मैदान
में ही खिलाड़ियों
पर निशाना लगाकर
उकसाया जाता है
ताकि खिलाड़ी का
प्रदर्शन पर प्रभाव
पड़े। अभी-अभी
आस्ट्रेलिया और इंगलैंड
के बीच प्रथम
टेस्ट मैच के
दौरान Citakanshi करते देखे
गये। दोनों टीम
के खिलाड़ियों की
ओर से जमकर
छीटाकंशी Citakanshi किया
गया। उस समय
हद हो जाता
है जब खिलाड़ियों
के साथ टीम
के कप्तान का
भी सहयोग मिलने
लगता है।
अभी
बिहार में उसी
तरह से हो
रहा है। जब
से दैनिक भास्कर
का आगमन बिहार
में आने की
चर्चा होने लगी।
तब से बिहार
के प्रिंट मीडिया
में भूचाल आ
गया है। सबसे
पहले अखबार के
मालिकों ने ऑडनरी
प्रिटिंग मशीन के
बदले में शक्तिशाली
मशीन लगाने लगे।
इसके बाद पाठकों
को मोहने के
लिए मोहनी मंत्र
की तरह ग्रिफ्ट
देना प्रारंभ कर
दिये। जब दैनिक
भास्कर ने देश
भर में सबसे
अधिक मूल्य पर
पटनाइट को अखबार
परोसने पर मूल्य
बम विस्फोट किया।
तब अखबार मालिकों
ने तुरंत अखबार
की कीमत घटाकर
ढाई रू. कर
दिये। अब दैनिक
भास्कर ने क्वालिटी
वार किया है।
अब देखना है
कि पटनाइट को
किस तरह की
क्वालिटी वाली अखबार
मिल पा रही
है।
ऐसा
लग रहा है
कि बिहार के
अखबार मालिक दैनिक
भास्कर से घबरा
गये हैं। शहर
और अर्द्धशहरी क्षेत्र
में बैनर टांगे
जा रहे हैं।
अब तो वाल
राइर्टिंग पर उतर
गये हैं। वैसे
तो हिन्दुस्तान से
खौफ खाकर दैनिक
जागरण और प्रभात
खबर ने मंदिर
के ऊपर बैनर
टांगकर ‘भगवान’ के शरण
में जा चुके
हैं। अब उसी
तरह बिहार के
शान बने हिन्दुस्तान
भी छुक गया
आसमान की तरह
छुककर दीवारों पर
नम्बर 1 अखबार लिखकर शोहरत
हासिल करना चाहता
है।
हिन्दुस्तान,दैनिक जागरण,प्रभात
खबर,आज,राष्ट्रीय
सहारा के साथ
संमार्ग और नव
बिहार को पार
लगाने वाले ‘हॉकर’
पर ध्यान देने
की जरूरत है।
अगर अब तक
अखबारों को बुलंदियों
पर पहुंचाने वाले
हॉकर के बीच
में दैनिक भास्कर
सेंधमारी कर लेता
है तो बिहार
की अखबार मालिकों
का जनाजा उठ
खड़ा हो जाएगा।
अभी
दैनिक भास्कर को
लेकर फेसबुक में
काफी चर्चा की
जा रही है।
समझ से परे
है कि यहीं
अखबार झारखंड में
दैनिक भास्कर को
बढ़ने नहीं दें
रहे हैं। तो
बिहार में क्यों
घबरा गये हैं?
कृपया समझाने का
कष्ट करेंगे।
आलोक
कुमार